कितनी ताकत से किनारे की तरफ झपटती हैं लहरें लेकिन अपनी सीमा के बाहर एक कदम नहीं बढ़ातीं लगातार छटपटाता है समुद्र।
हिंदी समय में नरेश सक्सेना की रचनाएँ