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कविता

पंचटीला

ए. अरविंदाक्षन


पाँच टीलों से घिरा यह प्रदेश
जिसे लोग पंचटीला कहते हैं
प्यासा है वह जल के लिए
आकाश की तरफ देखता है
और भीतर ही भीतर
निरंतर जल ढूँढ़ता है।
बहुत जल था यहाँ
किसने पिया होगा इतना सारा जल
पौधों ने?
चिड़ियों ने?
या यहाँ सुलभ नागों ने?
कोई कुछ नहीं बता रहा है
इतना ही सच है
कि जल है
पता नहीं कि कहाँ गुम हो गया है।

 


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