उनमें आदमियों का नहीं एक जंगल का बचपन है जंगल जो हरियाली से काट दिए गए हैं और अब सिर्फ आग ही हो सकते हैं नहीं बच्चे फूल नहीं होते फूल स्कूल नहीं जाते स्कूल जलते हुए जंगल नहीं होते।
हिंदी समय में नरेश सक्सेना की रचनाएँ