काँटों से भरी एक मखमली बोरी को मेरे किसी पूर्वज ने कभी भूलवश (या किसी दबाव में आकर) उठाया था,
मेरे उस आदि पूर्वज की स्मृति में इस बोरी को मेरे पूर्वजों ने मोहवश ढोया
और मेरी पीठ पर 'कर्तव्य' कह कर लादना चाहा!
हिंदी समय में रविकांत की रचनाएँ