hindisamay head


अ+ अ-

कविता

शेष

अशोक वाजपेयी


सब-कुछ बीत जाने के बाद
बचा रहेगा प्रेम
केलि के बाद शैया में पड़ गई सलवटों-सा,
मृत्यु के बाद द्रव्य-स्मरण-सा,
अश्वारोहियों से रौंदे जाने के बाद
हरियाली ओढ़े दुबकी पड़ी धरती-सा,
गरमियों में सूख गए झरने की चट्टानों के बीच

          जड़ों में धँसी नमी-सा
          बचा रहेगा
          अंत में भी
          प्रेम!

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में अशोक वाजपेयी की रचनाएँ



अनुवाद