जब असंख्य जल पक्षी एक साथ आकाश को भेदकर जल की गोदी में उतरते हैं मछलियाँ उन्मादित होती हैं मृत्युभय से। नील विस्तार जल का जीवन-मृत्यु के बीच अति गहन अति गह्वर अन्दर ही अन्दर आंदोलित नील से श्याम श्याम से नील अन्तर्प्रवहित।
हिंदी समय में ए. अरविंदाक्षन की रचनाएँ