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					बात ऐसी तो नहीं थीकि कोई कविता लिखी जाती
 
					हम तीन थेअपने को ढोते हुए सड़क के बीचोबीच
 याद कर रहे थे अपने छूट गये घरों के नक्शे
 तंग आ गए बूढ़े पिताओं के निरपराध चेहरे
 
					सड़क इतनी लम्बी थी कि इन्तजार थीरात इतनी गहरी कि अन्धी
 एक जगह पहुँच जाने की व्यग्रता में
 हम चल रहे थे एक दूसरे को सँभाले
 कदम हमारे हाँफते हुए
 हमारी थकी साँसें एक दूसरे को सहारा देती हुईं
 
					तुम्हें क्या लगता है कल दुनिया यह बची रहेगी- वह निराश था
 आजकल अपनी प्रेमिका की जुल्फों के
 अँधेरे में मुझे डर लगता है
 - दूसरा भयभीत
 यार इतनी बड़ी दुनिया में कोई एक नौकरी नहीं
 - मुझे रसोई घर के खाली डिब्बे याद आ रहे थे
 जीवने जोदि दीप जालाते नाइ पारे...
 अगले जन्म में मैं पेड़ बनूँगा
 एक चिड़िया घोसला बनायेगी गायेगी बहुत ही मधुर स्वर में
 
					दुनिया चाहे न बचे पेड़ तो बचे रहेंगे नमैं नशे में हूँ यदि मर जाऊँ तो क्या कहोगे मेरी प्रेमिका से
 जीवने जोदि दीप जालाते नाइ पारो...
 
					क्या सचमुच दुनिया यह बची रहेगीकितनी दारुण है यह कल्पना
 जीवने जोदि दीप जालाते नाइ पारो
 
					हम एक पेड़ के नीचे बैठ गये थेसड़क अन्तहीन
 हमारे घर के दरवाजे लगभग बन्द
 
					बात ऐसी तो न थीकि कोई कविता लिखी जाती
 दूर शायद मुर्गे ने बाँग दिया था
 रात नशे की तरह उतर चली थी
 
					हम एक दूसरे की आँख में एकटक देखते हुएएक अच्छी सुबह
 कि किसी अनहोनी घटना का इन्तजार कर रहे थे
 
					वैसे बात ऐसी तो नहीं थीकि कोई कविता लिखी जाती...
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