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कविता

संगीत

ए. अरविंदाक्षन


मेरे
रोम-रोम में संगीत है।
जब बिजली कड़कती है
तो मेरा अंतर्मन
मोर की तरह
प्रफुल्लित हो उठता है।
और नाच उठता है।

 


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हिंदी समय में ए. अरविंदाक्षन की रचनाएँ