पत्तों की नोक पर बूँद एक एक जलाशय सौंदर्यमय एक समुद्र तरंगयित पूरी वनस्पति को अपने में समाहित एक प्रलय।
हिंदी समय में ए. अरविंदाक्षन की रचनाएँ