प्यार और सम्बन्ध के बिसर गये अन्तिम संशय हमारी देह खड़ी है एक चौराहे पर प्रयाण को आतुर गुजरे हुए क्षण की एक घायल चिड़िया चुप बैठी है अपने घरौंदे से दूर
और अब हमें अपनी-अपनी गहराइयों में लौटना है
हिंदी समय में विमलेश त्रिपाठी की रचनाएँ