वहाँ वह बेहद गरमी में पानी का गिलास उठाती है ; यहाँ मैं जानता हूँ कि ठीक उसी समय मेरी प्यास बुझ रही है।
हिंदी समय में अशोक वाजपेयी की रचनाएँ
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कविताएँ