सुबह एक चिड़िया फर्र से उड़ चली जाती है मैं अपने जल-स्वप्न से जाग जाता हूँ जल-स्वप्न में निरंतर मैं डूबता रहा चिड़िया मुझे बताती रही आकाश का अर्थ बादलों की कविता का सौंदर्य हवा का संगीत इस एक चिड़िया ने मुझे जगा दिया जल-स्वप्न से।
हिंदी समय में ए. अरविंदाक्षन की रचनाएँ