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कविता

वसंत

ए. अरविंदाक्षन


एक नट्खट बच्ची है
वसंत
हर क्षण
खिलखिलाकर हँसने वाली
हमारी पकड़ से छूटकर
तितलियों की तरह भागने वाली
रागों में हमें भिगाने वाली
रंगों में डुबोने वाली
खूबसूरत
चंपई रंग की
स्फटिक-सी पारदर्शी
सफेद बादलों-सी स्वप्निल
हवा की द्रुत-मंद गति-सी
संगीतमय
लयबद्ध

 


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