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कविता

राह

रविकांत


तुम्हारी राह आसान है
और मेरी भी
राह आसान होती है सबकी

अपनी आसान राह पर
चलना बंद कर देते हैं हम
राह कठिन हो जाती है

हमारे कदम
आसान हो जाते हैं
लंबी हो जाती हैं राहें

हम अपने पौरुष को
अपनी आसानियों के हाथों
गिरवी रखते हैं

 


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हिंदी समय में रविकांत की रचनाएँ