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					ऐसे भी होते हैं क्षण जब हमेंचिंतित नहीं करते जीवन के भयानक झंझावात,
 जब कंधों पर हमारे रख देता है कोई हाथ
 झाँकने लगता है निष्कलुष हमारी आँखों में।
 
 तत्काल डूब जाते हैं दैनिक जीवन के झंझट
 जैसे कहीं अथाह गहराइयों में
 धीरे-धीरे गह्वर के ऊपर
 इंद्रधनुष की तरह उठने लगता है मौन।
 
 एक युवा और धीमी-सी लय
 छूने लगती है दबे हुए-से मौन में
 वीणा की तरह कसे हृदय के
 जीवन द्वारा सुलाए एक-एक तार।
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