एक रहस्य है वह गर्व है उसकी नियति पर सबको
एक स्त्री को 'माँ' शब्द की परंपरा के अभिप्राय तले चूसते हुए सुखा रहे हैं लोग
हिंदी समय में रविकांत की रचनाएँ