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उसने कहा था

ग्राउचो मार्क्स

अनुवाद - मनोज पटेल


हालाँकि आमतौर पर लोग इस बात को जानते हैं, पर मुझे लगता है कि यह जताने का समय आ गया है कि मैं बहुत कम उम्र में पैदा हो गया था।

मैंने तार भेजकर क्लब से कहा, ‘कृपया मेरा इस्तीफा मंजूर कर लें। मैं ऐसे किसी क्लब से नहीं जुड़ना चाहता जो मेरे जैसे शख्स को सदस्य के रूप में स्वीकार कर ले।’

अपने सबसे अच्छे दोस्त की नाकामयाबी पर कोई भी पूरी तौर पर दुखी नहीं होता।

मेरे पास कोई तस्वीर नहीं है। मैं तुम्हें अपने पैरों के निशान देता हूँ, मगर वे ऊपर हैं, मेरे मोजों में।

टेलीविजन को मैंने बहुत शिक्षाप्रद पाया। जब भी कोई उसे चालू करता है मैं दूसरे कमरे में जाकर कोई कायदे की किताब पढ़ता हूँ।

न्याय के लिए सैन्य न्याय वही है जो संगीत के लिए सैन्य संगीत है।

अपने नाक-नक्श उसने अपने पिता से पाए हैं। वे एक प्लास्टिक सर्जन हैं।

ये मेरे सिद्धांत हैं, और यदि ये आपको पसंद नहीं... ठीक है, और भी हैं मेरे पास।

तुम्हारी किताब उठाते ही, जब तक मैंने उसे रख नहीं दिया, हँसते-हँसते मेरे पेट में बल पड़ गए। किसी दिन मैं उसे पढ़ने का भी इरादा रखता हूँ।

मुझे अपना सिगार पसंद है, मगर कभी-कभी मैं उसे अपने मुँह में से निकाल भी दिया करता हूँ।

अगर कोई काली बिल्ली तुम्हारा रास्ता काट जाए तो इसका मतलब है कि वह कहीं जा रही है।

यह चाहे जो हो, मैं इसके खिलाफ हूँ।

या तो यह आदमी मर चुका है या मेरी घड़ी बंद हो गई है।

मैं हर तरह के पूर्वाग्रहों से मुक्त हूँ। मैं सबसे एक बराबर नफरत करता हूँ।

विवाह एक अद्भुत संस्था है... मगर एक संस्था में रहना कौन चाहता है?

मैं छह और सालों तक लोलिता पढ़ना टाल दूँगा जब तक कि वह 18 की नहीं हो जाती।

अगली बार जब मैं तुमसे मिलूँ, याद दिला देना कि मुझे तुमसे बात नहीं करनी है।

अस्पताल का बिस्तर ऐसी खड़ी हुई टैक्सी की तरह होता है जिसका मीटर चल रहा हो।

इससे पहले कि मैं बोलूँ, मुझे कुछ जरूरी बात कहनी है।

सभी लोग एक जैसे पैदा होते हैं... सिवाय रिपब्लिकनों और डेमोक्रेटों के।

हँसो तो तुम्हारे साथ पूरी दुनिया हँसती है, रोओ तो शायद तुम गलत चैनल देख रहे हो।

(साभार : पढ़ते पढ़ते http://padhte-padhte.blogspot.in)


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