अब मैं एक छोटे-से घर और बहुत बड़ी दुनिया में रहता हूँ कभी मैं एक बहुत बड़े घर और छोटी-सी दुनिया में रहता था कम दीवारों से बड़ा फर्क पड़ता है दीवारें न हों तो दुनिया से भी बड़ा हो जाता है घर।
हिंदी समय में कुँवर नारायण की रचनाएँ
अनुवाद
कविताएँ