hindisamay head


अ+ अ-

कविता

मखमल की बोरी

रविकांत


काँटों से भरी
एक मखमली बोरी को
मेरे किसी पूर्वज ने कभी भूलवश
(या किसी दबाव में आकर)
उठाया था,

मेरे उस आदि पूर्वज की स्मृति में
इस बोरी को
मेरे पूर्वजों ने
मोहवश ढोया

और
मेरी पीठ पर
'कर्तव्य' कह कर
लादना चाहा!

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में रविकांत की रचनाएँ