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कविता

जल मेरे भीतर

ए. अरविंदाक्षन


रेगिस्तान का विस्तार
बढ़ता है निरंतर
रेत के भीतर
रेगिस्तानी साँप का जहर
भीषण, भयंकर।
मैं रेगिस्तान से वलयित
पर जल से भरपूर
जल मेरे भीतर

 


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