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कविता

माँ

रविकांत


एक रहस्य है वह
गर्व है
उसकी नियति पर सबको

एक स्त्री को
'माँ' शब्द की परंपरा के
अभिप्राय तले
चूसते हुए
सुखा रहे हैं
लोग

 


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हिंदी समय में रविकांत की रचनाएँ