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कविता

वह मुझमें

अशोक वाजपेयी


रक्त मुझमें है, मैं रक्त को याद नहीं करता।
अस्थियाँ मुझमें हैं, मैं अस्थियों को याद नहीं करता।
आत्मा मुझमें है, मैं आत्मा को याद नहीं करता।
वह मुझमें है, मैं उसे क्यों भूल नहीं पाता?

 


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