hindisamay head


अ+ अ-

कविता

जाने से पहले

रति सक्सेना


बंद करने होंगे
सभी दरवाजे, एक एक कर के

हर दरवाजे की चरमराहट को सुनना होगा
हौले सिर सहलाना होगा

लेकिन कभी भूल कर भी नहीं करना
वायदा, फिर कभी लौटने का

दरवाजे पर छोड़ देना है
कि वह तुम्हारे बाद किसके लिए खुलेगा

जाने से पहले
मिटाने होंगे पदचिह्न
और हाथों के निशान, जिन्हें
शायद किसी की जरूरत ना पड़े

जाने से पहले गठरी में बाँध कर रख देने हैं
सभी किस्से, जिनमें जंग लगी हो
और मेज पर सजा देनी हैं
वे खिलखिलाहटें,

जाने से पहले पढ़ लेनी हैं सब किताबें
और निकाल फेंकने हैं वे सूखे फूल
जो तुमने अपने को याद दिलाने के लिए रखे हैं

जाने से पहले मिटानी होंगी सारी लकीरें
खोल देनी होंगे सारी गाँठें

और फिर जम कर मुस्कुराना होगा कि
जिंदगी होंठों के कोनों पर आ बैठे

जाने से पहले बंद करो बस एक दरवाजा
सब अपने आप बंद हो जाएँगे

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में रति सक्सेना की रचनाएँ



अनुवाद