नदी के पास एक आईना है स्मृतियों को प्रतिबिंबित करने वाला आईने के बारे में नदी कुछ कहती नहीं वह बस, बहती रहती है अपनी झिलमिलाहट के साथ। उस झिलमिलाती रोशनी में स्मृतियों के चित्र नदी के साथ प्रवाहमान हैं लेकिन कुछ चित्र रेत में चिपके हुए हैं।
हिंदी समय में ए. अरविंदाक्षन की रचनाएँ