hindisamay head


अ+ अ-

कविता

ऐ रघु

रविकांत


सारी कमाई पी कर
देश-जहान की जानकारी कहाँ से पाता है रे!
क्यों कहता है कि प्रधानमंत्री बुलाए हैं चाय पर
देना हो तो दिया कर गाली उन मवालियों को
जो तेरी घरवाली को छेड़ते हैं
देबूगौड़ा को क्यों परेशान करता है!

गाली दे बस अपने मालिकों को
जो रात ग्यारह बजे तक तुझे रेंटते हैं,
डेरी वाले स्वामीनाथ ने क्या बिगाड़ा है
पीने को मना किया था बस
फेफड़ा खोंट तो हो गया है

दे ना इन लोगों को छोड़
कुछ दिन बोझ का काम रहने दे
चल मेरे साथ, गली वाले धंधे में चल

स्कूल आगे नहीं पढ़ा
इसीलिए कुछ जानता नहीं
चुप से देख
पढ़े-लिखे लोग क्या करते हैं
बड़ा आदमी बनना चुटकी का खेल है
हरखू-सुख्खू को देख रहा है,
अपनी घोड़ी को विद्यालय भेज-भेज कर
सधुआ ने एम्मे पास कर लिया है

मैं भी छेद्दन की पढ़ाई पढ़े हूँ
आठ फेल से क्या
बड़े-बड़ों से ज्यादा अकल हैं मेरे
स्कूल-टूशन दोनों गया हूँ
तेरी तरह इन लोगों के चक्कर में नहीं आता

अच्छा यह बता
कक्षा पाँच के बाद तू कहाँ भाग गया था?
तेरा बाप मर गया था?
तेरी माँ बहुत भली थी
होली के दिन मुझे खूब खिलाती थी
मैं तो तेरे ही बल पे फूला करता था मे!
उसके बाद से मैंने
लड़ाई-झगड़ा सब छोड़ दिया
सुधर ही गया मैं

खैर छोड़,
अरे सुन,
कल रात क्या तमाशा मचा रहा था तू
देवी माँ को गरिया रहा था?!
'देवी माँ की माँ का... '
दुर्गे माँ को इस तरह खुले आम गरिया रहा है
वह भी नौरातर में!
साले काट के फेंक देंगे वे लोग तुझे

और ये बता
आजकल लाला जी पर काहे एतना मोहाया है
जब सभी को, सारे टोले को, गरियाता है
तो उनको काहे का छोड़ना
उनकी चारदीवारी के पास भी खड़ा होकर
भरी रात में दहाड़ा कर -

'मातादीन वैश्य
रघ्घू टाली वाला
मेरा नाम है रघ्घू पासी
सब साले चोर हैं... मादर... हैं

आपन कमा के पीइत ही
कौनों के बाप की कमाई नै पीइत'

बाप रे बाप
क्या-क्या बकता रहता है बे तू!

अच्छा देख,
काम की बात है भूल जाऊँगा
तेरी बीबी गुजराती है ना
उससे बोल
इधर की अकड़म-चकड़म सीख ले
मैं एक मस्टराइन के घर लगवा दूँगा
लेकिन बोल उससे
टंटा करना सीख ले
घुँघट काढ़े रहती है हरदम
शहर दिखा उसे
नारी जाति तो भक से विकसित हो जाती है
वरना गुजारा मुश्किल है
इधर की मेहरियाँ होशियार हैं
कई घर पकड़े रहती हैं
तड़के ही बर्तन मलने निकल जाती हैं
नहीं तो, जमील इतना कैसे पढ़ पाता
उसका बाप भी तेरी ही तरह पियक्कड़ था
लेकिन तेरी तरह मुँहफट नहीं था
देख, तू जबान मत लड़ाया कर उन लोगों से
उस दिन तेरा कितना मजाक बनाया सालों ने
वह सब तुझे भगा रहे थे
और तू पगलेट की तरह
मार खा-खा कर खड़ा हो रहा था!

मुझे पता है
तेरी बीबी बड़ी अच्छी है
पीना छोड़ दे, पीना ठीक बात नहीं
चल मेरे साथ

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में रविकांत की रचनाएँ