अतल तक न ले जाया जाये मिट्टी के भीतर कहीं आवास मिल जाये बच्चों और बड़ों के साथ छोटी मछलियों और केकड़ों के साथ लहलहाते खेतों में चावल और गेहूँ की बालियों को देखते भिंडी और बैंगन की खुशियों के बीच रहने का मौका दिया जाए।
हिंदी समय में ए. अरविंदाक्षन की रचनाएँ