रेगिस्तान का विस्तार बढ़ता है निरंतर रेत के भीतर रेगिस्तानी साँप का जहर भीषण, भयंकर। मैं रेगिस्तान से वलयित पर जल से भरपूर जल मेरे भीतर
हिंदी समय में ए. अरविंदाक्षन की रचनाएँ