वह सिर्फ सूरज ही होता है जो मारा जाता है हर शाम और फिर रोशनियों के कटे हुए सिर टाँग दिए जाते हैं खंभों से ताकि ऐसी बदमाशी करने का साहस फिर किसी और में न हो और सचमुच किसी में नहीं होता वह सिर्फ सूरज ही होता है हर सुबह।
हिंदी समय में नरेश सक्सेना की रचनाएँ