केवल अशोक लौट रहा है और सब कलिंग का पता पूछ रहे हैं
केवल अशोक सिर झुकाए हुए है और सब विजेता की तरह चल रहे हैं
केवल अशोक के कानों में चीख गूँज रही है और सब हँसते-हँसते दोहरे हो रहे हैं
केवल अशोक ने शस्त्र रख दिए हैं केवल अशोक लड़ रहा था।
हिंदी समय में श्रीकांत वर्मा की रचनाएँ