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कविता

चने

रविकांत


कहो तुम्हें क्या लगता है,
अपने किए में
अब तक का
सबसे अच्छा काम?
उन्होंने पूछा

एक बड़े से झोले में
हाथ डालने पर
कुछ देर शांति रही
टटोलने पर
कुछ चने के दाने
मेरे हाथ आए

दो-चार मैंने चखे
चार-छह उन्होंने चबाए

पता नहीं
उन्हें ठंडे चने पसंद हैं या गर्म?

जबकि
मेरी भूख खुल गई थी
उन्होंने कहा -
आओ थोड़ा टहल आएँ

 


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हिंदी समय में रविकांत की रचनाएँ