तीनों गोया बिजली गुल होने का इंतजार करतीं। बिजली जाने का मतलब उनके हुड़दंग के समय की आमद।
कल शाम साढ़े छह बजते ही जैसे बिजली उड़न-छू हुई, तीनों दौड़ती हुई सामने के कमरे में दाखिल हो गईं।
यूँ वैसे भी अँधेरा हो गया था, तिस पर मुझे पिछले कुछ दिनों से कम दिखाई दे रहा था, सो इतिहास की उस किताब को जिसे मैं गत दो घंटे से पढ़ रहा था, बंद कर अलमारी
में रख देने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था। लेकिन यह जाहिर करने के लिए कि मैंने उनके हुड़दंग की वजह से पढ़ना बंद किया है, तीनों पर गुस्सा जाहिर करते
हुए मैंने कहा, ''कितना शोर करते हो तुम लोग, पढ़ने भी नहीं देते।" लेकिन मेरी ओर से बेपरवाह तीनों कमरे में अपनी-अपनी जगह मुकम्मल करने लगीं, आखिर बिजली तीन
घंटे बाद आने वाली थी।
क्योंकि बिजली रोज शाम तय समय पर ही गुल होती थी, इसलिए तीनों ने हर दिन के हिसाब से लोड-शेडिंग के वक़्त के लिए खेल निर्धारित कर रखे थे, जैसे हर इतवार को
अंताक्षरी, हर सोमवार को बूझो पहेली, मंगलवार को मुहावरा-मुहावरा, बुधवार को कहानियाँ बनाओ, गुरुवार को अंग्रेजी स्वरों का खेल जैसे ए-इ-आइ-ओ-यू से शुरू होने
वाले शब्दों की अंताक्षरी, शुक्रवार को गणित के सवालों का खेल और हर शनिवार को सामान्य ज्ञान के खेल।
आज सामान्य ज्ञान के खेल का दिन था और आज पहला सवाल पूछने की बारी मझली बिटिया की थी। मझली बिटिया अपनी बहनों से सवाल पूछते समय अक्सर बेवकूफ लगने की कोशिश करती
है। हाँ, किसी और से, मतलब कि शिक्षक से या मुझसे या आपसे सवाल पूछेगी कि तो ऐसे सवाल पूछेगी, "परछाई तो रोशनी से बनती है फिर वह रोशनी पर हावी होने की कोशिश
क्यों करती है?" लेकिन अभी तो उसे अपनी बहनों से सवाल पूछना था, वह भी सामान्य ज्ञान का, तो उसने सवाल पूछा, "एक पेड़ पर दस चिड़िया बैठी हैं, पेड़ के पास ही एक
शिकारी बंदूक लिए घूम रहा है, शाम होने वाली है और वह शिकार नहीं मिल पाने की वजह से खिसियाया हुआ है, चिड़ियों के कलरव से उसकी खीझ गुस्से में बदल जाती है और
वह बंदूक उठा कर उन दस चिड़ियों पर गोली चला देता है, गोली से एक चिड़िया मर जाती है, तो बताओ पेड़ पर कितनी चिड़िया बचीं?"
दोनों बहनें जानती थीं कि मझली हमेशा की तरह उनसे सामान्य ज्ञान के नाम पर फालतू सवाल ही पूछेगी। बड़ी बहन मझली से खूब चिढ़ती है, उसे लगता है कि यह जब से इस
दुनिया में आई है, मम्मी-पापा ने उसकी तरफ ध्यान देना कम कर दिया है, सो वह हर बात पर मझली को नीचा दिखाने की कोशिश करती है, आज फिर उसे मौका मिला था, मझली के
सामान्य ज्ञान के सवाल के जवाब में उसने कहा, "ऐसा सवाल तो कोई बेवकूफ ही पूछेगा कि जिसका जवाब दो साल के बच्चे को भी मालूम हो। अरे जब शिकारी गोली चलाएगा, तो
भले एक चिड़िया ही मरे, बाकी तो गोली की आवाज सुनकर ही उड़ जाएँगी न...' इतना कहकर बड़ी जोर-जोर से ताली पीटकर ऐसे हँसने लगी जैसे मझली को ही पीट रही हो।
मझली ने उसकी हँसी की नकल उतारते हुए सबसे छोटी बहन की तरफ देखा, छोटी बहुत गुस्से में मझली की तरफ ही देख रही थी और जैसे ही मझली की आँख उससे मिली, जोर से
चिल्लाते हुए बोली, "नहीं, अब चिड़ियों को गोली की आवाज से डर कर उड़ना बंद करना होगा। उन्हें तो गोली चलाने वाले शिकारी पर झपट पड़ना चाहिए और चोंच मार-मार के
उस शिकारी की आँख फोड़ देनी चाहिए ताकि जिंदगी भर वह शिकारी उस क्षण को कोसते हुए बिताए, जिस क्षण उसने गोली चलाई थी। फिर आँख फोड़ने के चक्कर में भले ही एक-दो
और चिड़ियों की जान क्यों न चली जाए...।''
इतना कहकर वह जोर-जोर से हाँफने लगी। दोनों बहनें सन्न अपनी छोटी बहन को देख रही थीं और मुझे लगा कि दुनिया के हर पुरुष की आँख अभी-अभी चिड़ियों के चोंच मारे
जाने की वजह से लहूलुहान है...।