सिर्फ शब्दों से नहीं, बिना छुए उसे छूकर, बिना चूमे उसे चूमकर बिना घेरे उसे बाँहों में घेरकर, दूर से उसे पँखुरी-पँखुरी खोलते हुए बिना देखे उसे दृश्य करते हुए मैंने उससे कहा।
हिंदी समय में अशोक वाजपेयी की रचनाएँ
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कविताएँ