hindisamay head


अ+ अ-

कविता

पंख

दिविक रमेश


दरवाजा
शायद खुला रह गया है

इसी राह से
आया होगा उड़कर
यह खूबसूरत पंख!

खिड़कियां तो सभी बंद हैं।

शायद सामने वाले पेड़ पर
कोई नया पक्षी आया है।

हो सकता है
बहुत दिनों से रह रहा हो।

दरवाजा खुला हो
तो, ज़रूरी नहीं
अंधड़ तूफान ही
घुस आए घर में

खूबसूरत पंख भी तो
आ सकता है
उड़कर।

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में दिविक रमेश की रचनाएँ