मैं एक भागता हुआ दिन हूँ और रुकती हुई रात - मैं नहीं जानता हूँ मैं ढूँढ़ रहा हूँ अपनी शाम या ढूँढ़ रहा हूँ अपना प्रात!
हिंदी समय में श्रीकांत वर्मा की रचनाएँ