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कविता

उत्तर कबीर

दिविक रमेश


छतों से होकर गुजरती हैं जो हवाएं
छूना चाहिए उन्हें
छतों ही पर जाकर।

 


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हिंदी समय में दिविक रमेश की रचनाएँ