वहाँ भी आग है कहा किसी ने मैंने पूछा सबूत? उठता हुआ धुआँ दिखा दिया उसने। क्या उसे सच में नहीं मालूम वहाँ बटोरी गई गीली-सूखी लकड़ियों से खप रही एक औरत है -- सदियों से / आग के लिए धुएँ से लड़ रही एक औरत।
हिंदी समय में दिविक रमेश की रचनाएँ