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कविता

मापदंड

रविकांत


मुझसे कहा गया -
'तुम्हारे पैर छोटे हैं'
जबकि
दौड़ लेता था मैं तेज

'तुम कमजोर हो'
क्योंकि
'तुमसे मजबूत लोगों की
कमी नहीं है दुनिया में '

'तुम्हारे चेहरे पर मुस्कराहट नहीं रहती
तुम बूढ़े लगते हो '

यद्यपि
उन्हें ही सुखी रखने के लिए
परेशान रहा आया हूँ मैं

 


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हिंदी समय में रविकांत की रचनाएँ