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कविता

हत्या

रविकांत


आप आप आप
आप सब
जिन्हें मैं समझता हूँ कुछ
सिर्फ इतना बताएँ कृपाकर
मैं
ऐसा क्या करूँ
कि अपने को आत्महत्यारों की हत्या में
शरीक न समझूँ

कम से कम
आप सब को तो
बिल्कुल
ही नहीं

 


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हिंदी समय में रविकांत की रचनाएँ