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कविता

ओइ के खंडहर

नरेश सक्सेना


(उत्तरी अफ्रीका में रोमन साम्राज्य के अवशेष }

गोरी औरतें सज रही हैं

अभी गुलाम आएँगे
काली पीठों पर कोड़े खाते हुए
उन्हें याद आएँगे अपने बिके हुए शिशु
जब गोरे बच्चे हँसते हुए उन्हें दिखेंगे
जो सीख रहे होंगे बोझा ढोना
काली पीठों पर
कोड़े खाते हुए अनजाने देशों में

वहाँ भी सज रही होंगी गोरी औरतें
गोरे बच्चे हँस रहे होंगे।

 


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हिंदी समय में नरेश सक्सेना की रचनाएँ