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कविता

व्यक्तिगत

दिविक रमेश


चौराहे पर खड़ा रिक्शा
इंतजार करता रह गया

सिटी बस सर्विस ने
यही तोहफा दिया है उसे

धीमे-धीमे
अपनी ही मौत का इंतजार

 


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हिंदी समय में दिविक रमेश की रचनाएँ