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पति और बादशाह

अजित वडनेरकर


पति और परमेश्वर में तो रिश्तेदारी है, मगर पति और बादशाह में क्या रिश्तेदारी है? दरअसल पति-परमेश्वर शब्द-युग्म मुहावरा है। मगर पति और बादशाह सहोदर हैं। एक ही मूल से जन्मे हैं। पति शब्द का मूल अर्थ है स्वामी, प्रभु, ईश्वर आदि। गौरतलब है ये सभी अर्थ संरक्षण, पालन की ओर इशारा कर रहे हैं। यूँ पति और पत्नी दोनों ही खुद को कभी बादशाह-बेगम से कम नहीं समझते और कभी गुलाम से भी बदतर समझने लगते हैं। मन की रुचि जैती जितौ, तित तैती रुचि होय...

पति अर्थात विवाहिता स्त्री का संगी, भर्तार, शौहर, हसबैंड वगैरह-वगैरह। पति शब्द बना है संस्कृत और इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार की पा धातु से जिसमें रक्षा करना, पालन करना, बचाना, देखभाल करना जैसे भाव हैं। 'पा' उपसर्ग लगने से परिपालक, परिपालन, प्रतिपालन आदि शब्द बने हैं जिनमें शासक, शासन, रक्षण जैसे भाव ही समाहित हैं। पति शब्द का अर्थ मालिक, शासक, राजा ही होता है क्योंकि वह प्रजा को संरक्षण प्रदान करता है। कन्या जब तक अविवाहित है तब तक उसका संरक्षण पिता करता है। गौरतलब है कि पिता शब्द भी उसी 'पा' धातु से बना है जिसमें संरक्षण और देखभाल का भाव है, जिससे पति शब्द जन्मा है मगर किसी भी कोश या संदर्भ में पिता शब्द की व्याख्या इस भाव से नहीं मिलती। अलबत्ता 'पा' से ही बने पालक या पाल शब्द का अर्थ राजा, शासक, संरक्षक के साथ पिता भी मिलता है। विवाहिता के संगी को पति कहने के पीछे भाव यही है कि पिता के घर संरक्षित कन्या के सारे दायित्व अब उसने उठा लिए हैं। वही उसका पालक है। पति शब्द की व्याप्ति राष्ट्रपति, कुलपति, अधिपति जैसे शब्दों में उसके संरक्षणकर्ता होने का ही बोध कराती है। 

1911 में जॉर्ज पंचम भारत आया था, तब के दस्तावेजों में उसे पादशाह ही लिखा गया है। संस्कृत की 'पा' धातु जस की तस ईरान की प्राचीन भाषा अवेस्ता में भी इसी संरक्षण के भाव के साथ मौजूद है। यही नहीं, अवेस्ता में पति शब्द का अर्थ भी संरक्षक ही है। पा का प्रसार यूरोपीय भाषाओं में भी मिलता है जैसे ग्रीक में पोमा यानी आवरण, पीमो यानी मार्गदर्शक लैटिन में पोती यानी ताकतवर, शक्तिशाली आदि। अवेस्ता से पुरानी फारसी में भी पति शब्द बरकरार रहा और शाह शब्द से जुड़ कर पातशाह, पादशाह होते हुए बादशाह में ढल गया। तुर्की में आटोमन शासकों द्वारा सम्मानित नागरिकों को दी जानेवाली प्रसिद्ध उपाधि रही है पाशाजिसका मतलब था अधिकार-संम्पन्न, कुलीन। तुर्की में पाशा नाम धारी अनेक सेनाधिकारी या राज्यपाल हुए हैं। यह पाशा दरअसल पादशाह ही है जो पादशाह > पात्शाह > पाश्शा > होते हुए पाशा के संक्षिप्त रूप में ढल गया । भारत में भीपाशा उपनाम अनजाना नहीं है। पाशा का ही दूसरा रूप बाशा भी है। हैदराबाद की निजामशाही में बाशा उपाधियाँ दी जाती थीं। इसका अरबी रूप बासा है। भारत में आज भी प्रमुख शहरों में पत्थरों के खुत्बे दिख जाएँगे जो 1911 में जॉर्ज पंचम की भारतयात्रा की स्मृति में अंग्रेजी शासन और रजवाड़ों ने लगवाए थे। इन खुत्बों में जॉर्ज पंचम को पादशाह ही लिखा गया है। पंजाबी में भी पादशाह शब्द चलता है। सिख धर्म में ईश्वर को सच्चा पादशाह कहा गया है।

विकिपीडिया से : माना जाता है कि 'पति' शब्द अति प्राचीन है और आदिम हिंद-यूरोपीय भाषा से उत्पन्न हुआ था। अवस्ताई भाषा जैसी प्राचीन ईरानी भाषाओँ में भी 'दमन-पैति' जैसे शब्द थे, जो संस्कृत के 'दम्पति' शब्द का सजातीय शब्द है। 'पति' के सजातीय शब्द बहुत-सी हिंद-यूरोपीय भाषाओँ में मिलते हैं। मसलन अंग्रेज़ी का एक शब्द डॅस्पॉट (despot) है, जो यूनानी भाषा के δεσ-πότης (देस-पोतिस) से विकसित हुआ है। यूनानी में इसका अर्थ मालिक, स्वामी, शासक हुआ करता था और अंग्रेजी में इसका मतलब बदलकर 'तानाशाह' हो गया है। लातिनी भाषा में इस 'पोती' का अर्थ यूनानी और संस्कृत से जरा बदल गया और 'स्वामी' की जगह इसका अर्थ 'क्षमता' बन गया। यह अर्थ-परिवर्तन भाषा-विज्ञान में संज्ञा से विशेषण बन जाने के परिवर्तन का उदाहरण बुलाया गया है। इस से अंग्रेजी के potent (शक्तिशाली), potential (क्षमता) और potentate (शासक) शब्द आए हैं। यूरोप की लिथुएनियाई भाषा में 'पत्स' (pats) शब्द का अर्थ हिंदी के 'पति' की तरह ही 'शौहर' होता है।


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