hindisamay head


अ+ अ-

कविता

हिस्सा

नरेश सक्सेना


बह रहे पसीने में जो पानी है वह सूख जाएगा
लेकिन उसमें कुछ नमक भी है
जो बच रहेगा

टपक रहे खून में जो पानी है वह सूख जाएगा
लेकिन उसमें कुछ लोहा भी है
जो बच रहेगा

एक दिन नमक और लोहे की कमी का शिकार
तुम पाओगे खुद को और ढेर सारा
खरीद भी लाओगे
लेकिन तब पाओगे कि अरे
हमें तो अब पानी भी रास नहीं आता
तब याद आएगा वह पानी
जो तुम्हारे देखते-देखते नमक और लोहे का
साथ छोड़ गया था

दुनिया के नमक और लोहे में हमारा भी हिस्सा है
तो फिर दुनिया भर में बहते हुए खून और पसीने में
हमारा भी हिस्सा होना चाहिए।

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में नरेश सक्सेना की रचनाएँ