सूर्य का दुश्मन नहीं हूँ किंतु फिर भी देखना है पश्चिमी आकाश पर टकटकी बाँधे सूर्यमुखी जरा देर बाद किधर देखेंगे।
हिंदी समय में नरेश सक्सेना की रचनाएँ