संत की देन
दुनिया भर में पुरुषों के अधोवस्त्र के तौर पर सर्वाधिक लोकप्रिय पोशाक पैंट या ट्राउजर ही है। इस विदेशी शैली के वस्त्र से भारत के लोग पंद्रहवीं सदी के आसपास यूरोपीय लोगों के आने के बाद ही परिचित हुए। अठारहवीं-उन्नीसवीं सदी में भारत के पढ़े-लिखे तबके ने इसे अपनाया और शहरी समाज में इसे स्वीकार कर लिया गया। इसकी लोकप्रियता के पीछे अंग्रेजी शिक्षा और फैशन का हाथ था तो दूसरी ओर धोती की तुलना में इसका आरामदेह होना भी था। गौरतलब है कि भारतीय समाज में अंग्रेजों के आने से पहले धोती ही पुरुषों की आम पोशाक थी। आज भी गाँवों में इसे पहना जाता है। पैंट का देशी रूप हो गया पतलून। पतलून उच्चारण दरअसल उर्दू की देन है। आखिर इस शब्द के मायने क्या हैं?

यह बात अजीब लग सकती है कि जिस पैंट या पतलून को नए जमाने की चीज कहकर किसी जमाने में हमारे बुजुर्ग नाक-भौं सिकोड़ा करते थे, उसके पीछे एक यूरोपीय यायावर-संत का नाम जुड़ा है। चौथी सदी के वेनिस में पैंटलोन नाम के एक रोमन कैथोलिक संत रहा करते थे। वे अपने शरीर के निचले हिस्से में ढीला-ढाला वस्त्र पहनकर यहाँ-वहाँ घुमक्कड़ी करते थे। कुछ कथाओं के मुताबिक ये संत बाद में किसी धार्मिक उन्माद का शिकार होकर लोगों के हाथों मारे गए। कहा जाता है कि जब वेनिसवासियों को अपनी भूल का एहसास हुआ तो पश्चात्ताप करने के लिए कुछ लोगों ने संत जैसा बाना धारण कर लिया। बाद में इस निराली धज को ही पैंटलोन का नाम मिल गया जो बाद में पैंट के रूप में संक्षिप्त हो गया।
पैंटलोन शब्द का रिश्ता इटली के पॉपुलर कॉमेडी थिएटर का एक मशहूर चरित्र रहा है जिसे अक्सर सनकी, खब्ती बूढ़े के तौर पर दिखाया जाता रहा। यह अजीबोगरीब चरित्र भी अपने चुस्त अधोवस्त्र की वजह से मशहूर था।
किस्सा बंधन का
संस्कृत की बंध् धातु से ही बना है हिंदी का बंधन शब्द। इसी तरह रोकना, ठहराना, दमन करना जैसे अर्थ भी बंध् में निहित हैं। हिंदी-फारसी सहित यूरोपीय भाषाओं में भी इस बंधन का अर्थ विस्तार जबर्दस्त रहा। जिससे आप रिश्ते के बंधन में बँधे हों वह कहलाया बंधु अर्थात भाई या मित्र। इसी तरह, जहाँ पानी को बंधन में जकड़ दिया तो वह कहलाया बाँध। बंधन में रहने वाले व्यक्ति के संदर्भ में अर्थ होगा बंदी यानी कैदी। इससे ही बंदीगृह जैसा शब्द भी बना। बहुत सारी चीजों को जब एक साथ किसी रूप में कस या जकड़ दिया जाए तो बन जाता है बंडल। गौर करें तो हिंदी-अंग्रेजी में इस तरह के और भी कई शब्द मिल जाएँगे - मसलन, बंधन, बंधुत्व, बाँधना, बंधेज, बाँधनी, बाँध, बैंडेज, बाउंड, रबर बैंड, बाइंड, बाइंडर वगैरह-वगैरह। अंग्रेजी के बंडल और फारसी के बाज प्रत्यय के मेल से हिंदी में एक मुहावरा भी बना है - बंडलबाज, जिसका मतलब हुआ गपोड़ी, ऊँची हाँकने वाला, हवाई बातें करने वाला या ठग। इस रूप में आपस में गठबंधन करने वाले सभी नेता बंडलबाज हुए कि नहीं?
बात करें फारसी में संस्कृत बंध् के प्रभाव की। जिस अर्थ प्रक्रिया ने हिंदी में कई शब्द बनाए उसी के आधार पर फारसी में भी कई लफ्ज बने हैं जैसे बंद: जिसे हिंदी में बंदा कहा जाता है। इस लफ्ज के मायने होते हैं गुलाम, अधीन, सेवक, भक्त वगैरह। जाहिर-सी बात है कि ये तमाम अर्थ भी एक व्यक्ति का दूसरे के प्रति बंधन ही प्रकट कर रहे हैं। इसी से बना बंदापरवर यानी प्रभु, ईश्वर। वही तो भक्तों की देखभाल करते हैं। प्रभु के साथ लीन हो जाना, बँध जाना ही भक्ति है, इसीलिए फारसी में भक्ति को कहते हैं बंदगी। इसी तरह एक और शब्द है बंद, जिसके कारावास, अंगों का जोड़, गाँठ, खेत की मेड़, नज्म या नग्मे की एक कड़ी जैसे अर्थों से भी जाहिर है कि इसका रिश्ता बंध् से है।