मेरे रोम-रोम में संगीत है। जब बिजली कड़कती है तो मेरा अंतर्मन मोर की तरह प्रफुल्लित हो उठता है। और नाच उठता है।
हिंदी समय में ए. अरविंदाक्षन की रचनाएँ