महाशय 'क' से पूछा गया, 'जब आप किसी आदमी को प्यार करते हैं, तब क्या करते हैं ?'
महाशय 'क' ने जवाब दिया : 'मैं उस आदमी का एक खाका बनाता हूँ और इस फिक्र में रहता हूँ कि वह हूबहू उसी के जैसा बने।'
'कौन? वह खाका?'
'नहीं,' महाशय 'क' ने जवाब दिया : 'वह आदमी।'
(अनुवाद : मोहन थपलियाल)