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कविता

ईशान

ए. अरविंदाक्षन


ईशान पाँच महीने का एक बच्चा है
मेरे पड़ोसी का नाती
दिन में वह सोता है
रात को वह रोता है
रात के बारह बजे तक
वह रोता है।
मुझे बहुत दुख होता
मन ही मन मैं कहता
ईशान बेटा, सो जा
अच्छा बेटा, सो जा।
पर इन दिनों मुझे पता चला
ईशान सचमुच रो नहीं रहा है
ईशान गा रहा है
रात के सन्नाटे में
वह गा रहा है
इन दिनों मैं
रात के बारह बजे तक
ईशान की लोरी सुनते-सुनते
गहरी नींद में डूब जाता हूँ।

 


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