hindisamay head


अ+ अ-

कविता

बोध

शमशेर बहादुर सिंह


जब उस कवि के
रुँधे स्‍वरों से

जिज्ञासा-उर खुले, खुँदे -
रक्तिम तम के
            गहन देश में
भव के पलक
मुँदे।

(1940)

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में शमशेर बहादुर सिंह की रचनाएँ



अनुवाद