जिस समय में सब कुछ इतनी तेजी से बदल रहा है वही समय मेरी प्रतीक्षा में न जाने कब से ठहरा हुआ है ! उसकी इस विनम्रता से काल के प्रति मेरा सम्मान-भाव कुछ अधिक गहरा हुआ है।
हिंदी समय में कुँवर नारायण की रचनाएँ
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कविताएँ