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कविता

जिस समय में

कुँवर नारायण


जिस समय में
सब कुछ
इतनी तेजी से बदल रहा है

वही समय
मेरी प्रतीक्षा में
न जाने कब से
ठहरा हुआ है !

उसकी इस विनम्रता से
काल के प्रति मेरा सम्मान-भाव
कुछ अधिक
गहरा हुआ है।

 


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हिंदी समय में कुँवर नारायण की रचनाएँ



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