आप आप आप आप सब जिन्हें मैं समझता हूँ कुछ सिर्फ इतना बताएँ कृपाकर मैं ऐसा क्या करूँ कि अपने को आत्महत्यारों की हत्या में शरीक न समझूँ
कम से कम आप सब को तो बिल्कुल ही नहीं
हिंदी समय में रविकांत की रचनाएँ