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यहाँ कुछ रहा हो तो हम मुँह दिखाएँ
उन्होंने बुलाया है क्या ले के जाएँ
कुछ आपस में जैसे बदल-सी गयी हों
हमारी दुआएँ तुम्हारी बलाएँ
तुम एक् खाब थे जिसमें खुद खो गये हम
तुम्हें याद आएँ तो क्या याद आएँ
वो एक बात जो जिंदगी बन गयी है
जो तुम भूल जाओ तो हम भूल जाएँ
वो खामोशियाँ जिनमें तुम हो न हम हैं
मगर हैं हमारी तुम्हारी सदाएँ
बहुत नाम हैं एक 'शमशेर' भी है
किसे पूछते हो, किसे हम बताएँ
(1945)
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