मेरे भीतर इन दिनों जो उमग रही है पुकार
आऊँगा
इसी के सहारे आऊँगा
और कहूँगा एक दिन
चलो साँसें उलझाएँ...
हिंदी समय में कुमार अनुपम की रचनाएँ