hindisamay head


अ+ अ-

कविता

परिवर्तन

नरेश सक्सेना


बरसों से बंद पड़ी हवेली में
कोई नहीं आया था
एक दिन आई आँधी
उसके साथ आई धूल
सूखे हुए पत्ते और तिनके और कागज के टुकड़े
पूरी हवेली एक अजीब ताजगी से भर गई।

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में नरेश सक्सेना की रचनाएँ