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कविता

ड्राइवर टू

रविकांत


मेरे मोबाइल में विजय का नाम नहीं है
न ही रामवीर का

हालाँकि तीन साल से साथ हूँ उनके
सुबह से रात तक करता हूँ उनसे बातें
लेता हूँ काम उनसे किसिम-किसिम के

तंबाकू खाने गए विजय को बुलाने के लिए
मोबाइल पर लिखता हूँ - ड्राइवर वन

सुबह-सुबह
मोबाइल पर लिख कर आता है
- 'ड्राइवर टू'
तो कहता हूँ खुशी से ऐंठ कर
- हाँ, बोलो रामवीर

 


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हिंदी समय में रविकांत की रचनाएँ