ग
हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह कोमल तालव्य, सघोष, अल्पप्राण स्पर्श है।
ग़
उच्चारण की दृष्टि से यह कोमल तालव्य, सघोष संघर्षी है। अरबी-फ़ारसी से आगत शब्दों में इस वर्ण का प्रयोग किया जाता है। हिंदी वर्णमाला में यह अभी तक सम्मिलित
नहीं किया गया है।
गँगेटी
(सं.) [सं-स्त्री.] दवा के काम आने वाली एक प्रकार की जड़ी-बूटी या वनौषधि।
गँगेरुवा
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का पहाड़ी वृक्ष।
गँगौटी
[सं-स्त्री.] गंगा के किनारे की बालू या मिट्टी।
गँजना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. ढेर लगना 2. भरा जाना 3. इकट्ठा होना।
गँजाई
[सं-स्त्री.] ढेर लगाने की क्रिया या भाव; (डंपिंग)।
गँजेड़ी
[वि.] 1. गाँजा पीने वाला 2. गंजी।
गँठीली
(सं.) [वि.] 1. गठी हुई 2. जिसमें गाँठे हो; गाँठदार 3. मज़बूत; दृढ़।
गँड़दार
(सं.+फ़ा.) [सं-पु.] महावत; हाथीवान; पीलवान।
गँड़रा
(सं.) [सं-पु.] 1. मूँज की तरह की एक घास जो तर ज़मीन में होती है 2. धान की एक प्रजाति।
गँड़ासा
[सं-पु.] 1. घास काटने का एक धारदार औज़ार 2. हँसिए की तरह का एक औज़ार जिससे पशुओं का चारा काटा जाता है।
गँड़ेरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ईख या गन्ने का छोटा टुकड़ा जो चूसने के काम आता है 2. कोल्हू में पेरने के लिए काटे गए गन्ने के छोटे टुकड़े 3. किसी चीज़ का छोटा टुकड़ा।
गँदला
[वि.] 1. (पानी) जो स्वच्छ न हो; दूषित 2. गंदा; मैला 3. जिसमें धूल-मिट्टी मिली हुई हो।
गँधोला
[वि.] अप्रिय या बुरी गंधवाला; दुर्गंधयुक्त; बदबूदार।
गँवाऊ
[वि.] गँवाने वाला; धन-संपत्ति नष्ट करने वाला।
गँवाना
[क्रि-स.] 1. खोना; कोई चीज़ हाथ से निकल जाना देना 2. नष्ट करना 3. दूर करना; हटा देना।
गँवार
[वि.] 1. जो शिष्ट न हो 2. अनजान; अनाड़ी 3. अशिक्षित; असभ्य।
गँवारपन
[सं-पु.] 1. गँवार होने की अवस्था या भाव 2. देहातीपन 3. अनाड़ीपन; मूर्खता।
गँवारू
[वि.] 1. गँवार जैसा 2. असभ्य; अशिष्ट; बेअक्ल 3. भोंदू; भौंडा; बेढंगा।
गँसीला
[वि.] 1. तीर के समान नोंकदार 2. चुभने वाला 3. गफ; गसा हुआ।
गंग
(सं.) [सं-पु.] 1. एक मात्रिक छंद 2. भक्तिकाल के एक प्रसिद्ध हिंदी कवि।
गंगई
[सं-स्त्री.] मैना की जाति की गहरे भूरे रंग की एक चिड़िया; गलगलिया।
गंगबरार
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] गंगा या किसी अन्य नदी की धारा के पीछे हटने से निकली ज़मीन।
गंगला
[सं-पु.] 1. एक प्रकार के शलजम का पौधा 2. उक्त पौधे से प्राप्त शलजम।
गंगा
(सं.) [सं-स्त्री.] भारत की एक प्रसिद्ध तथा पवित्र नदी जो हिमालय से निकलकर बंगाल की खाड़ी में मिलती है; जाह्नवी; भागीरथी। [मु.] -नहाना :
किसी कार्य से मुक्ति पाना; किसी दायित्व को पूर्ण करना।
गंगांबु
(सं.) [सं-पु.] गंगा नदी का जल; गंगाजल; गंगोदक; ब्रह्मद्रव।
गंगागति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मृत्यु 2. मोक्ष; मुक्ति।
गंगा-जमुनी
[सं-स्त्री.] 1. कान का एक गहना 2. वह दाल जिसमें अरहर और उड़द की दाल मिली हो; केवटी दाल 3. ज़रदोज़ी का ऐसा काम जिसमें सुनहले और रुपहले दोनों रंग के तार हों।
[वि.] 1. मिलाजुला; संकर; दुरंगा 2. जिसमें सामाजिक और सांस्कृतिक सद्भाव हो; समन्वय वाली।
गंगाजल
(सं.) [सं-पु.] 1. गंगा नदी का पानी; गंगोदक 2. एक प्रकार का रेशमी कपड़ा। [मु.] -उठाना : शपथपूर्वक कहना।
गंगाजली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का गेहूँ जो भूरे रंग का और कड़ा होता है 2. काँच या धातु की बनी हुई सुराही या शीशी जिसमें यात्री गंगाजल भरकर ले जाते हैं;
सुमेर 3. धातु की बनी हुई सुराही जिसमें पीने के लिए पानी रखा जाता है 4. लोटे जैसा एक पात्र जिसमें कड़ीदार ढक्कन लगा रहता है।
गंगाधर
(सं.) [सं-पु.] 1. शिव; महादेव 2. समुद्र 3. एक वर्णिक छंद; खंजन छंद।
गंगापाट
[सं-पु.] घोड़े की पीठ या पेट पर पड़ने वाली भौंरी जो उसकी जीन के नीचे होती है।
गंगापुत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. (महाभाष्य) भीष्म 2. पवित्र नदियों के तट पर या तीर्थस्थानों में रहने वाली ब्राह्मणों की एक उपजाति।
गंगापूजा
(सं.) [सं-स्त्री.] विवाह के बाद की एक रीति जिसमें वर-वधू को लेकर गाजे-बाजे के साथ गंगा एवं अन्य देवताओं की पूजा की जाती है; कंगन छोड़ना; बरनवार।
गंगा मैया
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गंगा नदी 2. (पुराण) गंगा नामक देवी 3. सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के कारण भारत में गंगा नदी को माता या देवी स्वरूप माना गया
है।
गंगायात्रा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मरणासन्न व्यक्ति का गंगा के तट पर मरने के लिए गमन 2. मृत्यु; स्वर्गवास।
गंगाल
[सं-पु.] पानी रखने का धातु निर्मित चौड़े मुँह का एक बड़ा बरतन; कंडाल।
गंगालाभ
(सं.) [सं-पु.] 1. गंगा की प्राप्ति 2. मृत्यु 3. गंगातट पर दाह संस्कार का होना।
गंगावतरण
(सं.) [सं-पु.] स्वर्ग से गंगा का पृथ्वी पर आना।
गंगावासी
(सं.) [वि.] गंगा के तट पर रहने वाला।
गंगासागर
(सं.) [सं-पु.] 1. बंगाल की खाड़ी में कोलकाता से अस्सी मील दक्षिण में स्थित एक द्वीप 2. गंगा नदी तथा सागर का संगम स्थल 3. उक्त के पास का वह स्थान जहाँ गंगा
नदी समुद्र में मिलती है जिसे एक तीर्थ माना जाता है 2. पानी परोसने का एक टोंटीदार बरतन 3. खद्दर की छापेदार ज़नानी धोती।
गंगासुत
(सं.) [सं-पु.] गंगापुत्र; भीष्म।
गंगेश
(सं.) [सं-पु.] शिव; महादेव।
गंगोत्री
(सं.) [सं-स्त्री.] गढ़वाल में हिमालय पर्वत पर एक स्थान जहाँ से गंगा निकलती है; गंगा नदी का उद्गम स्थल।
गंगोदक
(सं.) [सं-पु.] 1. गंगाजल 2. चौबीस अक्षरों का एक वर्णवृत्त।
गंगोद्भेद
(सं.) [सं-पु.] 1. गंगा का उद्गमस्थल; गंगोत्री 2. प्रयाग में जिस स्थान से गंगा तथा यमुना की धारा अलग हुई वह स्थल।
गंगोल
(सं.) [सं-पु.] एक प्रसिद्ध मणि या रत्न; गोमेद।
गंगौटी
[सं-स्त्री.] गंगा के किनारे की रेत या मिट्टी।
गंगौलिया
[सं-पु.] एक प्रकार का नीबू जो बहुत ही खट्टा होता है।
गंज1
[सं-पु.] 1. बाल झड़ने वाला एक रोग 2. सिर में निकलने वाली छोटी-छोटी फुंसियाँ 3. बालखोरा रोग 4. गंजापन 5. भगौना; खाना पकाने का बरतन।
गंज2
(फ़ा.) [परप्रत्य.] कुछ नामों के अंत में लगकर बस्तियों या बाज़ारों का अर्थ देता है, जहाँ व्यापारी रहते और व्यापार करते हैं, जैसे- किशनगंज।
गंजगोला
[सं-पु.] तोप का एक प्रकार का गोला जिसमें बहुत-सी छोटी गोलियाँ भरी होती हैं।
गंजचाकू
[सं-पु.] एक प्रकार का चाकू जिसमें फल के अतिरिक्त कई अन्य उपकरण कैंची आदि लगे होते हैं।
गंजन
(सं.) [सं-पु.] 1. तिरस्कार; अवज्ञा 2. दुर्दशा; दुर्गति 3. नष्ट या परास्त करने की क्रिया या भाव। [वि.] 1. नष्ट करने वाला 2. तिरस्कार या अवज्ञा करने वाला।
गंजा
[सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसके सिर के बाल झड़ गए हों 2. गंज रोग से ग्रसित व्यक्ति।
गंजिका
(सं.) [सं-स्त्री.] मदिरालय; शराबख़ाना।
गंजीफ़ा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक खेल जो आठ रंग के छियानवे पत्तों से खेला जाता था 2. उक्त तरीके से खेला जाने वाला खेल 3. ताश का खेल।
गंड
(सं.) [सं-पु.] 1. गाल; कपोल 2. कनपटी 3. गले में पहनने का काला धागा; गंडा 4. फोड़ा; फुंसी 5. चिह्न; निशान; दाग 6. घेंघा 7. गाँठ 8. मंडलाकार रेखा 9. नाटक का
कोई अंगविशेष 10. (ज्योतिष) एक अनिष्ट योग 11. वह रोग जिसमें शरीर के अंदर की छोटी गोल ग्रंथियाँ सूज जाती हैं; गिलटी।
गंडक
(सं.) [सं-पु.] 1. गले में पहनने का गंडा या जंतर 2. गाँठ 3. निशान; चिह्न; लकीर; दाग 4. गैंडा 5. बिहार और नेपाल में बहने वाली एक नदी।
गंडमंडल
(सं.) [सं-पु.] कान और आँख के बीच का स्थान; कनपटी; कर्णपटी; गंडस्थल।
गंडमाला
(सं.) [सं-स्त्री.] कंठमाला नामक रोग।
गंडमाली
(सं.) [वि.] कंठमाला का रोगी।
गंडस्थल
(सं.) [सं-पु.] कान और आँख के बीच का स्थान; कनपटी; कर्णपटी।
गंडा
(सं.) [सं-पु.] 1. (लोकमान्यता) मंत्र पढ़कर गाँठ लगाया हुआ वह धागा जो रोग या प्रेतबाधा दूर करने के लिए गले या हाथ में बाँधते हैं 2. रस्सी, कपड़े आदि में
विशेष प्रकार से फेरा देकर बनाया हुआ बंधन या गाँठ 3. पशुओं के गले में बाँधा जाने वाला कौड़ियों और घुँघरू लगा पट्टा 4. तोते, चिड़ियों आदि के ऊपर पाई जाने
वाली आड़ी या गोलाकार धारी।
गंडिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का छोटा पत्थर 2. एक पेय पदार्थ।
गंडु
(सं.) [सं-पु.] 1. ग्रंथि; गाँठ 2. हड्डी; अस्थि।
गंडूल
(सं.) [वि.] 1. गाँठदार; जिसमें गाँठें हों 2. वक्र; टेढ़ा 3. झुका हुआ।
गंडूष
(सं.) [सं-पु.] 1. हथेली का गड्ढा; चुल्लू 2. पानी का कुल्ला 3. हाथी की सूँड़ का अगला भाग।
गंडेरी
(सं.) [सं-स्त्री.] दे. गँड़ेरी।
गंतव्य
(सं.) [सं-पु.] 1. मंजिल; लक्ष्य 2. ठिकाना; घर 3. पता; दिशा। [वि.] 1. जहाँ कोई जा रहा हो; गम्य 2. गमन योग्य।
गंतुक
[वि.] जाने वाला।
गंत्रिका
[सं-स्त्री.] बैलों से खींची जाने वाली गाड़ी; बैलगाड़ी।
गंद
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. गँदलापन; मटमैलापन 2. मलिनता; मैलापन 3. अपवित्रता 4. दुर्गंध; बदबू 5. दोष; ख़राबी 6. अशुद्धि 7. बुरी चीज़; बुरी बात।
गंदगी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. गंदा होने का भाव; कूड़ाकचरा 2. मैलापन; मलिनता 3. अशुद्धता; मैल 3. मल; विष्ठा 4. अपवित्रता; नापाकी 5. सड़ाँध; बदबू 6. प्रदूषण 7.
{ला-अ.} कोई गलत बात या कार्य।
गंदा
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें मैल लगा हो; गंदगी से युक्त; मलिन; मैला 2. अशुद्ध; विषाक्त 3. जिसकी धुलाई न हुई हो 4. अश्लील 5. प्रदूषित; अशुद्ध 6. नापाक; बुरा;
निंदनीय 6. रोगकारक 7. संक्रामक 8. {ला-अ.} जो शिष्ट न हो, जैसे- गंदी बात।
गंदापन
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. गंदा होने की अवस्था या भाव 2. मलिन होने की अवस्था या भाव 3. अपवित्रता; अशुद्धि; अस्वच्छता 4. अघोरीपन।
गंदुम
(फ़ा.) [सं-पु.] गेहूँ; गोधूम।
गंदुमी
(फ़ा.) [वि.] 1. गेहूँ के रंग का; गेहुआँ 2. गेहूँ या उसके आटे का बना हुआ।
गंध
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. महक; ख़ुशबू; सुगंध 2. बास; बू 2. पृथ्वी तत्व का गुण 3. सूँघने पर होने वाली अनुभूति 4. चंदन, केशर आदि का लेप 5. ख़ुशबूदार पदार्थ;
इत्र; (परफ़्यूम) 6. बहुत थोड़ा या नाम मात्र का अंश; लेशमात्र।
गंधक
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पीले रंग का और कुछ तीव्र गंध वाला एक प्रसिद्ध ज्वलनशील पदार्थ जिसका प्रयोग रसायन और वैद्यक में होता है 2. वैद्यक के अनुसार एक उपधातु।
गंधकारी
(सं.) [वि.] गंध उत्पन्न करने वाला।
गंधकी
[सं-पु.] एक रंग जो कुछ सफ़ेदी लिए पीला होता है। [वि.] 1. गंधक के रंग का 2. हलका पीला।
गंधद्रव्य
(सं.) [सं-पु.] सुगंध देने वाला पदार्थ; सुगंधित पदार्थ।
गंधपत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. बेल; श्रीफल; सदाफल 2. सफ़ेद तुलसी 3. मरुआ नामक एक औषधीय पौधा 4. वन तुलसी।
गंधबंधु
(सं.) [सं-पु.] आम का वृक्ष और उसका फल।
गंधबिलाव
(सं.) [सं-पु.] जंगली बिल्ली की प्रजाति का एक जीव जिसके अंडकोश से एक प्रकार का सुगंधित तरल पदार्थ निकलता है; गंधमार्जार।
गंधमादन
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) एक पर्वत जिसकी अवस्थिति इलावृत्त और भद्राश्व खंड़ों के मध्य मानी गई है 2. उक्त पर्वत पर लगा हुआ सुगंधित औषधियों से युक्त जंगल 3.
एक सुगंधित द्रव्य 4. गंधक 5. भौंरा 6. (रामायण) राम की सेना का प्रधान बंदर 7. रावण का एक नाम। [वि.] गंध से उन्मत्त करने वाला।
गंधमादनी
(सं.) [सं-स्त्री.] मदिरा; मद्य; दारू; सुरा; शराब।
गंधमार्जार
(सं.) [सं-पु.] बिल्ली के आकार-प्रकार का किंतु उससे भिन्न प्रजाति का एक स्तनधारी मांसाहारी जीव जिसके अंडकोश से सुगंधित द्रव निकलता है; गंधबिलाव;
कस्तूरीबिलाव।
गंधराज
(सं.) [सं-पु.] 1. चंदन 2. मोगरा; बेला 3. नख नामक सुगंध द्रव्य।
गंधर्व
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) एक देवता जो स्वर्ग में गाने-बजाने का कार्य करते हैं 2. वर्तमान में एक जाति 3. हिरण; मृग; घोड़ा 4. संगीत में एक ताल।
गंधर्वविद्या
(सं.) [सं-स्त्री.] संगीत; गान विद्या।
गंधर्वविवाह
(सं.) [सं-पु.] 1. हिंदू विवाह के आठ प्रकारों में एक 2. प्रेम विवाह; वह विवाह जिसे वर-कन्या परस्पर प्रेम से प्रेरित होकर करते हैं।
गंधर्ववेद
(सं.) [सं-पु.] 1. चार उपवेदों में से एक 2. संगीत का उपवेद।
गंधर्वसार
(सं.) [सं-पु.] चंदन; संदल; महागंध।
गंधर्वी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गंधर्व जाति की स्त्री 2. (पुराण) घोड़ों की आदि माता जो सुरभी की पुत्री थी। [वि.] गंधर्व संबंधी; गंधर्वों का।
गंधवह
(सं.) [सं-पु.] 1. वायु 2. जिससे गंध का ज्ञान होता है; घ्राणेंद्रिय; नाक। [वि.] 1. गंध वहन करने वाला 2. सुगंधित।
गंधवाह
(सं.) [सं-पु.] 1. वायु; पवन; हवा 2. कस्तूरी-मृग।
गंधसफ़ेदा
(सं.) [सं-पु.] 1. सफ़ेद छाल वाला एक प्रकार का काफी लंबा और पतला पेड़; (यूकेलिप्टस) 2. उक्त वृक्ष की पत्तियों से प्राप्त होने वाले तेल का उपयोग औषघि और अन्य
रूप में किया जाता है।
गंधसार
(सं.) [सं-पु.] 1. चंदन 2. मोगरा; बेला 3. कपूर।
गंधहारक
(सं.) [वि.] गंध दूर करने वाला।
गंधहीन
(सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई गंध न हो 2. गंधरहित।
गंधा
(सं.) [वि.] गंधवाली; गंधयुक्त।
गंधाना
[सं-पु.] रोला छंद का एक नाम। [क्रि-अ.] 1. गंध फैलना 2. गंध छोड़ना या देना। [क्रि-स.] दुर्गंध देना; बसाना; गंध फैलाना।
गंधाबिरोजा
[सं-पु.] चीड़ या साल नामक वृक्ष का हलके पीले रंग की गोंद जिससे निर्मित औषधि को फोड़े-फुंसियों पर लगाया जाता है; चंद्रस; चितागंध।
गंधार
(सं.) [सं-पु.] भारत के पश्चिमोत्तर प्रदेश का पुराना नाम; गांधार प्रदेश (वर्तमान अफ़गानिस्तान में एक स्थल)।
गंधालु
(सं.) [वि.] 1. गंधयुक्त 2. चूहे की तरह का एक जंतु; छछूँदर।
गंधाष्टक
(सं.) [सं-पु.] आठ प्रकार की गंधों के मेल से बनी हुई गंध; अष्ट गंध।
गंधिया
[सं-पु.] 1. एक बरसाती कीड़ा जिससे दुर्गंध आती है 2. धान आदि की फ़सल को नुकसान पहुँचाने वाला एक कीड़ा। [सं-स्त्री.] 1. गांधी नामक एक बरसाती घास 2. गंध
प्रसारिणी नामक लता।
गंधी
(सं.) [सं-पु.] 1. सुगंधित तेल, इत्र आदि बनाने और बेचने वाला व्यक्ति; अत्तार 2. गँधिया घास।
गंधेंद्रिय
(सं.) [सं-स्त्री.] नाक; नासिका; प्राणग्रह; सूँघने की इंद्रिय; घ्राणेंद्रिय।
गंधेल
(सं.) [सं-पु.] एक छोटा वृक्ष या झाड़ जिसकी पत्तियाँ मसाले तथा जड़ और छाल दवाई के काम आती है।
गंधैला
[वि.] बदबूदार; जिससे दुर्गंध आती हो [सं-पु.] 1. गंध देने वाली लता 2. एक प्रकार की चिड़िया 3. {ला-अ.} नीच; तुच्छ।
गंधोत्तमा
(सं.) [सं-स्त्री.] द्राक्षामधु; द्राक्षासव; अंगूरी शराब।
गंधोली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ततैया 2. इंद्राणी 3. सोंठ।
गंध्य
(सं.) [वि.] गंधयुक्त; महकदार; गंधित; जिसमें गंध हो।
गंभीर
(सं.) [वि.] 1. कम बोलने और हँसी-मजाक से दूर रहने वाला; शांत; धीर 2. जो ख़ुश न हो; चिंतित 3. जिसको समझना कठिन हो; जटिल; दुरूह; गूढ़ 4. गहरा; घना; गहन 5. जिसका
निराकरण या समाधान करना मुश्किल हो; कठिन 6. भारी; विकट 7. जिसकी थाह न मिले 8. जिसके मर्म को समझना कठिन हो 9. संयमित; विचारशील।
गंभीरता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गंभीर होने की स्थिति या भाव; मन की स्थिरता 2. चिंतनशीलता; सोच-विचार का भाव 3. गांभीर्य; उदात्तता 4. अचंचलता; शांति 5. गहराई; गहनता 6.
संजीदगी।
गंभीरतापूर्वक
(सं.) [क्रि.वि.] गंभीरता के साथ; सोच-समझकर; गंभीर होते हुए।
गऊ
(सं.) [सं-स्त्री.] गौ; गाय। [वि] {ला-अ.} 1. सीधा; सरल 2. जो हानि न पहुँचाए।
गऊघाट
[सं-पु.] गाय आदि पशुओं के पानी पीने के लिए बनाया हुआ बिना सीढ़ियों का ढलुआ घाट।
गऊदान
(सं.) [सं-पु.] 1. गाय का दान 2. (पुराण) मृत्यु के पहले या बाद में ब्राह्मण को दिया जाने वाला गाय का दान।
गऊशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गायों के चरने तथा रहने के लिए बनाया गया स्थान 2. गायों की शाला या घर।
गगन
(सं.) [सं-पु.] 1. आसमान; आकाश; नभ; व्योम 2. अंतरिक्ष।
गगनगिरा
(सं.) [सं-स्त्री.] आकाशवाणी।
गगनचर
(सं.) [सं-पु.] 1. आकाश में उड़ने वाले पक्षी 2. नक्षत्र। [वि.] आकाशचारी।
गगनचुंबी
(सं.) [वि.] 1. बहुत ऊँचा 2. जो आकाश को चूमता या छूता प्रतीत हो; गगनभेदी; गगनस्पर्शी 3. अंबरलेखी।
गगनधूलि
(सं.) [सं-पु.] 1. कुकुरमुत्ते का एक भेद 2. केवड़े या केतकी के फूल पर की धूल।
गगनभेड़
[सं-स्त्री.] प्रायः जलाशयों के पास रहने वाली कराँकुल या कूँज नामक चिड़िया।
गगनमंडल
(सं.) [सं-पु.] 1. पृथ्वी के ऊपर का आकाश का घेरा, परिधि या विस्तार 2. अंतरिक्ष।
गगन वाटिका
(सं.) [सं-स्त्री.] आकाश की वाटिका अर्थात असंभव बात।
गगनस्पर्शी
(सं.) [वि.] इतना ऊँचा जो आकाश को चूमता या छूता जान पड़े; बहुत ऊँचा; गगनचुंबी।
गगरा
(सं.) [सं-पु.] 1. घड़ा; कलशा 2. लोहा, पीतल या मिट्टी का बना हुआ कलश जैसा पात्र।
गगरी
(सं.) [सं-स्त्री.] पानी रखने का छोटा घड़ा; छोटा गगरा; मटका।
गच
[सं-स्त्री.] 1. किसी मुलायम या नरम वस्तु में कोई धारदार या पैनी चीज़ के धँसने से होने वाला शब्द 2. चूने, सुरखी आदि से मिला मसाला 3. पक्का फ़र्श 4. पक्की छत।
गचकारी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. चूने, सुरखी को मिलाकर तैयार मसाले से पक्की छत या फ़र्श बनाना 2. उक्त कार्य हेतु गच पीटने का काम।
गचगीर
(फ़ा.) [सं-पु.] गच बनाने वाला कारीगर।
गचना
[क्रि-स.] बहुत अधिक कसकर या ठूँसकर भरना।
गचाका
[सं-पु.] गच से गिरने या बोलने का शब्द। [क्रि.वि.] 1. भरपूर; पूरी तरह से 2. सहसा; एकदम।
गच्चा
[सं-पु.] 1. गर्त; गड्ढा 2. हानि या ज़ोखिम आदि की संभावना या उसका स्थल 3. धोखा; भ्रम; वंचना। [मु.] -खाना : धोखे में अपना नुकसान करना।
गज
(सं.) [सं-पु.] 1. हाथी 2. दिग्गज 3. दीवार के नीचे का पुश्ता 4. आठ की संख्या 5. महिषासुर का पुत्र।
गज़
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार की मापक इकाई; तीन फीट अथवा छत्तीस इंच की माप 2. इस माप के लिए बनाई गई लकड़ी या लोहे की छड़ 3. सारंगी बजाने की कमानी 4. पुराने
समय में तोप भरने की छड़।
गज़क
(फ़ा.) [सं-पु.] तिल में गुड़ या चीनी मिलाकर बनाई जाने वाली एक मिठाई।
गजकुंभ
(सं.) [सं-पु.] हाथी के माथे पर दोनों ओर के उठे हुए भाग या हाथी के मस्तक का उभार।
गजगति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. हाथी की चाल 2. हाथी जैसी धीमी और मस्त चाल 3. मृगशिरा, रोहिणी और आर्द्रा नक्षत्रों में शुक्र ग्रह की स्थिति 4. एक वर्णवृत्त। [वि.]
हाथी की तरह मस्ती भरी चालवाला।
गज़गती
(फ़ा.+हिं.) [सं-स्त्री.] गज़ से नापकर होने वाली कपड़े की फुटकर बिक्री।
गजगमन
(सं.) [सं-पु.] हाथी जैसी मंद और मस्त चाल।
गजगा
(सं.) [सं-पु.] हाथियों का एक प्रकार का आभूषण।
गजगामिनी
(सं.) [वि.] हाथी के समान मंद गतिवाली (नायिका); गजगवनी।
गजगामी
(सं.) [वि.] हाथी के समान झूम-झूमकर चलने वाला।
गजगाह
(सं.) [सं-पु.] 1. हाथी या घोड़े पर डाली जाने वाली झूल 2. पाखर; झूल।
गज़ट
(इं.) [सं-पु.] 1. शासन संबंधी सूचनाएँ प्रकाशित करने का एक राजकीयपत्र; राजपत्र 2. सरकारी समाचार-पत्र।
गजदंत
(सं.) [सं-पु.] 1. हाथी का दाँत 2. वह खूँटी जो दीवार में कपड़े आदि लटकाने के लिए गाड़ी जाती है 3. दाँत के ऊपर निकला हुआ दाँत 4. एक प्रकार का घोड़ा जिसके
दाँत हाथी के दाँतों की तरह मुँह के बाहर ऊपर की ओर निकले रहते हैं 5. गणपति का एक विशेषण 6. नृत्य में एक प्रकार का भाव प्रकट करने की मुद्रा।
गजदंती
[वि.] हाथी दाँत का बना हुआ।
गजदान
(सं.) [सं-पु.] 1. हाथी का दान 2. हाथी के गंडस्थल से बहने वाला मद।
गज़धर
(फ़ा.+हिं.) [सं-पु.] मकान बनाने वाला मिस्त्री; राजगीर; कारीगर।
गज़नवी
(फ़ा.) [वि.] 1. गज़नी नगर का रहने वाला 2. गज़नी से संबंधित।
गजनाल
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह तोप जो हाथियों पर रखकर चलाई जाती थी 2. वह बड़ी तोप जिसे हाथी खींचते थे।
गजनिमीलिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनजान बनना; बहाना बनाना 2. लापरवाही; असावधानी।
गज़नी
(फ़ा.) [सं-पु.] अफ़गानिस्तान का एक नगर जिसे महमूद ने अपनी राजधानी बनाया था।
गजपति
(सं.) [सं-पु.] 1. वह राजा जिसके पास बहुत से हाथी हों 2. (इतिहास) कलिंग देश के राजाओं की उपाधि 3. बहुत बड़ा हाथी।
गज़ब
(अ.) [सं-पु.] 1. विपदा; आफ़त 2. कोप; क्रोध; गुस्सा 3. ज़ुल्म; अन्याय; अंधेर 4. भारी हानि 5. असाधारण 6. कुछ विशेष घटना; विलक्षण बात। [ मु.] -होना : कुछ अद्भुत होना; विलक्षण (बात) होना। -ढाना : अत्याचार करना।
गजबाँक
[सं-पु.] दो मुँह वाला भाला सदृश वह अंकुश जिससे हाथी चलाया और वश में रखा जाता है; गजबाग।
गज बाग
(सं.+फ़ा.) [सं-पु.] हाथी को चलाने का अंकुश।
गजमणि
(सं.) [सं-स्त्री.] गजमुक्ता।
गजमुक्ता
[सं-पु.] 1. एक प्रकार का कल्पित मोती जो हाथी के मस्तक में स्थित माना जाता है 2. गजमणि; गजमोती; गजगौहर।
गजमुख
(सं.) [सं-पु.] 1. जिसका मुख हाथी के समान हो अर्थात गणेश 2. गजवदन।
गजमोती
[सं-पु.] गजमुक्ता।
गजर
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रत्येक पहर पर समय-सूचक घंटा या घड़ियाल बजने का शब्द 2. प्रातःकाल में बजने वाले घंटे या घड़ियाल का शब्द 3. पारा।
गजरथ
(सं.) [सं-पु.] वह रथ जिसमें हाथी जुता हो; हाथी के द्वारा खींचा जाने वाला रथ।
गजरा
[सं-पु.] 1. फूलों की छोटी माला जो गहने के रूप में कलाई पर पहनी जाती है या चोटी में बाँधी जाती है 2. पुष्पमाला; फूलों की गुँथी हुई माला; हार 3. एक प्रकार का
रेशमी कपड़ा 4. गाजर के पत्ते जो पशुओं को खिलाए जाते हैं।
गजराज
(सं.) [सं-पु.] बहुत बड़ा हाथी; गजेंद्र; ऐरावत।
गजरी
[सं-स्त्री.] 1. एक गहना जो स्त्रियाँ कलाई में पहनती हैं 2. एक प्रकार की छोटी गाजर।
गजरौट
[सं-स्त्री.] गजरा; गाजर के पत्ते।
गज़ल
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. उर्दू, हिंदी या फ़ारसी में मुख्यतः प्रेमविषयक काव्य जिसमें प्रायः पाँच से ग्यारह शेर होते हैं और सभी शेर एक ही रदीफ़ और काफ़िया में
होते हैं अर्थात दूसरी कड़ी में अनुप्रास होता है 2. प्रेमिका से वार्तालाप 3. पद्य या मुक्तक काव्य का वह रूप जिसमें प्रतीकात्मकता और गीतात्मकता के साथ
अनुभूति की तीव्रता की प्रधानता होती है।
ग़ज़ल
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. गज़ल)।
गज़लगो
(फ़ा.) [वि.] 1. बेहतरीन ग़ज़ल का रचयिता 2. अच्छी ग़ज़ल कहने वाला।
ग़ज़लगो
(फ़ा.) [वि.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. गज़लगो)।
गजवीथी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. हाथियों की कतार या पंक्ति 2. गज समूह।
गजशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] वह स्थान जहाँ हाथी बाँधे जाते हों; फीलख़ाना।
गजशुंड
(सं.) [सं-पु.] हाथी की सूँड़।
गजस्नान
(सं.) [सं-पु.] 1. हाथियों की भाँति किया जाने वाला स्नान; हाथीस्नान 2. {ला-अ.} व्यर्थ परिश्रम; निरर्थक काम।
गजही
[सं-स्त्री.] दूध मथकर मक्खन निकालने की मथानी।
गजा
[सं-पु.] 1. ढोल या नगाड़ा बजाने का डंडा 2. नगाड़े की चोट।
गजाधिप
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) इंद्र का हाथी जो पूर्व दिशा का दिग्गज है; ऐरावत।
गजानन
(सं.) [सं-पु.] गणेश, जिनका मुँह हाथी की तरह है; गजवदन।
गजारि
(सं.) [सं-पु.] 1. हाथी का शत्रु अर्थात शेर; सिंह 2. साल का वृक्ष।
गजारोह
(सं.) [सं-पु.] हाथी पर चढ़ने वाला व्यक्ति; महावत।
गजाल
[सं-पु.] 1. एक प्रकार की मछली 2. खूँटी या खूँटा।
गज़ाला
(अ.) [सं-पु.] हिरन का बच्चा; मृगशावक।
गजाशन
(सं.) [सं-पु.] 1. पीपल का पेड़ 2. कमल की जड़।
गजासुर
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) एक दैत्य जिसका वध शिव ने किया था।
गजी
(सं.) [सं-स्त्री.] मादा हाथी; हथिनी; कुंजरी; हस्तिनी। [वि.] वह जो गज पर सवार हो; गजारोही; मतंगी।
गज़ी
(फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार का मोटा देशी कपड़ा; गाढ़ा; सल्लम।
गजेंद्र
(सं.) [सं-पु.] 1. हाथियों का राजा; ऐरावत 2. गजराज; बड़ा हाथी 3. (पुराण) वह हाथी जिसे जल में ग्राह (घड़ियाल) ने पकड़ लिया था और बाद में विष्णु ने आकर छुड़ाया
था।
गजेंद्रगुरु
(सं.) [सं-पु.] (संगीत) रुद्रताल का एक भेद।
गज्जर
[सं-पु.] 1. दलदल 2. ऐसी भूमि जिसमें कीचड़ होने के कारण पैर धँसते हों।
गट
(सं.) [सं-पु.] 1. समूह; राशि; ढेर 2. झुंड; जत्था 3. किसी तरल पदार्थ को पीते समय होने वाला शब्द।
गटकना
[क्रि-स.] 1. किसी तरल पदार्थ को गले के नीचे उतारना; निगलना; पीना 2. सटकना; कुछ खाना या पीना 3. {ला-अ.} किसी की धन-संपत्ति को हड़पना।
गटकीला
[वि.] 1. जिसे गटका या निगला जा सके 2. जिसे गटकने की इच्छा करे।
गटगट
[सं-पु.] तरल पदार्थ पीने के समय गले से होने वाला शब्द। [क्रि.वि.] 1. जल्दी-जल्दी और तेज़ी के साथ 2. शीघ्रता के साथ।
गटगटाना
[क्रि-स.] कोई तरल पदार्थ पीने के समय गले से ध्वनि उत्पन्न करना; गट-गट शब्द या ध्वनि के साथ पीना।
गटर
(इं.) [सं-पु.] गंदा नाला; बड़ा नाला।
गटरमाला
[सं-स्त्री.] 1. बड़े दानोंवाली माला 2. एक आभूषण; हार।
गटागट
[क्रि.वि.] 1. जल्दी-जल्दी 2. गट-गट की ध्वनि करते हुए।
गटी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गाँठ; ग्रंथि 2. समूह या ढेर।
गट्टा
(सं.) [सं-पु.] 1. गाँठ; ग्रंथि 2. हथेली और पहुँचे के बीच का जोड़; हाथ की कलाई 3. टखना; टाँग और पैर का जोड़ 4. किसी चीज़ का मोटा और कड़ा बीज।
गट्टी
[सं-स्त्री.] 1. जहाज़ या नाव में पाल बाँधने के खंभे के नीचे की चूल 2. नदी का किनारा।
गट्ठर
[सं-पु.] 1. छोटी-छोटी चीज़ों को बाँधकर बनाई गई गठरी; गट्ठा; (बंडल) 3. रस्सियों आदि से बँधा हुआ सामान।
गट्ठा
[सं-पु.] 1. गट्ठर; गाँठ; (बंडल) 2. घास या लकड़ी का बोझा 3. बड़ी गठरी 4. ज़रीब का बीसवाँ भाग; कट्ठा।
गट्ठी
[सं-स्त्री.] 1. गाँठ 2. गठरी।
गठजोड़
[सं-पु.] 1. गठबंधन 2. गाँठ बाँधने की क्रिया; आपसी संबंध 3. {ला-अ.} किसी ध्येय या मकसद के लिए किया जाने वाला मेल-मिलाप 4. सत्ता प्राप्ति के लिए दो या दो से
अधिक दलों को मिलाकर बनाया गया संगठन।
गठजोड़ा
[सं-पु.] 1. गाँठ का बँधना या बाँधा जाना 2. हिंदू विवाह में वर-वधू के दुपट्टों में गाँठ बाँधने की एक रस्म।
गठडंड
[सं-पु.] एक प्रकार की डंड बैठक; एक व्यायाम।
गठन
(सं.) [सं-पु.] 1. गठे होने की अवस्था या भाव 2. रचना; बनावट 2. दृढ़ता 3. निर्माण 4. शरीर का कसाव 5. संस्थापना।
गठना
[क्रि-अ.] 1. दो वस्तुओं का मिलना, सटना या जुड़ना 2. मोटी सिलाई होना; टाँके लगना 3. मित्रता होना 4. कोई गुप्त विचार या कुचक्र होना।
गठबंधन
(सं.) [सं-पु.] 1. मिलाप; गठजोड़ 2. गाँठ का बँधना या बाँधा जाना 3. हिंदू विवाह में वर-वधू के दुपट्टों में गाँठ बाँधने की एक रस्म 4. राजनीति में दो या दो से
अधिक दलों का सत्ता हासिल करने के लिए बनाया हुआ संयुक्त दल।
गठरी
[सं-स्त्री.] 1. कपड़े में गाँठ लगाकर बाँधा हुआ सामान; बड़ी पोटली 2. गट्ठर 3. बोझ 4. इकट्ठी की गई धन-दौलत; माल; बड़ी रकम। [मु.] -मारना :
अनुचित रूप से किसी का धन लेना।
गठवाँसी
[सं-स्त्री.] कट्ठे का बीसवाँ भाग; बिस्वांसी।
गठवाई
[सं-स्त्री.] 1. गठवाने की क्रिया या भाव 2. गाँठने की मज़दूरी।
गठवाना
[क्रि-स.] 1. सिलवाना; गठाना 2. टाँका लगवाना; मोटी सिलाई कराना 3. जुड़वाना; जोड़ मिलवाना।
गठा
[वि.] 1. जिसकी बनावट सघन हो तथा जो कम जगह घेरता हो, जैसे- गठा बदन 2. सुगठित; हृष्ट-पुष्ट 3. मज़बूत।
गठाव
[सं-पु.] 1. बनावट 2. गठे होने का भाव; गठन।
गठित
(सं.) [वि.] 1. गठा हुआ; बना हुआ 2. निर्मित 3. बलिष्ठ 4. व्यवस्थित 5. संस्थापित।
गठिया
[सं-स्त्री.] 1. बोझ लादने का बोरा या थैला; खुरजी 2. बड़ी गठरी 3. एक रोग जिसमें जोड़ों में सूजन, अकड़न और पीड़ा होती है।
गठियाना
[क्रि-स.] 1. गाँठ में बाँधना; गाँठ लगाना 2. हथियाना; अधिकार में करना।
गठिवन
(सं.) [सं-पु.] एक पहाड़ी पेड़ जिसकी पत्तियों में जगह-जगह गाँठें होती हैं और इसकी कलियाँ औषधि के काम आती हैं।
गठीला
(सं.) [वि.] 1. जिसकी बनावट या गठन सुंदर हो; गठा हुआ; कसा हुआ; सुगठित काय 2. मज़बूत; हृष्ट-पुष्ट 3. जिसमें बहुत-सी गाँठें पड़ी हों; गाँठवाला।
गठौंद
[सं-स्त्री.] 1. गाँठ बाँधने की क्रिया या भाव 2. धरोहर; थाती।
गठौत
[सं-स्त्री.] 1. गठबंधन 2. मेल-मिलाप; संग-साथ 3. परस्पर विचार-विमर्श के बाद निश्चित की गई गुप्त बात।
गड
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसी रोक जिससे सामने की वस्तु दिखाई न पड़े; आड़; ओट 2. चारदीवारी 3. घेरा; आवरण; मंड़ल 4. लंबा और गहरा गड्ढा; खाई 5. वह गड्ढा जो किले के
चारों ओर सुरक्षा के लिए खोदा जाता था।
गडंग1
[सं-पु.] अस्त्र-शस्त्र, बारूद आदि रखने का स्थान।
गडंग2
(सं.) [सं-पु.] 1. शेखी; घमंड 2. आत्मश्लाघा।
गड़ंत
[सं-स्त्री.] 1. (अंधविश्वास) अभिचार या टोटके के लिए मंत्र आदि पढ़कर किसी चीज़ को गाड़ने की क्रिया 2. उक्त प्रकार से गाड़ी गई चीज़।
गडक
[सं-पु.] एक प्रकार की मछली।
गड़कना
[क्रि-अ.] 1. 'गड़-गड़' शब्द होना 2. गरजना।
गड़काना
[क्रि-स.] 1. गड़-गड़ शब्द उत्पन्न करना 2. गड़गड़ाना।
गड़गड़
[सं-स्त्री.] 1. 'गड़' की निरंतर ध्वनि 2. बादल के गरजने की आवाज़, ध्वनि 3. तोप, बंदूक के दागने की ध्वनि।
गड़गड़ा
[सं-पु.] लंबी नली वाला बड़ा हुक्का।
गड़गड़ाना
[क्रि-स.] 1. गड़-गड़ की आवाज़ करना 2. हुक्का पीना। [क्रि-अ.] 1. गड़-गड़ की ध्वनि होना 2. बादलों का गरजना 3. तोप छूटना।
गड़गड़ाहट
[सं-स्त्री.] 1. गड़गड़ाने या गरजने की क्रिया या भाव; गरज 2. बादल गरजने का शोर 3. मशीन या हुक्के से निकलने वाली गड़गड़ की ध्वनि 4. तेज़ आवाज़।
गड़गड़ी
[सं-स्त्री.] 1. गड़गड़ाहट 2. छोटा नगाड़ा या बड़ी डुग्गी।
गड़दार
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] महावत; मस्त हाथी के साथ भाला लेकर चलने वाला व्यक्ति।
गड़ना
[क्रि-अ.] 1. चुभना; घुसना; धँसना 2. समाना; किसी ठोस या दृढ़ वस्तु का नरम वस्तु में धँसना; उतरना; पैठना 3. दृष्टि का किसी वस्तु या व्यक्ति पर स्थिर होना 4.
{ला-अ.} मन में कसक या खटक उत्पन्न करना; खटकना 5. शरीर आदि में चुभने जैसी पीड़ा होना। [मु.] गड़े मुरदे उखाड़ना : पुरानी बातों को उठाना। मारे शर्म के गड़ जाना : लज्जित होने के कारण मुँह न दिखा पाना।
गड़प
[सं-स्त्री.] 1. पानी में गिरने, डूबने का शब्द 2. निगल जाने की क्रिया या भाव।
गड़पंख
(सं.) [सं-पु.] 1. एक बड़ी चिड़िया 2. लड़कों का एक प्रकार का खेल।
गड़पना
[क्रि-स.] 1. खा लेना; निगलना 2. जल्दी में खा जाना 3. अनुचित रूप से दबा जाना; हड़पना।
गड़प्पा
[सं-पु.] 1. भारी गड्ढा जिसमें कोई वस्तु गिर पड़े 2. धोख़े की जगह।
गड़बड़
[सं-पु.] कुप्रबंध। [सं-स्त्री.] गोलमाल; ख़राबी; अव्यवस्था। [वि.] 1. अव्यवस्थित; अनुचित; ख़राब; बुरा 2. अस्त-व्यस्त; विशृंखल 3. जो सामान्य न हो; असामान्य;
असहज 4. ऊँचा-नीचा।
गड़बड़झाला
[सं-पु.] 1. अव्यवस्था; गड़बड़ी 2. अफ़रा-तफ़री।
गड़बड़ाना
[क्रि-अ.] 1. भूल करना; भ्रम में पड़ना; चूक जाना 2. अव्यवस्थित होना; क्रमभ्रष्ट होना। [क्रि-स.] 1. गड़बड़ी या चक्कर में डालना 2. भुलवाना; भ्रमित करना 3. ख़राबी
या गड़बड़ी करना।
गड़बड़िया
[वि.] गड़बड़ करने वाला; उपद्रवी; व्यवस्था बिगाड़ने वाला; अशांति फैलाने वाला।
गड़बड़ी
[सं-स्त्री.] गड़बड़।
गड़रिया
(सं.) [सं-पु.] 1. भेड़-बकरी पालने वाला व्यक्ति 2. भेड़ों की ऊन से जीविकोपार्जन करने वाली जाति।
गड़वाई
[सं-स्त्री.] 1. गड़वाने की क्रिया या भाव 2. गड़वाने का पारिश्रमिक या मज़दूरी।
गड़वात
[सं-पु.] 1. गाड़ियों के चलने से कच्ची सड़क पर बने निशान; लीक 2. गड्ढा खोदने का काम 3. किसी वस्तु को ज़मीन में गाड़ने की क्रिया।
गड़वाना
[क्रि-स.] गाड़ने का काम किसी अन्य से कराना; किसी को गाड़ने में प्रवृत्त करना।
गड़ा
[सं-पु.] 1. राशि; ढेर 2. कटी हुई फ़सल के डंठलों का ढेर; खरही। [वि.] जिसे गाड़ा गया हो।
गड़ाना
[क्रि-स.] 1. धँसाना; चुभाना 2. दृष्टि या ध्यान केंद्रित करना 3. गाड़ने का काम कराना।
गड़ाप
[सं-पु.] पानी आदि में किसी भारी चीज़ के डूबने का शब्द। [क्रि.वि.] सहसा; अचानक।
गड़ापा
[सं-पु.] 1. गड़ाप से डूबने लायक स्थान 2. गहरा स्थान।
गड़ायत
[वि.] 1. चुभने वाला 2. गड़ने वाला; धँसने वाला।
गड़ारी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गोल लकीर; मंडलाकर रेखा 2. घेरा; वृत्त; मंडल 3. गोल धारी या चिह्न; तिरछी रेखाएँ 4. घिरनी; (पुली) 5. एक प्रकार की घास।
गड़ुआ
(सं.) [सं-पु.] 1. वह लोटा जिसमें टोंटी लगी हो 2. झारी; गड्डूक। [सं-स्त्री.] गड़ुई।
गड़ुई
[सं-स्त्री.] पानी रखने का एक छोटा पात्र जिसमें टोंटी लगी रहती है; छोटा गड़ुआ; झारी।
गड़ुक
(सं.) [सं-पु.] टोंटीदार लोटा; गड़ुआ।
गडुल
(सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जिसका कूबड़ निकला हो। [वि.] कुबड़ा; कूबड़वाला।
गडेर
(सं.) [सं-पु.] मेघ; बादल।
गड़ेरिया
(सं.) [सं-पु.] दे. गड़रिया।
गड्ड
(सं.) [सं-पु.] 1. एक ही आकार की ऐसी वस्तुओं का समूह जो एक के ऊपर एक जमाकर रखी हों; गंज 2. ताश के पत्तों या कागज़ आदि का ढेर 3. लागत या मूल्य आदि की दृष्टि
से समवर्गीय वस्तुओं का समूह।
गड्डमड्ड
[वि.] 1. मिली-जुली; अव्यवस्थित; घालमेल 2. बिना किसी क्रम के 3. बेमेल 4. बेतरतीब।
गड्डर
(सं.) [सं-पु.] मेढ़ा; मेष; रोमश; भेड़।
गड्डरिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भेड़ों की पंक्ति या पाँत 2. अविच्छिन प्रवाह। [सं-पु.] अंधानुकरण।
गड्डा
[सं-पु.] 1. गट्ठा; गट्ठर 2. बड़ी गठरी; बोदा।
गड्डी
[सं-स्त्री.] 1. ढेर; समूह 2. एक पर एक रखी हुई वस्तुओं का समूह 3. नोटों, ताश के पत्तों, पान के पत्तों आदि का ढेर।
गड्डुक
(सं.) [सं-पु.] 1. पानी रखने का लोटा; विशेष प्रकार का जलपात्र 2. टोंटीदार लोटा; काँसे का लोटा 3. गड़ुआ।
गड्ढा
[सं-पु.] 1. गर्त; गढ़ा 2. वह स्थान जिसमें लंबाई, चौड़ाई और गहराई हो। [मु.] -खोदना : अनिष्ट या हानि पहुँचाने के लिए उपाय करना।
गढ़
(सं.) [सं-पु.] 1. दुर्ग; किला; कोट; (फोर्ट) 2. अड्डा; केंद्र 3. वह जगह जहाँ किसी वस्तु या व्यक्ति विशेष का प्रभाव हो। [मु.] -जीतना : कठिन
कार्य पूर्ण करना; युद्ध में विजय होना।
गढ़ंत
(सं.) [वि.] कल्पित; बनाया या गढ़ा हुआ; बनावटी। [सं-स्त्री.] गढ़ी हुई बात।
गढ़न
[सं-स्त्री.] 1. गढ़ने या गढ़े जाने की क्रिया, ढंग या भाव 2. बनावट; गठन 3. आकृति।
गढ़ना
(सं.) [क्रि-स.] 1. रचना; निर्माण करना; तराशना; बनाना 2. किसी साहित्यिक कृति या पुस्तक की रचना करना 3. शिल्पविद्या 4. सँवारना; सुडौल करना 5. कारीगरी से
निर्मित करना 6. {ला-अ.} कल्पना में कुछ मान लेना; मन में बना लेना 7. मरम्मत करना 8. काट-छाँटकर काम की चीज़ बनाना।
गढ़पति
[सं-पु.] 1. किलेदार; गढ़पाल 2. राजा; सरदार।
गढ़बंदी
(सं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] किले को चारों ओर से घेरना।
गढ़रक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] किले या दुर्ग की रक्षा।
गढ़वाना
[क्रि-स.] 1. गढ़ने का कार्य करवाना 2. कलाकृति, चित्र आदि का अच्छी तरह निर्माण करवाना।
गढ़वाला
[सं-पु.] 1. गढ़ का मालिक; राजा 2. गढ़ या किले का प्रधान अधिकारी।
गढ़ा
(सं.) [सं-पु.] 1. गड्ढा; गर्त 2. छोटा किला 3. धँसी या बैठी हुई जगह।
गढ़ाई
[सं-स्त्री.] 1. गढ़ने, निर्मित करने या बनाने की क्रिया, ढंग या भाव; वस्तु बनाने का तरीका 2. गढ़ने की मज़दूरी।
गढ़िया1
[सं-पु.] वस्तुओं को गढ़कर सुडौल करने वाला; गढ़ने वाला वयक्ति।
गढ़िया2
(सं.) [वि.] स्थिर; दृढ़; सत्य।
गढ़ी
[सं-स्त्री.] 1. छोटा किला या गढ़ 2. किले या कोट के ढंग का मज़बूत मकान 3. छोटा गढ़ा।
गढ़ैया
[सं-पु.] गढ़ने वाला; बनाने वाला; रचने वाला। [सं-स्त्री.] छोटा गड्ढा या गड़ही।
गण
(सं.) [सं-पु.] 1. दल; समूह; जत्था 2. गिरोह; टोली 3. वर्ग; श्रेणी 4. अनुचर; सेवक 5. किसी समान उद्देश्य वाले लोगों का समूह 6. शिव के दूत या सेवकों का दल 7.
समानता के आधार पर किसी व्यक्ति, जीवों या वस्तुओं का वह विभाग जिसके और उपविभाग किए जा सकते हों 8. (छंदशास्त्र) तीन वर्णों का वर्ग एवं समूह, जैसे- जगण; तगण;
नगण; भगण; यगण और सगण आदि।
गणक
(सं.) [वि.] गिनने वाला; गणना करने वाला। [सं-पु.] मुनीम; लेखाकार।
गणतंत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसी शासनप्रणाली जिसमें परंपरागत राजा या रानी के शासन के बजाए जनता द्वारा ही चुनाव प्रक्रिया के द्वारा शासक या प्रतिनिधि चुने जाते हैं 2.
वह देश या राज्य जिसकी सत्ता जनसाधारण में निहित होती है; (रिपब्लिक)।
गणतंत्र दिवस
(सं.) [सं-पु.] भारत में गणतंत्र स्थापित होने की स्मृति में मनाया जाने वाला उत्सव। (26 जनवरी); संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला राष्ट्रीय
पर्व।
गणतंत्री
(सं.) [वि.] 1. प्रजातंत्र संबंधी या प्रजातंत्र का; प्रजातांत्रिक; लोकतांत्रिक; गणतांत्रिक; 2. जो प्रजातंत्र के सिद्धांत के अनुसार हो; (रिपब्लिकन) 3. (देश)
जिसमें गणतंत्र हो।
गणदेवता
(सं.) [सं-पु.] समूह में रहने वाले देवता, जैसे- रुद्र, आदित्य, मरुत।
गणद्रव्य
[सं-पु.] 1. वर्ग या समुदाय विशेष की संपत्ति 2. पंचायती धन।
गणना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गिनने की क्रिया; गिनती 2. लेखा; हिसाब।
गणनाकार
(सं.) [वि.] 1. गिनती या गणना करने वाला 2. हिसाब-किताब करने वाला; (अकाउंटेंट)।
गणनाध्यक्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. मुनीम 2. हिसाब रखने वाला व्यक्ति 3. वह जो हिसाब करने में दक्ष हो।
गणनायक
(सं.) [सं-पु.] हिंदुओं के एक प्रधान एवं अग्रपूज्य देवता; गणेश; गजानन।
गणनीय
(सं.) [वि.] 1. जिसकी गणना की जा सके; गिनने लायक 2. जिसकी गिनती होना हो 3. मान्य; स्वीकृत 4. जिसको महत्व दिया जाए; प्रतिष्ठित वर्ग में आने के काबिल 5.
लिहाज़ करने योग्य।
गणपति
(सं.) [सं-पु.] 1. गणेश 2. गण का स्वामी।
गणपाठ
(सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) एक नियम के अंतर्गत आने वाले शब्दों का समूह।
गणपूर्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] कोरम; इयत्ता; किसी सभा या कार्य के संचालन के लिए आवश्यक सदस्यों की कम से कम नियत संख्या।
गणमान्य
(सं.) [वि.] 1. श्रेष्ठ; अभिजन 2. प्रतिष्ठित; महत्वपूर्ण।
गणमुख्य
(सं.) [सं-पु.] गण का प्रधान व्यक्ति; मुखिया।
गणराज्य
(सं.) [सं-पु.] 1. राज्यों के गण (समूह) 2. प्राचीन भारत में वह शासनप्रणाली जिसमें राज्य का शासन किसी राजा के बजाए कुछ चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता
था, जैसे- प्रसिद्ध वैशाली गणराज्य 3. वह राज्य जिसमें शासनप्रणाली गणतंत्रीय हो।
गणाचल
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) वह पर्वत जहाँ शिव के गण रहते हैं; गण पर्वत 2. कैलाश पर्वत 3. भारत के उत्तर में एक पर्वत जिसे गण कहते हैं।
गणाधिपति
(सं.) [सं-पु.] 1. गणेश 2. गण का अधिपति या स्वामी 3. सेनानायक 4. जैनी साधुओं का प्रधान।
गणाध्यक्ष
(सं.) [सं-पु.] गण का अध्यक्ष; गणपति।
गणिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वेश्या 2. धन के लिए जो लोगों का मनोरंजन करती हो 3. गनियारी का वृक्ष 4. हथिनी।
गणित
(सं.) [सं-पु.] 1. गणितशास्त्र (इसके तीन अंग हैं- अंकगणित, बीजगणित और ज्यामिति) 2. आकलन; किसी चीज़ का हिसाब-किताब।
गणितज्ञ
(सं.) [वि.] 1. गणितशास्त्री 2. वह जो गणित में प्रवीण हो।
गणित सिद्ध
(सं.) [सं-पु.] गणित के नियमों द्वारा सत्यापित; आँकड़ों द्वारा प्रमाणित।
गणितीय
(सं.) [वि.] गणित से संबंधित; गणित के हिसाब से होने वाला।
गणेश
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) भगवान शिव और पार्वती के पुत्र 2. एक प्रसिद्ध हिंदू देवता 3. गणनायक।
गण्य
(सं.) [वि.] 1. गिनने योग्य; गणनीय 2. गण संबंधी 3. प्रतिष्ठित।
गण्यमान
(सं.) [वि.] सम्मानित; प्रतिष्ठित।
गत
(सं.) [वि.] 1. बीता हुआ; पिछला 2. स्थित; प्राप्त 3. मृत। [सं-स्त्री.] 1. हालत; दशा 2. गति; ढंग; रूप 3. सितार पर बजाए जाने वाले राग की सरगम 4. नृत्य में
अंगों की चेष्टा।
गतक
(सं.) [सं-पु.] 1. गति 2. गमन 3. चाल; रफ़्तार।
गतका
(सं.) [सं-पु.] 1. पैंतरा खेलने में प्रयुक्त लकड़ी का डेढ़-दो हाथ लंबा चमड़ा मढ़ा मुठियादार डंडा 2. वह खेल जो फरी और गतके से खेला जाता है।
गतरात्रि
(सं.) [सं-स्त्री.] बीती हुई रात।
गतसंग
(सं.) [वि.] उदासीन; परस्पर विरोधी पक्षों से अलग रहने वाला।
गतांक
(सं.) [सं-पु.] समाचार-पत्र, पत्रिका आदि का पिछला अंक; संख्या। [वि.] {ला-अ.} जो व्यक्ति निकम्मा या गया बीता हो।
गतांत
(सं.) [वि.] जिसका अंत समीप आ गया हो; जिसका अंत होने वाला हो।
गताक्ष
(सं.) [वि.] 1. अंधा; नेत्रहीन 2. जिसकी आँखे न हो।
गतागत
(सं.) [सं-पु.] 1. आने-जाने की क्रिया या भाव; आवागमन 2. जन्म-मरण 3. पैंतरा; कावा। [वि.] 1. आया-गया 2. आने-जाने वाला।
गतात्मा
(सं.) [सं-स्त्री.] मृत व्यक्ति की आत्मा।
गताधि
(सं.) [वि.] 1. चिंताविहीन 2. बेफ़िक्र 3. निश्चिंत।
गतानुगतिक
(सं.) [वि.] 1. आँख मूँदकर दूसरों का अनुसरण करने वाला; अंधानुयायी 2. पुरातन परंपराओं का अंधानुसरण करने वाला; नकलची।
गतायु
(सं.) [वि.] 1. बेजान 2. जिसकी आयु समाप्त होने वाली हो 3. कमज़ोर।
गतार
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बोझ बाँधने की रस्सी 2. वह रस्सी जिससे बैल की गरदन को जुए से बाँधा जाता है 3. जुए में लगी हुई दोनों लकड़ियाँ।
गतार्थ
(सं.) [वि.] 1. अर्थहीन; निरर्थक 2. निर्धन; जिसके पास धन न हो या धन की कमी हो 3. बेकार; अनुपयोगी; फ़ालतू।
गति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रफ़्तार; चाल; गमन 2. जाने की अवस्था; प्रवाह 3. पहुँच; प्रयत्न; हरकत 4. माया; लीला 5. बुरी अवस्था; हालत; दशा 6. अंगों की चेष्टा;
स्पंदन; हरकत 7. रंग-रूप 8. (पुराण) सद्गति; मोक्ष; मृत्यु के पश्चात आत्मा की भली या बुरी दशा; मुक्ति 9. उपाय; ज्ञान 10. (खगोलशास्त्र) ग्रहों की चाल।
गतिक
(सं.) [सं-पु.] 1. चलने की क्रिया 2. रास्ता; मार्ग 3. अवस्था 4. चाल; गमन।
गतिकी
(सं.) [सं-स्त्री.] वह विज्ञान जिसमें गति का वर्णन हो; (डायनामिक्स)। [वि.] 1. भौतिक गति या चाल से संबंध रखने वाला 2. गति संबंधी।
गतिज
(सं.) [वि.] जिसकी उत्पत्ति गति से हुई हो; गत्यात्मक; गति संबंधी।
गतिज ऊर्जा
(सं.) [सं-स्त्री.] गति के कारण उत्पन्न होने वाली ऊर्जा; (काइनेटिक एनर्जी)।
गतिपथ
(सं.) [सं-पु.] मार्ग; राह; जाने का रास्ता; तेज़ गति से जाने का रास्ता।
गतिभंग
(सं.) [सं-पु.] 1. गाने की लय का टूट जाना 2. कविता-पाठ, संगीत आदि की लय का बीच में भंग या विकृत होना।
गतिमत्ता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गतिमान होने की अवस्था या गुण 2. गतिशीलता 3. चाल।
गतिमय
(सं.) [वि.] जिसमें गति हो; गति से युक्त; गतिमान।
गतिमान
(सं.) [वि.] 1. जो गति में हो; गतिशील; रफ़्तारवाला 2. गतियुक्त 3. आगे बढ़ने वाला 4. जो चल रहा हो 5. जो अपना कार्य सुचारु रूप से कर रहा हो 6. परिवर्तनीय 7.
हरकत करने वाला; चलायमान।
गतिमापक
(सं.) [वि.] गति मापने वाला (स्पीडोमीटर)।
गतिरुद्ध
(सं.) [वि.] जिसकी गति में बाधा उत्पन्न हुई हो।
गतिरोध
(सं.) [सं-पु.] 1. गति अवरुद्ध होने की स्थिति या दशा 2. किसी प्रकार की बाधा या अड़चन उत्पन्न हो जाने के कारण चलते हुए काम या वार्ता आदि का बीच में ही रुक
जाना 3. बाधा; अड़ंगा।
गतिवाहक
(सं.) [वि.] गति प्रदान करने वाला।
गतिविज्ञान
(सं.) [सं-पु.] विभिन्न पदार्थों और पिंडों की गतियों का अध्ययन; (डायनामिक्स)।
गतिविधि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रहने-सहने का ढंग; आचरण 2. चाल-ढाल; चेष्टा 3. क्रिया-कलाप।
गतिशास्त्र
(सं.) [सं-पु.] विभिन्न पदार्थों और पिंडों की गतियों का अध्ययन; गतिविज्ञान।
गतिशील
(सं.) [वि.] 1. तेज़ चालवाला; चलने वाला 2. उन्नतिशील; क्रियाशील; सक्रिय 3. जिसमें गति हो।
गतिशीलता
(सं.) [सं-स्त्री.] गतिशील रहने की अवस्था या भाव; चलने-बढ़ने का भाव; गतियुक्तता।
गतिशून्य
(सं.) [वि.] जिसमें गति न हो; रुका हुआ; स्थिर; ठहरा हुआ।
गतिहीन
(सं.) [वि.] 1. जो स्थिर हो; ठहरा या रुका हुआ; गतिरुद्ध 2. जिसकी गति समाप्त हो गई हो 3. {ला-अ.} जिसके लिए कोई उपाय शेष न हो; निश्चल; विकल्पहीन 4. असहाय;
दीन।
गत्ता
(सं.) [सं-पु.] 1. मोटा कागज़; कागज़ की दफ़्ती; (कार्ड; कार्डबोर्ड) 2. कागज़ की कई परतों को चिपका कर बनाई गई दफ़्ती।
गत्यवरोध
(सं.) [सं-पु.] 1. गति अवरुद्ध होने की स्थिति या दशा; गतिरोध 2. किसी प्रकार की बाधा या अड़चन उत्पन्न हो जाने के कारण चलते हुए काम या वार्ता आदि का बीच में
ही रुक जाना।
गत्यात्मक
(सं.) [वि.] 1. चलने वाला 2. उन्नतिशील 3. गतिमान।
गत्वर
(सं.) [वि.] 1. गतिमान 2. गमनशील 3. नश्वर 4. चलने वाला 5. गति में रहने वाला।
गद
(सं.) [सं-पु.] 1. मेघ-ध्वनि 2. अस्पष्ट भाषण 3. एक असुर 4. कृष्ण के छोटे भाई का नाम 5. कड़ी चीज़ पर नरम या नरम चीज़ पर कड़ी चीज़ के गिरने की आवाज़।
गदका
(सं.) [सं-पु.] 1. पैंतरा खेलने में प्रयुक्त लकड़ी का डेढ़-दो हाथ लंबा चमड़ा मढ़ा मुठियादार डंडा; गतका 2. वह खेल जो फरी और गतके से खेला जाता है।
गदकारा
[वि.] 1. मुलायम और दबाने से दब जाने वाला; गुदगुदा; नरम 2. मांसल।
गदगद
(सं.) [वि.] 1. हर्ष, प्रेम और श्रद्धा आदि के आवेग से इतना आह्लादित कि स्पष्ट न बोल सके 2. बहुत अधिक ख़ुश; ख़ुशी से फूला न समाने वाला 3. पुलक की स्थिति में
अवरुद्ध (कंठ); अति आनंदित।
गदन
(सं.) [सं-पु.] 1. वर्णन 2. कथन।
गदना
(सं.) [क्रि-स.] 1. कहना; बोलना; वाणी से व्यक्त करना 2. वर्णन करना।
गदबदा
[वि.] 1. भरे हुए शरीरवाला 2. कोमल; मुलायम।
गदर
(अ.) [सं-पु.] 1. क्रांति; विद्रोह; बलवा 2. किसी जनविरोधी या अत्याचारी शासन या शासक के खिलाफ़ होने वाला विद्रोह 3. बगावत; विप्लव 4. अराजकता।
गदराना
[क्रि-अ.] 1. जवानी के समय अंगों का भरना 2. फलों आदि के पकने की स्थिति होना 3. खिलना 4. आँखों में कीचड़ आना।
गदला
[वि.] मैला; मिट्टी मिला हुआ (पानी); गँदला।
गदहा
(सं.) [सं-पु.] 1. घोड़े की तरह का लेकिन उससे कुछ छोटा एक प्रसिद्ध चौपाया जो प्रायः मटमैले रंग का होता है; गधा; गर्दभ; खर; वैशाखनंदन 2. {ला-अ.} मूर्ख;
बेवकूफ़; नासमझ।
गदा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्राचीन अस्त्र; धातु से निर्मित वह हथियार जिसके एक सिरे पर नुकीला लट्टू लगा होता था; गुर्ज 2. लोढ़ 3. डंडे में लगाया हुआ पत्थर का गोला
जिसे मुगदर की तरह भाँजते हैं 4. विष्णु द्वारा धारण किया जाने वाला अस्त्र।
गदांबर
(सं.) [सं-पु.] बादल; मेघ।
गदाई
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] भिखमंगा होने की अवस्था या भाव; भिक्षुकी; भिखमंगापन; फ़कीरी। [वि.] 1. नीच; क्षुद्र; तुच्छ 2. वाहियात; रद्दी।
गदाग्रज
(सं.) [सं-पु.] गद के अग्रज; कृष्ण।
गदाधर
(सं.) [सं-पु.] विष्णु; नारायण। [वि.] गदा धारण करने वाला।
गदाराति
(सं.) [सं-स्त्री.] औषधि; दवा।
गदाला1
[सं-पु.] हाथी की पीठ पर कसा जाने वाला गद्दा।
गदाला2
(सं.) [सं-पु.] रंबा या बड़ी कुदाल।
गदाह्वय
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का रोग जिसमें शरीर पर सफ़ेद दाग हो जाते हैं; कुष्ठ।
गदेला
[सं-पु.] 1. रुई आदि से भरा मोटा गद्दा 2. गद्दीदार बिछौना 3. हाथी की पीठ पर रखा जाने वाला मोटा बिछावन।
गदेली
[सं-स्त्री.] हथेली; करतल; ताल; हाथ का कलाई के आगे का वह ऊपरी चौड़ा हिस्सा जिसके आगे उँगलियाँ होती हैं।
गद्द
[सं-पु.] 1. मुलायम जगह या चीज़ पर किसी भारी वस्तु के गिरने से उत्पन्न शब्द 2. किसी गरिष्ठ चीज़ को खाने या अधिक मात्रा में भोजन कर लेने के कारण होने वाला पेट
का भारीपन।
गद्दा
[सं-पु.] 1. रुई का बिछौना; कृत्रिम रुई या फोम आदि का बना हुआ बिछौना 2. मोटा तोशक 3. मुलायम चीज़ों का ढेर 4. नरम चीज़ की चोट 5. हाथी की पीठ पर हौदा के नीचे
की बिछावन।
गद्दार
(अ.) [वि.] 1. विश्वासघाती 2. द्रोही; बागी 3. विद्रोही 4. राष्ट्र, संस्था या शासन के विरुद्ध होकर उसे हानि पहुँचाने वाला 4. किसी संगठन को नष्ट करने या हानि
पहुँचाने वाला।
गद्दारी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. अपने संगठन, दल या देश का अहित कर शत्रु को लाभ पहुँचाने का भाव 2. विश्वास जमा कर अहित करने का भाव; विश्वासघात।
गद्दी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटा गद्दा 2. रुई भरा हुआ कपड़ा 3. दुकान, व्यवसाय के मालिक आदि के बैठने का स्थान 4. अधिक सम्मानित व्यक्ति को बैठने के लिए लगाया हुआ
आसन 5. बड़ा पद।
गद्दीदार
[वि.] 1. जिसमें गद्दे लगे हों; गुदगुदा; गदीला 2. कई तह किया हुआ (कपड़ा) 3. रुई भरा हुआ (कपड़ा)।
गद्दीनशीन
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. जिसे राज्याधिकार मिला हो; सिंहासनारूढ़; सत्तारूढ़ 2. उत्तराधिकारी।
गद्य
(सं.) [सं-पु.] 1. वह लेखन जिसमें अलंकार, वर्णों की संख्या, मात्रा, लय और क्रम आदि का विचार न होता हो 2. 'पद्य' का विलोम; नस्र; इबारत 3. बोलचाल की भाषा में
लिखने का लेखन प्रकार 4. बनावट रहित सीधी सरल भाषा। [वि.] कहने योग्य; कथनीय।
गद्यकाव्य
(सं.) [सं-पु.] वह गद्य जिसमें कुछ भाव या भावनाएँ ऐसी कवित्वपूर्ण सुंदरता से व्यक्त की गई हों कि उसमें काव्य की-सी संवेदनशीलता तथा सरसता आ जाए।
गद्यगीत
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसी गद्य रचना जिसमें सरस ढंग से विचारों को व्यक्त किया गया हो 2. गद्य की सरस और लालित्य पूर्ण रचना जिसमें छंद और तुक का बंधन नहीं होता।
गद्यरूप
(सं.) [वि.] 1. गद्य के रूप वाला 2. गद्य के आकार, प्रकार, स्वरूप का 3. गद्य जैसा।
गद्यांश
(सं.) [सं-पु.] किसी गद्य रचना का कोई अंश; गद्य लेख का बहुत संक्षिप्त भाग; अनुच्छेद।
गद्यानुवाद
(सं.) [सं-पु.] किसी कृति या रचना का गद्य में होने वाला अनुवाद।
गधा
(सं.) [सं-पु.] 1. गदहा; गर्दभ; खर; वैशाखनंदन 2. घोड़े की तरह का एक छोटा चौपाया पशु जिसे धोबी, कुम्हार आदि बोझ ढोने के लिए पालते हैं। [वि.] {ला-अ.} मूर्ख;
नासमझ।
गधापन
(सं.) [सं-पु.] मूर्खता; नासमझी।
गन
(इं.) [सं-पु.] 1. बंदूक; रायफ़ल 2. एक यंत्र जिसमें बारूद भरकर चलाया जाता है 3. एक प्रकार का आग्नेयास्त्र।
गनगनाना
[क्रि-अ.] 1. जाड़े से काँपना 2. शरीर के रोओं का ठंड आदि के कारण खड़े हो जाना 3. रोमांचित होना।
गनगौर
(सं.) [सं-स्त्री.] चैत्र शुक्ल तृतीया।
गनी
(अ.) [वि.] 1. धनवान; पैसेवाला 2. अनिच्छुक; निस्पृह 3. संतुष्ट।
गनीम
(अ.) [सं-पु.] 1. लुटेरा; डाकू 2. दुश्मन; शत्रु; वैरी।
गनीमत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. बड़ी बात; संतोष करने योग्य बात 2. युद्ध में शत्रु पक्ष से लूटा गया माल; लूट।
गन्ना
(सं.) [सं-पु.] ईख; ऊख।
गप
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. इधर-उधर की बात 2. प्रयोजनरहित बातचीत; (गॉसिप) 3. झूठी बात या तारीफ़; डींग 4. कल्पित बात; गल्प।
गपकना
[क्रि-स.] 1. झटके से कुछ खा जाना; चटपट निगलना 2. झूठ बोलना।
गपबाज़
(फ़ा.) [सं-पु.] बकवादी; गप्पी; शेखीख़ोर; डींगिया।
गपशप
[सं-स्त्री.] 1. मनबहलाव की बातें; सरस वार्तालाप; रोचक बातचीत 2. मनोरंजन; तफ़रीह 3. बकवाद; झूठ से भरी बातचीत 4. समय काटने की बातें।
गपागप
[क्रि.वि.] 1. झट से निगलने की क्रिया 2. शीघ्रता से या जल्दी-जल्दी 3. गप-गप शब्द करते हुए।
गपिया
[वि.] गप हाँकने वाला; गपोड़िया; गप्पी।
गपोड़ा
[वि.] 1. बढ़ा-चढ़ाकर बातें करने वाला 2. कपोल-कल्पित किस्से सुनाने वाला 3. गपिया 4. मिथ्यावादी।
गपोड़ेबाज़ी
[सं-स्त्री.] व्यर्थ की बातों में समय बिताने की क्रिया या भाव; बकवाद।
गप्प
[सं-स्त्री.] 1. व्यर्थ की बातचीत; डींग 2. मिथ्यावाद 3. झूठी बात।
गप्पी
[वि.] 1. गप मारने वाला 2. व्यर्थ की कपोल-कल्पित बातें करने वाला 3. गपोड़िया।
गप्फा
[सं-पु.] 1. बड़ा कौर 2. बहुत बड़ा आर्थिक लाभ; नफ़ा।
गफ़र
(अ.) [सं-पु.] 1. दाढ़ी के दोनों ओर के बाल 2. सफ़ेद बालों को ख़िज़ाब से छिपाना 3. छोटी घास 4. गरदन और गुद्दी के बाल।
गफ़लत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. भूल; चूक; असावधानी; लापरवाही 2. बेख़बरी; असतर्कता 3. त्रुटि 4. आलस्य; काहिली 5. निश्चेष्टा; बेहोशी; संज्ञाहीनता; चेत या सुध का अभाव।
गफ़ूर
(अ.) [वि.] 1. क्षमा करने वाला 2. ईश्वर का एक विशेषण 3. बहुत अधिक क्षमावान।
गफ़्फ़ार
(अ.) [वि.] 1. क्षमा करने वाला 2. मोक्षदाता 3. ईश्वर का एक विशेषण 4. बहुत अधिक दयालु।
गबद्द
[वि.] 1. मूर्ख; जड़ 2. वह (व्यक्ति) जिसमें बुद्धि न हो या कम हो।
गबन
(अ.) [सं-पु.] 1. दूसरे का धन अनुचित रूप से हड़पना 2. गोलमाल 3. सरकारी धन की चोरी।
गबर
[सं-पु.] जहाज़ में सब पालों के ऊपर लगाया जाने वाला पाल।
गबरगंड
[वि.] बहुत बड़ा मूर्ख; जड़ बुद्धि।
गबरू
(फ़ा.) [वि.] 1. नौजवान; युवा 2. उभरती जवानी का 3. भोला-भाला।
गब्बर
(सं.) [वि.] 1. घमंडी; अभिमानी; अहंकारी 2. बहुमूल्य; कीमती 3. धनी; मालदार 4. ढीठ; हठी 5. सुस्त।
गभस्ति
(सं.) [सं-पु.] 1. किरण; रश्मि; ज्योति 2. हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित एक देवता; सौर जगत का वह सबसे बड़ा और ज्वलंत पिंड जिससे सब ग्रहों को गरमी और प्रकाश
मिलता है; सूर्य 3. बाँह; बाहु; हाथ। [सं-स्त्री.] (पुराण) अग्नि की स्त्री; स्वाहा।
गभस्तिमान
(सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. (पुराण) एक द्वीप का नाम 3. एक पाताल का नाम। [वि.] किरणयुक्त; प्रकाशयुक्त; चमकीला।
गभीरिका
(सं.) [सं-स्त्री.] बड़े आकार का ढोल।
गभुआर
(सं.) [वि.] 1. गर्भ या जन्म के समय का 2. जिसका मुंडन न हुआ हो 3. नादान; नासमझ; अनजान; बहुत छोटा।
गम
(अ.) [सं-पु.] 1. दुख; रंज; क्षोभ 2. मातम; शोक 3. चिंता; परवाह; फ़िक्र 4. क्लेश; मुसीबत। [वि.] सहनशील। [मु.] -खाना : धैर्य रखना।
ग़म
(अ.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. गम)।
गमक
[सं-स्त्री.] 1. महक; सुगंध; गंध 2. तबले की गंभीर आवाज़ 3. (संगीत) एक श्रुति या स्वर से दूसरी श्रुति या स्वर पर जाने का ढंग।
गमकना
[क्रि-अ.] 1. सुगंध देना; महकना; महमहाना 2. गूँज पैदा होना 3. ख़ुशी या उत्साह से भरना।
गमख़ोर
(फ़ा.) [वि.] 1. अत्याचार, अन्याय आदि को चुपचाप सहने वाला; सहनशील; सहिष्णु 2. दुख बटाने वाला; सहानुभूति रखने वाला; हमदर्द।
गमगीन
(अ.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसे गहरा दुख हो; गम में डूबा हुआ 2. उदास; दुखी; शोकसंतप्त 3. खिन्न।
गमछा
[सं-पु.] 1. देह पोंछने का एक सूती छोटा कपड़ा 2. अँगोछा।
गमज़दा
(अ.+फ़ा.) [वि.] दुखी; रंजीदा; गमगीन; शोकसंतप्त।
गमथ
(सं.) [सं-पु.] 1. मार्ग; राह 2. राह चलने वाला; पथिक; राहगीर; मुसाफ़िर 3. व्यापार; पेशा 4. आमोद-प्रमोद।
गमन
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रस्थान; जाना 2. विजययात्रा करना।
गमनपत्र
(सं.) [सं-पु.] वह पत्र जिसके द्वारा किसी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने अथवा ले जाने का अधिकार मिलता हो; चालान।
गमनपथ
(सं.) [सं-पु.] आने-जाने का रास्ता या पथ।
गमनागमन
(सं.) [सं-पु.] 1. एक स्थान से दूसरे स्थान पर आने-जाने की क्रिया या भाव 2. आना-जाना; आवाजाही; आवक-जावक; आवागमन।
गमनीय
(सं.) [वि.] 1. गमन करने योग्य 2. जाने योग्य 3. प्रवेश होने योग्य।
गमला
[सं-पु.] पौधे लगाने का लकड़ी, धातु सीमेंट या मिट्टी का बना चौड़ा या बड़े आकार का बालटी जैसा पात्र।
गमागम
(सं.) [सं-पु.] 1. गमन-आगमन 2. आना-जाना।
गमी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. मृत्युशोक; मातम 2. मृत्यु 3. वह शोक जो किसी के मरने पर होता है।
गम्य
(सं.) [वि.] 1. गमन करने योग्य; जाने योग्य 2. जिसके अंदर पैठ या प्रवेश हो सके 3. साध्य; जिसका साधन हो सके 4. जिसके साथ संभोग किया जा सके 5. वाद्य 6. लभ्य;
प्राप्य 7. समझाने योग्य 8. सरल; सहज।
गम्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] गम्य होने की अवस्था या भाव।
गय
(सं.) [सं-पु.] 1. घर; मकान 2. अंतरिक्ष; आकाश 3. (रामायण) एक वानर का नाम जो रामचंद्र की सेना का एक सेनापति था 4. (महाभारत) एक राजर्षि का नाम जिनकी कथा द्रोण
पर्व में है 5. एक असुर का नाम 6. गया नामक तीर्थ।
गयंद
(सं.) [सं-पु.] 1. हाथी 2. दोहे का एक प्रकार।
गया
(सं.) [सं-पु.] 1. बिहार राज्य का एक नगर 2. बिहार का एक प्रसिद्ध तीर्थ जहाँ हिंदू पिंडदान करते हैं।
गया-गुज़रा
(सं.+फ़ा.) [वि.] 1. बेकार; ख़राब; हीन दशा को प्राप्त; जो किसी लायक न हो 2. निकृष्ट; तुच्छ 3. बीता हुआ; भूतपूर्व 4. दुर्दशाग्रस्त।
गर1
(सं.) [सं-पु.] 1. रोग; बीमारी 2. कोई बहुत कड़वा पदार्थ; विष। [वि.] 1. धंधा करने वाला 2. रोगी।
गर2
(फ़ा.) [अव्य.] अगर का संक्षिप्त रूप; यदि; जो।
गर3
[परप्रत्य.] एक शब्द जो प्रत्यय के रूप में शब्दों के अंत में जुड़कर 'बनाने' या 'करने वाले' का अर्थ देता है, जैसे- जादूगर, कारीगर आदि।
गरंड
[सं-पु.] आटा चक्की के चारों तरफ़ आटा गिरने के लिए बना हुआ घेरा।
गरक
(अ.) [वि.] 1. डूबा हुआ; निमग्न 2. मग्न; लीन 3. तन्मय 4. नष्ट।
गरकना
(अ.) [क्रि-अ.] 1. डूब जाना; निमग्न हो जाना 2. नष्ट हो जाना; बरबाद या तबाह हो जाना।
गरकाब
(अ.) [सं-पु.] 1. डूबने की क्रिया या भाव 2. डुबाव। [वि.] डूबा हुआ।
गरकी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. डूबने की क्रिया या भाव 2. डूबना; डुबाव 3. अत्यधिक वर्षा या पानी की बाढ़; अतिवृष्टि 3. पानी में डूबी हुई ज़मीन 4. वह नीची भूमि जो बाढ़
में प्रायः डूब जाती हो।
गरगज
[सं-पु.] 1. किले का बुर्ज़ 2. नाव की छत 3. वह ऊँची भूमि या टीला जहाँ से शत्रु का पता लगाया जाता है 4. फाँसी की टिकठी।
गरचे
(अ.) [अव्य.] 1. अगरचे; यद्यपि 2. हालाँकि।
गरज़
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. उद्देश्य; प्रयोजन 2. चाह; ख़्वाहिश; इच्छा; स्वार्थ 3. आशय; मतलब 4. ज़रूरत; आवश्यकता 5. संबंध; ताल्लुक।
गरजना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. तेज़ और भीषण आवाज़ होना; बहुत ऊँचा और कर्कश शब्द करना 2. क्रोध में कड़ककर बोलना 3. शेर का दहाड़ना 4. मोती का चटकना; तड़कना।
गरज़मंद
(अ.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसे आवश्यकता हो; ज़रूरतवाला; 2. इच्छुक; चाहने वाला 3. ज़रूरतमंद।
गरज़ू
[वि.] 1. गरज़मंद; गरज़वाला; मतलब रखने वाला 2. चाहने वाला; इच्छा करने वाला; ग्राहक।
गरट्ट
[सं-पु.] 1. समूह; झुंड 2. अत्यधिक घना; सघन।
गरण
(सं.) [सं-पु.] 1. निगलने की क्रिया या भाव 2. छिड़कना 3. गरल; विष।
गरद
(सं.) [सं-पु.] विष; ज़हर; (पॉइज़न)। [वि.] 1. विष देने वाला 2. अस्वास्थ्यकर।
गरदन
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. गला; ग्रीवा 2. प्राणियों के धड़ और सिर के बीच का अंग 3. घड़े, सुराही आदि के मुँह के नीचे का तंग भाग।
गरदनी
[सं-स्त्री.] 1. घोड़े की पीठ पर डाला जाने वाला कपड़ा जो एक ओर उसकी गरदन में बँधा रहता है 2. सिले हुए कपड़े का वह अंश जो गले के चारों ओर पड़ता है 3. गले में
पहना जाने वाला एक आभूषण; हँसली 4. कारनिस 5. गरदन पर लगाया जाने वाला घस्सा 6. गरेबान 7. गरदनियाँ।
गरदा
(फ़ा.) [सं-पु.] धूल; गर्द; मिट्टी।
गरदान
(फ़ा.) [सं-पु.] वह जो घूम-फिर कर अपने ही स्थान पर आता हो। [सं-स्त्री.] 1. घूमना; लौटना; मुड़ना 2. शब्दों का रूप साधन। [वि.] 1. घूमकर एक ही स्थान पर आने वाला
2. बिंदु के चारों ओर घूमने वाला।
गरनाल
[सं-स्त्री.] चौड़े मुँह की तोप; घननाल।
गरबा
[सं-पु.] गुजरात राज्य का प्रसिद्ध लोकनृत्य जिसमें स्त्रियाँ कमर या सिर पर घड़ा रखकर या घेरा बनाकर नाचती हैं।
गरभाना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. गर्भ धारण करना; गर्भवती होना 2. गेहूँ, जौ, धान आदि के पौधों में बाल लगना।
गरम
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसे छूने पर ताप की अनुभूति हो; उष्ण; गरमी 2. ऊँचे तापमानवाला; जलता हुआ 3. तीखा; तेज़ 4. क्रोधित; शीघ्र ही उत्तेजित होने वाला 5. उष्णवीर्य;
जोश से भरा हुआ 6. तप्त 7. वह क्षेत्र जहाँ गरमी अधिक पड़ती हो।
गरम मसाला
[सं-पु.] 1. मिर्च, धनियाँ, लौंग, दालचीनी, तेजपत्ता, इलायची, जीरा, आदि मसालों का मिश्रण 2. उष्ण प्रकृति का मसाला।
गरमाइश
[सं-स्त्री.] गरमी; उष्णता; गरमाहट।
गरमाई
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. गरम होने का भाव; उष्णता 2. ग्रीष्म ऋतु 3. ऐसी वस्तु जिसके उपयोग या सेवन से शारीरिक शक्ति बढ़ती हो 4. ज्वर; ताप 5. हरारत 6. तीव्रोन्माद
7. उत्तेजना 8. साधारण या हलका ताप 9. क्रोध 10. जोश 11. उपदंश रोग।
गरमागरम
[वि.] 1. तुरंत का पका हुआ; तेज़ गरम 2. ऐसा गरम जिसमें अभी ठंडक न आई हो 3. बिलकुल ताज़ा, जैसे- गरमागरम भोजन, गरमागरम चाय 4. {ला-अ.} जोशीला; उत्साही 5.
{ला-अ.} जिसमें उत्तेजना या विवाद हो, जैसे- गरमागरम बहस।
गरमागरम ख़बर
[सं-स्त्री.] 1. ताज़ा, रोचक समाचार 2. सनसनीख़ेज़ या महत्वपूर्ण समाचार 3. किसी के संबंध में चटपटी या उत्तेजित करने वाली बात।
गरमागरमी
[सं-स्त्री.] 1. आवेशपूर्ण कहा-सुनी 2. मुस्तैदी; तत्परता 3. अनबन या झगड़ा होने की स्थिति।
गरमाना
[क्रि-अ.] 1. गरम या उष्ण होना 2. आवेश में आना; क्रुद्ध होना 3. मस्त होना; उल्लसित होना। [क्रि-स.] 1. गरम करना; तपाना 2. किसी को आवेशित करना; गरमी पहुँचाना।
गरमाहट
[सं-स्त्री.] 1. साधारण या हलका ताप; उष्णता; गरमी 2. गरम होने का भाव।
गरमी
[सं-स्त्री.] 1. गरम होने का भाव; उष्णता; ताप 2. ग्रीष्म ऋतु 3. आवेश; तेज़ी; उग्रता 4. उमंग; उत्साह 5. घमंड; अहंकार; गर्व 6. यौन रोग; आतशक; उपदंश 7. हाथी या
घोड़ों में होने वाला एक रोग। [मु.] -खाना : गुस्सा करना। -निकालना : घमंड नष्ट कर देना।
गरराना
[क्रि-अ.] 1. गरजना 2. घनघोर ध्वनि करना 3. भीषण आवाज़ करना 4. जोश में आना।
गररी
[सं-स्त्री.] एक पक्षी; सिरोही या किलँहटी नामक चिड़िया।
गरल
(सं.) [सं-पु.] 1. विष; ज़हर 2. साँप का ज़हर 3. घास का बँधा हुआ पूला।
गरलधर
(सं.) [सं-पु.] 1. साँप; सरीसृप वर्ग का एक रेंगने वाला पतला और लंबा जीव जिसकी कई जातियाँ पाई जाती हैं 2. शिव; महादेव। [वि.] विष धारण करने वाला।
गराँव
[सं-पु.] 1. छोटा गाँव 2. एक बटी हुई दोहरी रस्सी जो पशुओं के गले में बाँधी जाती है; पगहा।
गराज
(इं.) [सं-पु.] 1. गाड़ियों, मोटरों आदि के रखने का स्थान; मोटरख़ाना; (गैरेज) 2. मोटर गाड़ी या इसी प्रकार की कोई सवारी रखने का घिरा हुआ स्थान।
गराड़ी
[सं-स्त्री.] 1. घिरनी; चरखी; (पुली) 2. रगड़ से पड़ी हुई लकीर 3. अर्धवृत्ताकार गड्ढा जो कुछ दूर तक गया हो 4. पास-पास रहने वाली आड़ी रेखाओं की शृंखला; गंडा।
गरानी
[सं-स्त्री.] 1. भारीपन 2. अजीर्ण 3. पेट का भारी होना 4. महँगी।
गरामी
(फ़ा.) [वि.] 1. सम्मानित; पूज्य 2. बुज़ुर्ग 3. प्रसिद्ध; नामी।
गरारा1
[सं-पु.] 1. पायजामे आदि की ढीली मोहरी 2. ढीली मोहरी का पाजामा; मुस्लिम समाज में स्त्रियों द्वारा पहना जाने वाला अधोवस्त्र।
गरारा2
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. मुँह में पानी भरकर किया जाने वाला गर-गर शब्द 2. कुल्ला करना 3. नमक या दवा मिले गुनगुने पानी को गले में भरकर गर-गर शब्द करके बाहर निकाल
देना 4. चौपायों का एक रोग जिसमें उनके गले में घुर-घुर शब्द होता है।
गरासना
(सं.) [क्रि-स.] 1. निगलना 2. ग्रसना 3. खा जाना।
गरिका
(सं.) [सं-स्त्री.] नारियल की गरी; नारिकेल।
गरित
(सं.) [वि.] 1. ज़हर 2. विषयुक्त; विषाक्त।
गरिमा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गुरुत्त्व; भारीपन 2. महत्व; गौरव 3. गर्व 4. शेखी; आत्मश्लाघा 5. आठ सिद्धियों में से एक, जिसके द्वारा साधक अपना शरीर भारी कर सकता है।
गरियाना
[क्रि-अ.] 1. गालियाँ बकना या देना; अपशब्द कहना 2. डाँटना 3. दुर्वचन कहना।
गरियार
[वि.] 1. अड़ियल 2. वह चौपाया जो सुस्त हो 3. मट्ठर (बैल) 4. जो चलने में धीमा हो।
गरिष्ठ
(सं.) [सं-पु.] 1. दानव 2. एक तीर्थ। [वि.] 1. जो मुश्किल से पचे; बहुत भारी (भोजन) 2. कब्ज़ करने वाला 2. गुरु; बहुत सम्मानित।
गरी
[सं-स्त्री.] 1. नारियल का खोपरा 2. नारियल के फल के अंदर का मुलायम गूदा 3. कड़े बीज के अंदर की गिरी; मगज।
गरीब
(अ.) [वि.] 1. निर्धन; दरिद्र; कंगाल 2. विनम्र; दीनहीन 3. बेचारा; निरुपाय 4. मुफ़लिस; लाचार 5. अकिंचन।
ग़रीब
(अ.) [वि.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. गरीब)।
गरीबख़ाना
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. अपने घर, मकान या निवास के लिए किसी के सामने कहा जाने वाला नम्रतासूचक शब्द 2. दीन की कुटिया; साधारण घर।
ग़रीबख़ाना
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. गरीबख़ाना)।
गरीब-नवाज़
(फ़ा.) [वि.] 1. गरीबों पर दया करने वाला; दयालु 2. दीनवत्सल; दीनदयाल।
ग़रीब नवाज़
(फ़ा.) [वि.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. गरीब-नवाज़)।
गरीबपरवर
(फ़ा.) [वि.] 1. गरीबों का पालन करने वाला 2. दीन प्रतिपालक 3. गरीबों की परवरिश करने वाला।
गरीबान
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. कुरते या अँगरखे का वह भाग जो गले के पास या छाती के ऊपर रहता है 2. गिरेबान; गला।
गरीबी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. गरीब होने की अवस्था या भाव; दरिद्रता; निर्धनता; लाचारी 2. दीनता; मुफ़लिसी; कंगाली।
ग़रीबी
(अ.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. गरीबी)।
गरीयस
(सं.) [वि.] 1. बहुत भारी या महान 2. गुरुतर 3. सबसे प्रबल 4. महत्वपूर्ण।
गरु
(सं.) [वि.] 1. गंभीर व्यक्तित्व वाला 2. शांत 3. भारी; वजनी 4. गौरवशाली 5. धैर्यशाली।
गरुआ
[वि.] 1. अभिमानी; अहंकारी; घमंडी 2. भारी; वजनी।
गरुड़
(सं.) [सं-पु.] 1. गिद्ध की जाति का एक प्रकार का बहुत बड़ा पक्षी 2. उकाब 3. सफ़ेद रंग का एक प्रकार का जल पक्षी जिसे पड़वा ढेक भी कहते हैं 3. (पुराण) विनता के
गर्भ से उत्पन्न कश्यप के पुत्र पक्षीराज गरुड़ जो विष्णु के वाहन माने जाते हैं 4. (पुराण) चौदहवाँ कल्प।
गरुड़ध्वज
(सं.) [सं-पु.] 1. विष्णु 2. प्राचीनकाल के बने हुए ऐसे स्तंभ जिन पर गरुड़ की आकृति बनी होती थी 3. वह स्तंभ या खंभा जिसपर गरुड़ की आकृति हो।
गरुड़सिंह
(सं.) [सं-पु.] प्राचीन भारतीय वास्तु में एक कल्पित आकृति जिसका आगे का भाग गरुड़ के समान और पिछला भाग सिंह के समान होता था।
गरुत
(सं.) [सं-पु.] 1. पंख; पक्ष; पर 2. निगलना; भक्षण।
गरूर
(अ.) [सं-पु.] 1. अभिमान; घमंड; गर्व 2. गुमान 3. नखरा।
ग़रूर
(अ.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. गरूर)।
गरेरा
[सं-पु.] घेरा। [वि.] जिसमें घुमाव-फिराव हो; चक्करदार।
गर्क
(अ.) [वि.] 1. विचारमग्न; तल्लीन 2. मग्न; डूबा हुआ।
गर्ग
(सं.) [सं-पु.] 1. ज्योतिष शास्त्र के एक प्राचीन आचार्य 2. धर्मशास्त्र के प्रवर्तक एक प्राचीन ऋषि 3. केंचुआ 4. बैल; साँड़ 5. एक पर्वत का पुराना नाम 6.
(संगीत) एक प्रकार का ताल 7. गगोरी नाम का छोटा कीड़ा 8. बिच्छू 9. ब्रह्मा के मानस पुत्र जिनकी सृष्टि गया में यज्ञ के लिए हुई थी।
गर्गरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दही जमाने की मटकी 2. घड़ा; कलसी; गगरी 3. दहेड़ी।
गर्ज
(सं.) [सं-पु.] 1. गर्जन 2. हाथी का चिंघाड़ना 3. बादलों का गरजना।
गर्जक
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार की मछली। [वि.] गरजने या ज़ोर से बोलने वाला।
गर्जन
(सं.) [सं-पु.] 1. गरजने की क्रिया; गरजना 2. घोर ध्वनि करने या होने की क्रिया या भाव 3. बादलों की गड़गड़ाहट 4. गुस्सा 5. युद्ध 6. फटकार; भर्त्सना।
गर्जना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दहाड़; तेज़ आवाज़ 2. भीषण ध्वनि करने या होने की क्रिया।
गर्त
(सं.) [सं-पु.] 1. गड्ढा; गढ़ा; बिल 2. छेद; दरार 3. घर 4. (पुराण) एक नरक का नाम 5. नहर 6. समाधि; कब्र।
गर्द1
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. राख; धूल; रज 2. मिट्टी; खाक 3. सूर्य 4. खेद; रंज 5. फ़ायदा। [सं-पु.] पिसा हुआ कोयला।
गर्द2
(फ़ा.) [परप्रत्य.] शब्दों के अंत में जुड़कर 'घूमने-फिरने वाले' का अर्थ देता है, जैसे- आवारागर्द आदि।
गर्द-गुबार
(फ़ा.) [सं-पु.] धूल और मिट्टी जो हवा के कारण इधर-उधर बिखर जाती है।
गर्दन
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. गरदन।
गर्दभ
(सं.) [सं-पु.] 1. गधा; गदहा 2. गदहिला नामक कीड़ा 3. सफ़ेद कुमुदिनी।
गर्दालू
(फ़ा.) [सं-पु.] आलूबुख़ारा।
गर्दिश
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दुर्भाग्य; विपत्ति; संकट 2. फिराव; कालचक्र 3. भ्रमण; चारों ओर घूमना-फिरना 4. परिभ्रमण।
गर्भ
(सं.) [सं-पु.] 1. पेट के अंदर का भाग; गर्भाशय; कोख 2. मादा प्राणियों के शरीर का वह भीतरी भाग जिसमें शुक्र व डिंब के संयोग से नए प्राणी पनपते और अंत में
जन्म लेते हैं 3. घर-मंदिर का भीतरी केंद्रवर्ती भाग 4. नाटक की पाँच संधियों में से एक।
गर्भक
(सं.) [सं-पु.] 1. दो रातों और उनके बीच के दिन की अवधि 2. बालों में खोंसा जाने वाला फूलों का गुच्छा।
गर्भकाल
(सं.) [सं-पु.] 1. गर्भाधान के लिए उपयुक्त समय; ऋतुकाल 2. गर्भवती होने की अवधि; गर्भधारण से प्रसव तक का समय।
गर्भक्षय
(सं.) [सं-पु.] गर्भपात; चार महीने से कम का गर्भ गिरने या गिराने की क्रिया।
गर्भगृह
(सं.) [सं-पु.] 1. आँगन; घर का मुख्य भाग 2. प्राचीन समय में मंदिरों का वह गुप्त भाग जिसमें केवल मंदिर के पुरोहित ही प्रवेश कर सकते थे 3. वह कोठरी जिसमें
प्रसव कराया जाता है; सौरी 4. पेट के अंदर का वह भाग जिसमें बच्चा बनता है।
गर्भनिरोध
(सं.) [सं-पु.] 1. गर्भ न ठहरने देने की क्रिया 2. परिवार नियोजन।
गर्भनिरोधक
(सं.) [सं-पु.] 1. वह साधन या उपाय जिससे गर्भधारण को रोका जाता है 2. स्त्री या पुरुष द्वारा बच्चा न होने देने के लिए प्रयोग किए जाने वाले कृत्रिम साधन 3.
परिवार नियोजन का साधन। [वि.] गर्भ स्थापना या गर्भधारण को रोकने वाला।
गर्भपत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. कोंपल; कल्ला 2. फूल की पंखुड़ियाँ।
गर्भपात
(सं.) [सं-पु.] 1. जन्म लेने से पहले ही बच्चे का गर्भ से गिर जाना; गर्भ का नष्ट होना; (एबॉर्शन) 2. शल्यक्रिया या सर्जरी से गर्भ को गिरा देना।
गर्भमोक्ष
(सं.) [सं-पु.] प्रसव; आसुति; बच्चा जनने की क्रिया।
गर्भवती
(सं.) [सं-स्त्री.] स्त्री जिसके गर्भ या पेट में बच्चा हो; गर्भवाली; गर्भिणी; हामिला।
गर्भविज्ञान
(सं.) [सं-पु.] 1. चिकित्सा विज्ञान की एक शाखा 2. गर्भ-स्थापना तथा भ्रूण के वृद्धि-विकास आदि का विवेचन करने वाला शास्त्र 3. भ्रूण-विज्ञान 4. ऐसा विज्ञान
जिसमें इस बात का विवेचन किया जाता है कि गर्भ में जीवन का संचार और उसकी वृद्धि या विकास कैसे होता है।
गर्भस्थ
(सं.) [वि.] 1. गर्भ में स्थित; गर्भ में आया हुआ (बच्चा) 2. अंदर का; भीतरी।
गर्भस्थापन
(सं.) [सं-पु.] गर्भाशय में वीर्य पहुँचाकर गर्भधारण कराना; गर्भाधान कराना।
गर्भस्राव
(सं.) [सं-पु.] 1. गर्भपात 2. गर्भ के गिरने या नष्ट होने की वह अवस्था जब वह जीव बनने से पहले बहुत-कुछ तरल रूप में रहता है; (एबॉर्शन)।
गर्भांक
(सं.) [सं-पु.] 1. नाटक के अंक का एक अंश जिसमें सिर्फ़ एक घटना का दृश्य होता है 2. नाटक के एक दृश्य में ही स्थित दूसरा दृश्य 3. रूपक में अंक के अंतर्गत अंक
या दृश्य-विशेष।
गर्भागार
(सं.) [सं-पु.] 1. घर का मध्य या बीच का भाग 2. आँगन 3. घर के बीचो-बीच का कमरा 4. मंदिर की वह कोठरी जिसके बीच में किसी देवता मूर्ति रखी हो 5. शयनागार 6.
गर्भाशय; गर्भगृह।
गर्भाधान
(सं.) [सं-पु.] 1. गर्भ रहना; गर्भ धारण कराना 2. मादा प्राणी के गर्भ में उसके अंडाणु एवं नर प्राणी के शुक्राणु से जीव की सृष्टि का आरंभ 3. हिंदुओं के सोलह
संस्कारों में से एक।
गर्भावधि
(सं.) [सं-स्त्री.] जीव के गर्भ में रहने की अवधि।
गर्भावस्था
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गर्भ रहने की अवस्था; गर्भावधि 2. पेट या गर्भाशय में शिशु या गर्भ के विकसित होने का समय; (प्रेगनेंसी)।
गर्भाशय
(सं.) [सं-पु.] 1. स्त्री या मादा जाति के शरीर में गर्भ ठहरने का स्थान; बच्चादानी; कोख; (यूट्रस) 2. पेट।
गर्भिणी
(सं.) [वि.] 1. (स्त्री या कोई मादा प्राणी) जिसे गर्भ हो; गर्भवती; (प्रेगनेंट)। [सं-स्त्री.] 1. खिरनी का पेड़ 2. प्राचीन भारत में चलने वाली एक प्रकार की नाव।
गर्भीला
(सं.) [वि.] 1. जिसके गर्भ अथवा भीतरी भाग में कोई चीज़ स्थित हो 2. (रत्न) जिसके अंदर आभा झलकती हो।
गर्म
(फ़ा.) [वि.] गरम।
गर्मजोशी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. गहरे प्रेम का भाव; उत्साह; मिलनसारिता 2. सरगरमी; उल्लास।
गर्रा
(सं.) [सं-पु.] 1. लाखी रंग 2. लाखी रंग का घोड़ा 3. लाखी रंग का कबूतर। [वि.] 1. लाख के रंग जैसा 2. लाख के रंग का; लाखी।
गर्व
(सं.) [सं-पु.] 1. घमंड; शेखी; अहंकार; गरूर; नाज़ 2. रूप, धन, विद्या आदि में अपने को दूसरों से बढ़कर समझने का भाव 3. अपने किसी काम या बात के संबंध में होने
वाली सुखद और संतोषप्रद भावना 4. रसशास्त्र में वर्णित एक संचारी भाव।
गर्वमय
(सं.) [वि.] गौरव या गर्व सहित; अहंकारयुक्त; गौरवपूर्ण।
गर्विणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गर्व या घमंड करने वाली स्त्री 2. मान करने या रूठने वाली स्त्री; मानिनी।
गर्वित
(सं.) [वि.] 1. जिसे गर्व हो; गर्व करने वाला 2. गौरवमय 2. घमंडी; अहंकारी।
गर्विता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपने रूप, गुण पर घमंड करने वाली स्त्री 2. (साहित्य) नायिका के लिए प्रयुक्त शब्द। [वि.] 1. गर्व से युक्त 2. अभिमान करने वाली।
गर्विष्ठ
(सं.) [वि.] 1. जो गर्व या घमंड करने वाला हो; गर्वीला 2. जो अभिमान से भरा हो 3. जो गर्व या अहंकार से भरा हो 4. जो अपने सामने दूसरे को तुच्छ समझता हो।
गर्वीला
(सं.) [वि.] 1. गर्व करने वाला; अभिमानी 2. घमंडी 3. गर्व या तेज से परिपूर्ण।
गर्हण
(सं.) [सं-पु.] 1. निंदा; शिकायत 2. दोष लगाना 3. भर्त्सना। [सं-स्त्री.] गर्हणा।
गर्हणा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी को बहुत बुरा समझकर की जाने वाली बुराई; निंदा 2. दोष का पात्र 3. भर्त्सना।
गर्हणीय
(सं.) [वि.] 1. गर्हण का पात्र 2. जिसका गर्हण या निंदा करना उचित हो; निंदा करने योग्य 3. निंद्य; निंदनीय।
गर्हित
(सं.) [वि.] 1. ख़राब 2. बहुत अधिक दूषित या निंदित कि उसे देखने पर मन में घृणा उत्पन्न होती हो 3. जिसकी निंदा की गई हो।
गल
(सं.) [सं-पु.] 1. कंठ; गरदन; गला 2. एक पुराना बाजा 3. रस्सी 4. साल वृक्ष का गोंद 5. 'गला' का संक्षिप्त रूप जो यौगिक शब्दों के आरंभ में लगने पर प्राप्त होता
है, जैसे- गलकंबल, गलफाँसी।
गलकंबल
(सं.) [सं-पु.] 1. गाय के गले का नीचे का भाग जो लटकता रहता है 2. झालर 3. लहर।
गलका
[सं-पु.] 1. हाथ की उँगलियों के अगले सिरे पर होने वाला फोड़ा 2. एक प्रकार की चाबुक।
गलगंजन
[सं-पु.] हो-हल्ला; शोर-गुल।
गलगंड
(सं.) [सं-पु.] घेंघा; घेंघ; गला सूजने का एक रोग।
गलगल
[सं-पु.] 1. चकोतरे की तरह का एक खट्टा फल 2. सुर्ख़ी लिए हुए काले रंग की मैना की जाति की चिड़िया; गलगलिया; सिरगोटी 3. लकड़ियों को जोड़ने या छेद बंद करने का
एक प्रकार का मसाला।
गलगलाना
[क्रि-अ.] 1. बढ़-चढ़कर बातें करना 2. डींग मारना 3. गीला या तर होना; भीगना 4. कठोर पदार्थ का कोमल या नरम हो जाना 5. दयालु होना 6. हर्षित होना।
गलग्रह
(सं.) [सं-पु.] 1. आई हुई ऐसी विपत्ति जो बहुत कठिनता से टले 2. सामने पड़ा हुआ कष्टदायक बंधन 3. गला पकड़ना; गला घोंटना 4. गले में कफ़ की अधिकता से होने वाला एक
प्रकार का रोग 5. वह वस्तु जिससे जल्दी छुटकारा मिले 6. मछली का काँटा।
गलजँदड़ा
(सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो लगातार पीछे लगा रहे; पिछलग्गू 2. गले में लटकाई जाने वाली पट्टी जो हाथ में चोट लगने पर हाथ को सहारा देने के लिए बाँधी जाती
है।
गलझंप
[सं-पु.] हाथी के गले में बाँधी जाने वाली लोहे की ज़ंजीर।
गलत
(अ.) [वि.] 1. अशुद्ध; बिगड़ा हुआ 2. जो सही या ठीक न हो; अनुचित 3. जिसमें गणन या कलन संबंधी त्रुटि हो 4. जो वर्तनी, व्याकरण आदि की दृष्टि से शुद्ध न हो 5.
जो तथ्य के अनुरूप न हो; असत्य; मिथ्या; झूठ 6. दूषित; बुरा 7. नादुरुस्त; भ्रममूलक।
गलतंस
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसी संपत्ति जिसका कोई वारिस न हो; लावारिस जायदाद 2. ऐसे व्यक्ति की संपत्ति जो अपने पीछे किसी को छोड़ न गया हो; निःसंतान मृत व्यक्ति।
गलतनामा
(फ़ा.) [सं-पु.] अशुद्धि-पत्र; गलतियों या अशुद्धियों की सूची।
गलतफ़हमी
(अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बोधभ्रम; बदगुमानी; मुगालता; कुधारणा; वहम; भ्रांति 2. कोई बात समझने में होने वाला धोखा 3. किसी के बारे में गलत धारणा बना लेने की
स्थिति 4. किसी की कही हुई बात का अर्थ या आशय कुछ का कुछ समझ लेना।
गलतबयानी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. झूठ बोलना; बरगलाना 2. भ्रम पैदा करने वाला कथन 3. अयथार्थ कथन।
गलती
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. गलत होना 2. अशुद्धि; त्रुटि 3. भूल-चूक 4. नियम, रीति, व्याकरण, सिद्धांत आदि की दृष्टि से होने वाली कोई भूल।
गलदश्रु
(सं.) [वि.] 1. रोता हुआ, जिसके आँसू बह रहे हों 2. भावुक।
गलन
(सं.) [सं-पु.] 1. गलना 2. गलने की अवस्था; क्रिया या भाव 3. अत्यधिक सरदी जिसमें हाथ-पैर गलने-सा प्रतीत होते हैं; ठिठुरन।
गलनबिंदु
(सं.) [सं-पु.] गलनांक; द्रवण-बिंदु।
गलना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. ताप के प्रभाव से किसी ठोस पदार्थ का तरल में परिवर्तित होना; पिघलना, जैसे- भट्टी में सोने का गलना; बरफ़ का गलना 2. द्रवित होना; पिघलना 3.
ठिठुरना 4. कड़ी चीज़ का आँच पर पककर नरम होना 5. सीझना; अधिक पक जाना 6. जीर्ण होना; दुबला होना; शरीर का कमज़ोर होना 7. सड़ना।
गलनांक
(सं.) [सं-पु.] किसी पदार्थ का वह निश्चित तापक्रम जिसपर कोई पदार्थ गलने लगता है।
गलफड़ा
(सं.) [सं-पु.] 1. पानी में रहने वाले जीवों का वह अंग जिससे वे पानी में साँस लेते हैं 2. गाल का चमड़ा।
गलफाँसी
[सं-स्त्री.] 1. ऐसा बड़ा संकट जिससे छुटकारा मिलना संभव न हो; कष्टदायक बात 2. मालखंभ की एक प्रकार की कसरत 3. गले की फाँसी या फंदा।
गलबली
[सं-स्त्री.] 1. कोलाहल; ऊँची आवाज़ में बोलने या चिल्लाने आदि से उत्पन्न शोरगुल 2. गड़बड़।
गलबहियाँ
[सं-स्त्री.] 1. गले में बाँहें डालकर आलिंगन करने की अवस्था या भाव 2. गले मिलना।
गलमुच्छा
[सं-पु.] गालों तक बढ़ी हुई मूँछें।
गलशुंडी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जीभ के आखिरी छोर के पास की घंटी; जीभी; कौआ 2. एक रोग जिससे तालु की जड़ में सूजन आ जाती है।
गलसुआ
[सं-पु.] 1. कनपेड़; कनफेड़ा 2. एक प्रकार का रोग जिसमें गले की ग्रंथियाँ सूज जाती हैं और उनमें पीड़ा होती है।
गला
(सं.) [सं-पु.] 1. धड़ के ऊपर और सिर के नीचे का भाग; ग्रीवा; गरदन 2. उच्चारण या गायन का अंग; स्वर-नली; कंठ; हलक 3. कंठ का स्वर; सुर 4. द्रवित; पिघला हुआ 5.
बहुत पका हुआ 6. कुरते या अँगरखे का गिरेबान 7. लोटे या घड़े के मुँह से नीचे का हिस्सा। [मु.] -काटना : बहुत हानि पहुँचाना।-घुटना : साँस रुकना। -घोंटना : ज़बरदस्ती करना, ज़ोर से गला दबाना। गले का हार होना : बहुत प्रिय होना। गले लगाना : आलिंगन करना। -फाड़ना : ज़ोर से चिल्लाना।
गलाऊ
[वि.] 1. गलने वाला 2. जिसे गलाया जा सके; गलनशील।
गलाना
[क्रि-स.] 1. पिघलाना 2. किसी ठोस पदार्थ को पिघलाना 3. बहुत अधिक चिंता या श्रम करके अपने शरीर को क्षीण और दुर्बल बनाना।
गलित
[वि.] 1. गला हुआ 2. क्षय प्राप्त 3. जीर्ण 4. जो पुराना होने के कारण रस, सार आदि से रहित हो गया हो, जैसे- गलित यौवन; गलित अंग।
गलित कुष्ठ
(सं.) [सं-पु.] ऐसा कोढ़ जिसमें अंग गल-गलकर गिरने लगते हैं।
गलिया
[सं-स्त्री.] चक्की आदि का वह छेद जिसमें पीसने के लिए अनाज डालते हैं। [वि.] जो बहुत सुस्त हो; आलसी।
गलियारा
[सं-पु.] 1. गली की तरह का सीधा रास्ता; सँकरा रास्ता; (कॉरिडोर) 2. गली जैसा छोटा; तंग रास्ता।
गली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सँकरा रास्ता 2. बस्ती या मुहल्ले की तंग और पतली सड़क, जिसपर दोनों तरफ़ घर बने हों 3. कूचा; खोरी।
गलीचा
(अ.) [सं-पु.] 1. कालीन; कारपेट 2. ऊन या सूत आदि का बना हुआ मोटा बिछावन या चादर जिसपर बेलबूटे बने रहते हैं 3. ऊन या सूत के धागे से बुना हुआ मोटा बिछौना।
गलीछाप
[वि.] 1. सड़कछाप; आवारा; लफ़ंगा 2. जो बिना काम के इधर-उधर गलियों में घूमता रहता है 3. ऐरा-गैरा 4. बेकार; नाकारा।
गलीज़
(अ.) [वि.] गंदा; मैला; मलिन; नापाक; अशुद्ध; अपवित्र।
गलेबाज़ी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बहुत अधिक बात करने की क्रिया या भाव 2. गाते समय अधिक तान छेड़कर गायिकी का दिखाया जाने वाला कौशल।
गल्प
[सं-स्त्री.] 1. गप; मिथ्या प्रलाप 2. कहानी 3. भावपूर्ण या विचार-प्रधान कोई छोटी कहानी 4. मृदंग के बारह प्रबंधों में से एक।
गल्ला
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. अन्न; अनाज का ढेर 2. चक्की में एक बार में डालने लायक अनाज 3. खेत की उपज; पैदावार 4. गुल्लक; संदूक या बक्सा जिसमें दुकानदार रुपया-पैसा
रखते हैं 5. पेड़-पौधों आदि की उपज या पैदावार।
गल्लाचोर
[सं-पु.] अनाज की चोरी करने वाला व्यक्ति।
गल्लाफ़रोश
(फ़ा.) [सं-पु.] अनाज बेचने वाला व्यापारी।
गल्ह
(सं.) [सं-पु.] गाल; कपोल; रुख। [सं-स्त्री.] बात; कथन; वचन। [वि.] धृष्ट; ढीठ
गवर्नमेंट
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. सरकार 2. शासन; हुकूमत 3. राज्य का शासन करने वाली सत्ता 4. शासन-मंडल।
गवर्नर
(इं.) [सं-पु.] 1. राज्यपाल 2. राज्य का वह संवैधानिक व्यक्ति जो राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाता है 3. शासक।
गवर्नर-जनरल
(इं.) [सं-पु.] किसी देश का महत्वपूर्ण या सर्वप्रधान शासक और अधिकारी जिसके अधीन कई गवर्नर या प्रांत (क्षेत्र) के अधिकारी आते हों।
गवर्नेस
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. अध्यापिका 2. शिक्षिका 3. धाय माँ; दाई माँ 4. देखभाल करने वाली; सेविका; अमीर बच्चों के घर में रहकर उन्हें शिक्षाप्रदान करने वाली
धात्री।
गवाक्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. खिड़की; दीवार में बना हुआ झरोखा 2. राम की सेना का एक बंदर।
गवारा
(फ़ा.) [वि.] 1. जो मान्य हो; अंगीकार करने योग्य; सहने लायक 2. मनोनुकूल; पसंद 3. सह्य; स्वीकार्य 4. पचने वाला।
गवाह
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी बात या घटना का प्रत्यक्षदर्शी; साक्षी 2. वह व्यक्ति जो अदालत में न्यायाधीश के सामने तथ्यों या अभियुक्त के सत्यापन या समर्थन करने के
लिए बुलाया जाता है 3. जो दो पक्षों में होने वाले व्यवहार, समझौते या लेन-देन का आवश्यकता पड़ने पर सत्यापन करे।
गवाही
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. साक्ष्य 2. साक्षी 3. गवाह का कथन या बयान।
गवेषक
(सं.) [सं-पु.] 1. शोध-छात्र 2. शोध या अनुसंधान कार्य में लगा हुआ कोई व्यक्ति; (रिसर्चर)। [वि.] 1. शोध करने वाला 2. गवेषणा करने वाला।
गवेषण
(सं.) [सं-पु.] 1. खोजना; ढूँढ़ना 2. चाहना 3. खोई हुई गाय को ढूँढ़ने का कार्य।
गवेषणा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी बात या विषय का मूल रूप या वास्तविक स्थिति जानने के लिए उस बात या विषय का किया जाने वाला अध्ययन और अनुसंधान 2. छानबीन; किसी विषय
का अच्छी तरह अनुशीलन करके उसके संबंध में नए तथ्यों का पता लगाना; (रिसर्च)।
गवेषणापूर्ण
(सं.) [वि.] खोज से भरा हुआ; अन्वेषण युक्त।
गवेषणाशाला
[सं-स्त्री.] गवेषणा संस्था; अन्वेषण करने का स्थान।
गवेषित
(सं.) [वि.] खोज किया हुआ; तलाश किया हुआ; अन्वेषित।
गवेषी
(सं.) [वि.] 1. छानबीन करने वाला 2. खोजी 3. शोध करने वाला।
गवैया
[सं-पु.] गाने वाला; गायक; वह जो संगीत-शास्त्र का ज्ञाता हो और पूरी लय के साथ गाता हो।
गव्य
(सं.) [सं-पु.] 1. गोरोचन 2. गायों का झुंड। [वि.] गाय से प्राप्त, जैसे- दही, दूध, घी, गोबर, गोमूत्र आदि।
गश
(अ.) [सं-पु.] 1. बेहोशी; मूर्च्छा; चक्कर 2. अच्छी वस्तु में घटिया वस्तु मिलाना 3. जो मन में हो उसके ख़िलाफ़ कहना 4. शोषण। [मु.] -खाना :
बेहोश हो जाना।
गश्त
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. पहरा; सुरक्षा के लिए चक्कर लगाना; पुलिसकर्मी या सैनिकों की आवाजाही 2. घूमना; फिरना; भ्रमण; चक्कर; टहलना; दौरा 3. दंगा आदि को रोकने के
लिए किसी अधिकारी का किसी क्षेत्र में अथवा उसके चारों ओर घूमना।
गश्ती
(फ़ा.) [वि.] 1. चारों ओर घूमने वाला 2. जगह-जगह गश्त लगाने वाला 3. चलता-फिरता हुआ। [सं-पु.] पहरेदार।
गसना
[क्रि-स.] 1. कसकर या जकड़कर बाँधना 2. ग्रसित करना; गोथना 2. पकड़ना 3. कपड़ा आदि बनाने के लिए बाने के तागों को आपस में अच्छी तरह मिलाकर बैठाना।
गस्सा
(सं.) [सं-पु.] 1. कौर; ग्रास 2. निवाला।
गह
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पकड़ने की क्रिया या भाव 2. दस्ता 3. हथियार या शस्त्र की मूठ 4. टेक।
गहकना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. आवेश में होना 2. लालसा में होना; प्रबल चाह में होना; ललकना 5. उमंग में आना।
गहगह
(सं.) [वि.] 1. ख़ुशी या आनंद से भरा हुआ 2. प्रफुल्लित 3. उमंग से भरा हुआ 4. समृद्ध; भरा-पूरा 5. उत्साहपूर्ण 6. लहलहाता हुआ 7. प्रसन्नचित्त।
गहगहा
(सं.) [वि.] 1. प्रफुल्ल 2. आनंद-उल्लास से पूर्ण 3. गाढ़ा 4. गंभीर। [अव्य.] हर्ष-उत्साह के साथ; धूमधाम से।
गहगहाना
[क्रि-अ.] 1. अत्यधिक प्रसन्न हो जाना 2. आनंद से फूले न समाना 3. फ़सल आदि का लहलहाना 4. प्रफुल्लित होना।
गहन
(सं.) [वि.] 1. कठिन; दुरूह 2. निविड़; घना 3. दुर्भेद्य; दुर्गम 4. गंभीर। [सं-पु.] 1. लेना; पकड़ना 2. ग्रहण 3. बंधक 4. कलंक 5. कष्ट; विपत्ति; पीड़ा 6. गहराई 7.
गुफा 8. दुर्गम स्थान 9. जंगल 10. जल 11. परमेश्वर। [सं-स्त्री.] 1. गहने या पकड़ने का भाव; पकड़ 2. ज़िद; हठ।
गहनतम
(सं.) [वि.] सबसे गहरा; सबसे घना।
गहनता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गहराई; गहन होने की अवस्था 2. गंभीरता; दुर्गम होने का भाव।
गहना
(सं.) [सं-पु.] 1. पहनने या धारण करने का आभूषण; अलंकार; जेवर 2. रेहन; बंधक। [क्रि-स.] 1. पकड़ना या ग्रहण करना 2. धारण करना 3. थामना। [मु.] गहने रखना : आभूषण रेहन रखना।
गहमागहमी
[सं-स्त्री.] रौनक; चहलपहल; धूमधाम।
गहरा
(सं.) [वि.] 1. जिसका तल बहुत नीचा हो; गहराईवाला 2. जिसकी थाह लेना मुश्किल हो; गंभीर; 'उथला' का विलोम 3. घनिष्ठ; भारी; गाढ़ा 4. निम्नगामी 5. गूढ़; जिसे
समझना जटिल हो 6. बहुत चटकीला (रंग) 7. विकट; जिसका परिणाम बहुत तीव्र हो।
गहराई
[सं-स्त्री.] 1. गहरापन 2. गहरे होने की अवस्था।
गहाना
[क्रि-स.] 1. पकड़ाना 2. हाथ से कसकर या अच्छी तरह से पकड़ाना।
गहीला
[वि.] 1. उन्मत्त; मतवाला; पागल; विक्षिप्त 2. अभिमानी; अभिमान या दर्प से भरा हुआ; घमंडी; मगरूर; अहंकारी।
गहुआ
[सं-पु.] सँड़सी; गरम बरतन को पकड़ने का उपकरण।
गहैया
[वि.] 1. पकड़ने या गहने वाला 2. अंगीकार करने वाला; स्वीकार या ग्रहण करने वाला।
गह्वर
[सं-पु.] 1. गड्ढा; बिल, विवर 2. गुफा; अँधेरा एवं गहरा स्थान 3. देवालय; मंदिर। [वि.] गहरा; घना; दुर्गम।
गाँज
[सं-पु.] 1. गाँजने या ढेर लगाने की क्रिया या भाव 2. राशि; समूह; ढेर।
गाँजना
(सं.) [क्रि-स.] 1. ढेर लगाना; एक के ऊपर एक चीज़ रखना 2. भरा जाना 3. नष्ट करना; तोड़ना।
गाँजा
[सं-पु.] 1. भाँग की जाति का पौधा जिसकी पत्तियाँ या कलियाँ चिलम में रखकर नशे के लिए प्रयोग होती हैं 2. एक प्रकार का नशीला पदार्थ।
गाँठ
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ग्रंथि; गिरह 2. कपड़े या रस्सी आदि के दो सिरों को आपस में फँसाकर या घुमाकर बनाई गई गुत्थी या बंधन 3. गट्ठा 4. एक साथ बाँधकर रखी चीज़ों
का समूह 5. अंग का जोड़ या संधि, जैसे- उँगली की गाँठ 6. शरीर में किसी विकार के कारण बनने वाला कुछ ठोस व गोल उभार; गिल्टी। [मु.] -खुलना :
कमज़ोरी सामने आना। -खोलना : मन की इच्छा प्रकट करना। -पड़ना : मन-मुटाव होना। -में बाँधना : हमेशा याद रखना।
गाँठगोभी
[सं-स्त्री.] गोभी की जाति की एक तरकारी जो ठोस गोलाकार पिंड के रूप में होती है।
गाँठना
(सं.) [क्रि-स.] 1. बाँधना; गाँठ देना या लगाना 2. दो चीज़ों को जोड़ने के लिए सिलाई करना या डोरी आदि से जोड़ना 3. गूँथना 4. क्रम लगाना 5. अनुचित रूप से किसी से
काम निकालना 6. ज़बरदस्ती छीनकर किसी वस्तु को अपने वश में करना 7. मनचाही बात करने को तैयार करना।
गाँड़
[सं-स्त्री.] 1. गुदा; मलत्याग करने की इंद्रिय 2. समाज में अश्लील माना जाने वाला एक शब्द।
गाँड़र
[सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की घास जिसकी जड़ सुगंधित होती है; जिसे खस कहते हैं 2. एक दूब 3. गंडदूर्वा नामक घास।
गाँडू
[वि.] 1. समाज में अश्लील माना जाने वाला एक शब्द 2. गुदा मैथुन करने वाला 3. गुदा-भंजन कराने वाला 4. मूर्ख; निकम्मा और कायर।
गाँती
[सं-स्त्री.] 1. गाती 2. चादर आदि ओढ़ने का एक ख़ास ढंग।
गाँथना
[क्रि-स.] 1. कसना; जकड़ना 2. अच्छी तरह पकड़ना 3. गूँथना; पिरोना 4. गूँधना; गूँठना।
गाँव
(सं.) [सं-पु.] 1. ग्राम; छोटी बस्ती 2. शहर से दूर स्थित खेतीबारी पर अवलंबित किसानों-खेतिहरों का निवास; देहात 3. रहस्य संप्रदाय में काया 4. खेड़ा।
गाँवटी
[वि.] 1. गाँव में रहने वाला; गाँव का 2. देहाती।
गाँववासी
(सं.) [सं-पु.] 1. गाँव में रहने वाला 2. खेती करने वाला किसान 3. ग्रामीण; गाँव में रहने वाला व्यक्ति; देहाती।
गाँस
[सं-स्त्री.] 1. गँसने या गाँसने का भाव 2. रुकावट 3. द्वेष 4. तीर, बरछी, भाले आदि की नोक 5. काँटे का वह टुकड़ा जो शरीर के अंदर रह गया हो और बहुत कष्ट देता हो
6. चुभन 7. मनोमालिन्य 8. संकट।
गाँसना
[क्रि-स.] 1. गूँथना 2. दो चीज़ों को एक में मिलाने के लिए अच्छी तरह फँसाना; सटाना 3. किसी चीज़ में नुकीली चीज़ या गाँसी घुसाना 4. सालना; छेदना 5. किसी को वश या
शासन में करना 6. तेज़ी से दबोचना 7. किसी वस्तु को कसकर ठूँसना।
गांग
(सं.) [सं-पु.] 1. गंगा का किनारा या तट 2. वर्षा का विशेष प्रकार का जल 3. बड़ा तालाब 4. भीष्म 5. हिलसा मछली। [वि.] गंगा का; गंगा संबंधी।
गांगेय
(सं.) [सं-पु.] 1. भीष्म 2. एक राजवंश 3. हिलसा मछली। [वि.] 1. गंगा से उत्पन्न 2. गंगा तट पर स्थित।
गांडीव
(सं.) [सं-पु.] 1. (महाभारत) अर्जुन का धनुष जो उन्हें अग्नि से मिला था 2. धनुष।
गांधर्व
(सं.) [सं-पु.] 1. संगीत शास्त्र; गान विद्या 2. गंधर्व विद्या 3. गंधर्व जाति 4. हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार आठ विवाहों में से एक 5. भारतवर्ष का एक उपद्वीप
6. घोड़ा। [वि.] 1. गंधर्व संबंधी 2. गंधर्व का 3. गंधर्व देश में उत्पन्न।
गांधर्ववेद
(सं.) [सं-पु.] सामवेद का उपवेद जिसमें सामगान के स्वर, लय आदि का विवेचन है; संगीतशास्त्र।
गांधार
(सं.) [सं-पु.] 1. सात स्वरों में से तीसरा स्वर 2. एक राग 3. एक गंधद्रव्य 4. गंधार नामक राग का दूसरा नाम 5. सिंदूर 6. भारतवर्ष का एक प्राचीन जनपद।
गांधारी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (महाभारत) धृतराष्ट्र की पत्नी और दुर्योधन की माता 2. गांधार की राजकुमारी 3. बाईं आँख की एक नाड़ी 4. षाडव संपूर्ण जाति की एक रागिनी जो
दिन के दूसरे पहर में गाई जाती है। [सं-पु.] 1. जैनों के एक शासन देवता 2. गाँजा 3. जवासा।
गांधिक
(सं.) [सं-पु.] गंधी; इत्रफ़रोश; गंधद्रव्य; सुगंधित पदार्थ।
गांधी
(सं.) [सं-पु.] 1. गुजराती वैश्यों में एक कुलनाम या सरनेम 2. गँधिया कीड़ा 3. गंधी 4. गँधिया घास।
गांधी टोपी
[सं-स्त्री.] खादी की किश्तीनुमा टोपी।
गांधीवाद
[सं-पु.] गांधी द्वारा अपनाए गए सिद्धांतों और आदर्शों का सामूहिक रूप जिसमें उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में सत्य, अहिंसा, शुचिता और सादगी आदि को
अपनाने पर बल दिया है। इसमें उन्होंने साधन और साध्य की शुचिता और नैतिकता का पालन करने को आवश्यक कहा है।
गांधीवादी
(सं.) [वि.] वह जो गांधीवाद को मानता हो या गांधी जी का अनुयायी; गांधीवाद से संबंधित।
गांभीर्य
(सं.) [सं-पु.] 1. गंभीर होने की अवस्था या गुण; गंभीरता 2. गहराई; जटिलता 3. चित्त की स्थिरता; अचंचलता।
गाइड
(इं.) [सं-पु.] 1. मार्गदर्शक; पथदर्शक 2. वह पुस्तक जिसमें किसी नगर के महत्वपूर्ण या दर्शनीय स्थानों का विवरण हो; संदर्शिका 3. निर्देशक।
गाउन
(इं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का लंबा-ढीला वस्त्र; (मैक्सी) 2. वह विशिष्ट परिधान जो विज्ञान, वकालत आदि की उच्च परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर स्नातकों,
परास्नातकों द्वारा विशेष अवसरों पर पहना जाता है।
गागर
(सं.) [सं-स्त्री.] मिट्टी या धातु का ऊँची गरदन वाला घड़ा; गगरी; कलसा। [मु.] -में सागर भरना : थोड़े शब्दों या वाक्य में अधिक बात कहना अथवा
ऐसी वाक्य योजना जो बहुत गहरे भावों से युक्त हो।
गाच
(इं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का जालीदार पतला कपड़ा।
गाछ
(सं.) [सं-पु.] 1. पेड़; वृक्ष 2. उत्तरी बंगाल के पान की एक किस्म।
गाछी
[सं-स्त्री.] 1. छोटा बागीचा 2. छोटा पेड़ 3. खज़ूर की नरम कोंपल जिसे सुखाकर तरकारी बनाई जाती है 4. वह स्थान जहाँ पेड़ों की अधिकता हो।
गाज1
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गर्जन 2. बिजली की कड़क 3. बिजली 4. गूँजने की क्रिया, भाव या ध्वनि। [मु.] -गिरना : बिजली गिरना; आफ़त आना।
गाज2
[सं-पु.] पानी आदि का फ़ेन; झाग।
गाजना
[क्रि-अ.] 1. गरजना; दहाड़ना 2. शोर करना; ऊँची आवाज़ में बोलने या चिल्लाने आदि से उत्पन्न आवाज़ 3. खूब प्रसन्न होना।
गाजर
(सं.) [सं-स्त्री.] लाल या बैंगनी रंग का एक प्रसिद्ध लंबा और मीठा कंद जो सब्ज़ी, अचार, मुरब्बे या सलाद के रूप में खाया जाता है। [मु.] -मूली समझना : किसी को बहुत कमतर या तुच्छ समझ लेना।
गाज़ा
(फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार का सुगंधित पाउडर या लेप जिसे सौंदर्य बढ़ाने के लिए स्त्रियाँ गालों पर मलती हैं।
गाज़ी
(अ.) [सं-पु.] 1. मुसलमानों में वह वीर योद्धा जो धर्म या मज़हब आदि के लिए युद्ध करता है 2. उक्त युद्ध में प्राण देने वाला व्यक्ति 3. बहादुर; वीर 4. विजेता 5.
शूरवीर।
गाटर
[सं-पु.] 1. गाड़ी या हल के जुए की लकड़ी जिसके दोनों ओर बैल जोते जाते हैं 2. गाटा।
गाटा
[सं-पु.] 1. भूमि या खेत का छोटा टुकड़ा 2. उक्त प्रकार का खेत जो पूरी इकाई के रूप में माना जाता है; (प्लॉट)।
गाड़ना
[क्रि-स.] 1. दफ़न करना; गड्ढे में रखकर शव आदि को मिट्टी से ढकना 2. टेंट या तंबू खड़ा करना।
गाडव
(सं.) [सं-पु.] बादल; मेघ।
गाड़ी
[सं-स्त्री.] 1. यात्रियों को लाने-ले जाने या भार आदि ढोने वाला वाहन; शकट; यान; यात्रा-वाहन 2. रेलगाड़ी; मोटरकार।
गाड़ीख़ाना
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. गाड़ी रखने का स्थान 2. वह कमरा जहाँ गाड़ी खड़ी की जाती है; (गैरेज)।
गाड़ीवान
[सं-पु.] 1. बैलगाड़ी चलाने या हाँकने वाला व्यक्ति; चालक 2. वह जिसके पास गाड़ी हो।
गाढ़
(सं.) [सं-पु.] करघा [वि.] 1. दृढ़; पक्का; मज़बूत 2. बहुत अधिक; अतिशय 3. गंभीर; गहरा 4. दुरूह या दुर्गम। [सं-स्त्री.] संकट; कठिनाई; विकट या विपत्ति का समय।
गाढ़ता
(सं.) [सं-स्त्री.] कठिनता; दुरूहता 2. गाढ़ा या गहन होने का भाव या अवस्था; गाढ़ापन।
गाढ़ा
(सं.) [वि.] 1. मोटा; जिसमें तरल का अंश कम हो; जो पतला न हो; सघन; अविरल, जैसे-गाढ़ा शोरबा 2. घनिष्ठ; गहरा 3. कठिन (श्रम) 4. विकट, जैसे- गाढ़े दिन 6. जो ख़ूब
गहरा हो (रंग आदि) 7. आत्मीय 8. प्रचंड; उग्र 9. घना; ठस और मोटा (कपड़ा)। [सं-पु.] खादी का मोटा कपड़ा।
गाढ़ापन
[सं-पु.] 1. गाढ़ा या घना होने की अवस्था 2. प्रगाढ़ता 3. अविरलता।
गाढ़ी कमाई
[सं-स्त्री.] कड़ी मेहनत से अर्जित धन या संपत्ति।
गाणपत
(सं.) [वि.] 1. गणपति संबंधी; गणपति का 2. गणेश की उपासना करने वाला (एक प्राचीन संप्रदाय)।
गाणपत्य
(सं.) [सं-पु.] गणेश का उपासक; गणेश का भक्त या पुजारी।
गाणितिक
(सं.) [सं-पु.] गणितज्ञ; गणितशास्त्री; गणित शास्त्र का ज्ञाता। [वि.] गणित संबंधी।
गात
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर; काया; जिस्म; बदन; देह; तन 2. स्त्रियों का यौवन काल।
गाती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसा चादर जिसे गले में बाँधते हैं 2. बच्चों को सरदी से बचाने के लिए उनके शरीर पर लपेटकर गले में बाँधा जाने वाला छोटा कपड़ा 3. उक्त
प्रकार से ओढ़ी जाने वाली चादर।
गात्र
(सं.) [सं-पु.] 1. देह 2. अंग 3. शरीर 4. गात 5. हाथी के अगले पैरों का ऊपरी भाग।
गात्ररुह
[सं-पु.] बदन के रोएँ; शरीर के बहुत छोटे और पतले बाल।
गात्रावरण
(सं.) [सं-पु.] 1. लोहे आदि का बना वह आवरण जो लड़ाई के समय हथियारों से योद्धा को सुरक्षा प्रदान करता है; कवच 2. तलवार आदि का वार रोकने का एक उपकरण; ढाल;
ज़िरह-बख़्तर।
गाथ
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. यश; प्रसिद्धि; कीर्ति 2. कथा; कहानी 3. विस्तारपूर्वक किया जाने वाला वर्णन 4. प्रशंसा; तारीफ़ 5. स्तुति 6. गाना; गान।
गाथक
(सं.) [सं-पु.] गाथा कहने वाला एवं लिखने वाला व्यक्ति।
गाथा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कथा; वृतांत; प्राचीन काल की ऐतिहासिक कथाएँ जिनमें लोगों के गौरव का वर्णन होता था; छंदबद्ध कथा 2. स्तुति; प्रशंसा; श्लोक 3. प्रशंसा
गीत 4. प्राकृत भाषा का एक छंद; गीत 5. सत्यकथाओं पर आधारित छोटे-छोटे पद्यों में कही जाने वाली कथा; (बैलड)।
गाथिक टाइप
(इं.) [सं-पु.] छापाख़ाने में प्रयोग होने वाला अँग्रेज़ी वर्णमाला का एक विशेष प्रकार का काला, चौखटा और अलंकारविहीन मुद्राक्षर।
गाद
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. तरल पदार्थ के नीचे बैठी हुई तलछट; मैल 2. तेल की कीट 3. कोई गाढ़ी चीज़।
गादड़
[सं-पु.] 1. गीदड़ 2. डरपोक 3. कायर 4. गरियार बैल 5. मेढ़ा। [सं-स्त्री.] भेड़। [वि.] सुस्त; मट्ठर।
गादा
(सं.) [सं-पु.] 1. अधपकी फ़सल 2. खेत में खड़ी फ़सल जो पकी न हो 3. महुए का फल जो पेड़ से टपका हो।
गादी
[सं-स्त्री.] 1. गद्दी; बिछौना 2. छोटी टिकिया के आकार का एक प्रकार का पकवान।
गादुर
[सं-पु.] चूहे की शक्ल का स्तनधारी जीव जो चिड़ियों की तरह उड़ सकता है; चमगादड़; बादुर।
गाधि
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) राजा कुशिक के पुत्र जो विश्वामित्र के पिता थे।
गान
(सं.) [सं-पु.] 1. गाने की क्रिया या भाव; गीत; गाना 2. वह जो गाने योग्य हो 3. किसी की बड़ाई करना; स्तवन; बखान 4. शब्द 5. गमन; प्रस्थान।
गानविद्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गीत गाने की कला; गायन 2. संगीत-विद्या।
गाना
(सं.) [सं-पु.] 1. लय, ताल, राग आदि के साथ कविता, पद्य आदि का उच्चारण करने (गाने) की क्रिया या भाव 2. गाई जाने वाली रचना; गीत; गान। [क्रि-स.] 1. लय और ताल
के साथ शब्दों का उच्चारण करना 2. सुर व ताल के साथ गीत गाना; आलाप के साथ ध्वनि निकालना 3. विस्तार से बखान करना; वर्णन करना 4. स्तुति करना; प्रशस्ति करना 5.
मीठे वचन कहना।
गाफ़िल
(अ.) [वि.] 1. गफ़लत करने वाला; बेफ़िक्र 2. असावधान; बेख़बर 3. बेपरवाह; लापरवाह 3. अचेत; बेसुध।
ग़ाफ़िल
(अ.) [वि.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. गाफ़िल)।
गाब
[सं-पु.] एक प्रकार का पेड़ जिसका रस या गोंद नाव के पेंदे की लकड़ियों पर उन्हें सड़ने-गलने से बचाने के लिए लगाया जाता है।
गाबलीन
[सं-स्त्री.] जहाज़ पर पाल चढ़ाने की एक प्रकार की चरख़ी या गराड़ी।
गाभा
(सं.) [सं-पु.] 1. नया निकला हुआ कोमल पत्ता; कोंपल; कल्ला 2. पौधों, वृक्षों आदि की शाखाओं के अंदर का नरम भाग 3. कच्चा अनाज 4. खड़ी खेती 5. डाल 6. रजाई आदि से
निकली हुई रुई।
गाभिन
(सं.) [वि.] वह मादा पशु जिसके पेट में बच्चा हो।
गामाकिरण
[सं-स्त्री.] एक प्रकार का विद्युत चुंबकीय विकिरण जिसकी आवृत्ति उप-आण्विक कणों के आपसी टकराव से निकलती है।
गामिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] प्राचीन काल की एक बड़ी समुद्री नाव 2. जाने वाली (स्त्री)।
गामी
(सं.) [परप्रत्य.] शब्दों के अंत में जुड़कर निम्नलिखित अर्थ देता है- 1. किसी दिशा में गमन करने, चलने या जाने वाला, जैसे- उर्ध्वगामी; पश्चगामी 2. गमन या
संभोग करने वाला, जैसे- वेश्यागामी।
गाय
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दूध देने वाली मादा पशु, जो हिंदूधर्म में पूज्य मानी जाती है; गऊ 2. धेनु; साँड़ की मादा 3. {ला-अ.} भोली; सरल; बहुत सीधी (स्त्री)।
गायक
(सं.) [सं-पु.] 1. गाने वाला, गवैया 2. वह जो गीत गाकर अपनी जीविका का निर्वाह करता हो।
गायकवाड़
[सं-पु.] बड़ौदा के पुराने नरेशों की उपाधि जो मराठों के उत्तराधिकारी थे।
गायकी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गान-विद्या 2. गाने की उच्च कला 3. गान-विद्या का पूरा ज्ञान और उसके अनुसार होने वाला गाना 4. गाने का पेशा।
गायताल
[सं-पु.] 1. निम्न कोटि का बैल; निकम्मा चौपाया 2. रद्दी चीज़; बेकार; फालतू।
गायत्री
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सावित्री 2. गंगा 3. दुर्गा 4. एक प्रकार का वैदिक छंद 5. उक्त छंद में रचित एक वैदिक मंत्र। [सं-पु.] 1. खैर का पेड़ 2. सामगायक।
गायन
(सं.) [सं-पु.] 1. गाने की क्रिया या भाव 2. गाना।
गायब
(अ.) [वि.] 1. अदृश्य; लुप्त; अंतर्धान; लापता 2. आँखों से ओझल; छिपा हुआ 3. खोया हुआ 4. अनुपस्थित।
ग़ायब
(अ.) [वि.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. गायब)।
गायबाना
(फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. पीठ पीछे; अनुपस्थिति में 2. गुप्त रीति से; चोरी से।
गायिकी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गान-विद्या 2. (गान-विद्या) ठीक तरह से गाने की क्रिया या भाव 3. गाने की उच्च कला 4. गाने का पेशा।
गार1
(अ.) [सं-पु.] 1. गुफा; कंदरा; खोह; 2. गड्ढा; गर्त 3. नीची ज़मीन 4. जंगली जानवर का बिल; माँद।
गार2
(फ़ा.) [परप्रत्य.] शब्दों के अंत में जुड़कर 'करने वाला' का अर्थ देता है, जैसे- ख़िदमतगार, गुनहगार।
गारंटी
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. आश्वासन 2. प्रत्याभ 3. प्रतिभू 4. ज़ामिन 5. ज़मानत; प्रत्याभूति।
गारत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. लूटमार 2. तबाही; बरबादी। [सं-पु.] 1. लूटमार करने वाला 2. तबाह करने वाला। [वि.] ध्वस्त; नष्ट; बरबाद; मटियामेट; तबाह।
गारद
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. सैनिकों या सिपाहियों की टुकड़ी या दस्ता जो किसी काम के लिए नियुक्त किया गया हो; प्रहरी; रक्षक 2. चौकी; पहरा स्थल। [मु.] -में रखना : पहरे में रखना (अपराधियों आदि को)।
गारना
(सं.) [क्रि-स.] 1. निचोड़ना 2. पानी के साथ घिसकर, रगड़कर किसी चीज़ का सार या रस निकालना 3. पानी के साथ चंदन घिसना 4. गलाना 5. प्रवाहित करना; बहाना 6. निकालना
7. त्यागना।
गारबेज
(इं.) [सं-पु.] कूड़ा-करकट; कचरा।
गारा
(सं.) [सं-पु.] 1. चूना, सीमेंट या मिट्टी को पानी में सानकर तैयार किया गया गाढ़ा घोल 2. दीवार आदि में ईंट-पत्थरों को जोड़ने के लिए मिट्टी या चूने का लेप या
मसाला; गाढ़ा कीचड़ 3. मछली के खाने का वह चारा जो मछली को फँसाने के लिए वंशी में लगाया जाता है। [वि॰] 1. तर; गीला 2. उदासीन।
गारुड़
(सं.) [सं-पु.] 1. वह मंत्र जिसका देवता गरुड़ हो 2. पन्ना 3. गरुड़व्यूह 4. सोना 5. साँप का जहर दूर करने वाला मंत्र 6. एक प्रकार का प्राचीन अस्त्र। [वि.] गरुड़
संबंधी; गरुड़ का।
गारुड़ी
(सं.) [सं-पु.] 1. मंत्र से साँप आदि का विष उतारने वाला व्यक्ति 2. साँप को पकड़ने तथा उसे वश में करने वाला व्यक्ति 3. सँपेरा।
गारुत्मत
(सं.) [सं-पु.] 1. फिरोज़ी या हरे रंग का एक रत्न; पन्ना 2. गरुड़ का अस्त्र।
गार्गी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गर्ग ऋषि की पुत्री 2. गर्ग गोत्र की एक प्रसिद्ध विदुषी, याज्ञवल्क्य की पत्नी जिसकी कथा वृहदारण्यक उपनिषद में है।
गार्जियन
(इं.) [सं-पु.] 1. अभिभावक; संरक्षक 2. किसी नाबालिग या शारीरिक रूप से चुनौती प्राप्त बालक या उसकी संपत्ति आदि का अभिरक्षक; रक्षक; परिपालक 3. उत्तरदायित्व
ग्रहण करने वाला।
गार्ड
(इं.) [सं-पु.] 1. रक्षक 2. पहरा देने वाला व्यक्ति 3. रेलवे का वह अधिकारी जो रेलगाड़ी के साथ उसकी देखरेख और व्यवस्था करने के लिए रहता है।
गार्डन
(इं.) [सं-पु.] उद्यान; उपवन; गुलशन; बाग; बगीचा।
गार्हपत
(सं.) [सं-पु.] गृहपति; गृहस्वामी; परिवार का प्रमुख; घरवाला; घर का मालिक। [वि.] गृहपति संबंधी।
गार्हपत्य
(सं.) [सं-पु.] गृहपति होने की अवस्था या भाव।
गार्हस्थ्य
(सं.) [सं-पु.] 1. गृहस्थ होने की अवस्था या भाव 2. गृहस्थाश्रम 3. गृहकार्य 4. गृहस्थ के लिए कर्तव्य; पंचयज्ञ।
गाल
(सं.) [सं-पु.] 1. चेहरे पर मुख विवर और नाक के दोनों ओर ठुड्डी और कनपटी के बीच का कोमल अंग; कपोल 2. मुँह के अंदर का वह भाग जिससे खाने-पीने और बोलने में मदद
मिलती है 3. बीच; मध्य 4. ग्रास; कौर 5. मुँहज़ोरी; बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बात कहने की आदत। [मु.] -फुलाना : रूठना। -बजाना :
बढ़-चढ़कर बातें करना।
गालगूल
[सं-पु.] इधर-उधर की बातें; गपशप; अनाप-शनाप की बात या अनौपचारिक बातचीत।
गालन
(सं.) [सं-पु.] 1. गलाने की क्रिया या भाव 2. किसी तरल पदार्थ को दूसरे पात्र में इस तरह से निकालना कि उसका मैल या तलछट पहले पात्र या बरतन में ही रह जाए 3.
निचोड़ना।
गालव
(सं.) [सं-पु.] 1. पाणिनी के पूर्ववर्ती एक वैयाकरण 2. एक प्राचीन ऋषि का नाम जो विश्वामित्र के शिष्य थे 3. एक प्राचीन स्मृतिकार आचार्य 4. तेंदू का पेड़।
गाला
[सं-पु.] 1. धुनी हुई रुई का पहल जो चरखे पर सूत कातने के लिए बनाया जाता है; पूनी 2. रुई का टुकड़ा जो हलके होने के कारण हवा में इधर-उधर उड़ जाता है।
गालित
(सं.) [वि.] 1. गलाया हुआ; पिघलाया हुआ 2. निचोड़ा हुआ।
गालिब
(अ.) [सं-पु.] उर्दू के एक प्रख्यात कवि (शायर) का उपनाम। [वि.] 1. विजयी 2. प्रबल 3. ज़बरदस्त; बलवान 4. जिसकी संभावना हो; संभावित 5. दूसरों को दबाने या दमन
करने वाला।
ग़ालिब
(अ.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. गालिब)।
गालिबन
(अ.) [क्रि.वि.] संभवतः; बहुत संभव है कि; संभावना है कि।
गाली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रोष में आकर कही गई अपमानजनक उक्ति; अपशब्द; अशिष्ट बात; दुर्वचन 2. शादी-विवाह आदि के अवसर पर महिलाओं द्वारा गाए जाने वाले (गाली से
युक्त) लोकगीत; परिहास गीत 3. कलंक या निंदा की बात। [मु.] -खाना : गाली सुनना; अपमानित होना।
गाली-गलौज
[सं-स्त्री.] 1. विवाद में एक-दूसरे को गाली देने की स्थिति 2. तू-तू-मैं-मैं; झगड़ा 3. अपशब्द; दुर्वचन।
गाली-गुफ़्ता
(फ़ा.) [सं-पु.] किसी दूसरे को अपशब्द कहना; गाली-गलौज।
गालू
[वि.] गाल बजाने वाला; बढ़-चढ़कर बातें करने वाला; शेखी बघारने वाला।
गाव
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. गाय 2. बैल 2. वृष राशि 3. गाय की शक्ल का शराब का प्याला।
गावकुशी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] गोवध; गोहत्या; गाय की हत्या।
गावख़ाना
(फ़ा.) [सं-पु.] गोशाला; गोवारी; गोठ; गायों के रहने का स्थान।
गावख़ुर्द
(फ़ा.) [वि.] 1. लापता; गायब; फ़रार 2. नष्ट-भ्रष्ट।
गाव-ज़बान
[सं-पु.] एक प्रसिद्ध औषधि जो जंगलों में पाई जाती है।
गाव तकिया
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. मसनद 2. बड़ा तकिया 3. एक प्रकार का लंबा, गोल तथा मोटा तकिया जिसके सहारे लोग गद्दी पर बैठते हैं।
गावदी
(फ़ा.) [वि.] 1. नासमझ; मूर्ख; जड़; बुद्धू 2. अबोध; सीधा-सादा 3. कुंठित दिमाग वाला 4. बेवकूफ़।
गावदुम
(फ़ा.) [वि.] 1. जो गाय की पूँछ की तरह एक ओर मोटा तथा दूसरी ओर पतला हो; ऊपर से नीचे की ओर पतली होती जाती चीज़ 2. ढालू; ढलुवाँ 3. उतार-चढ़ाव वाला।
गाशिया
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. घोड़े की जीन पर बिछाने का एक विशेष प्रकार का कपड़ा; घोड़े का जीनपोश 2. महाप्रलय 3. नरक की आग 4. आंतरिक रोग।
गाह1
(सं.) [सं-पु.] गहनता; गहराई।
गाह2
(फ़ा.) [परप्रत्य.] शब्दों के अंत में जुड़कर किसी स्थान विशेष का अर्थ देता है, जैसे- आरामगाह, इबादतगाह, शिकारगाह आदि।
गाहक
(सं.) [सं-पु.] 1. ख़रीददारी करने वाला व्यक्ति; ग्राहक 2. सामान मोल लेने वाला; क्रेता 3. अवगाहन करने वाला व्यक्ति 4. कद्रदाँ।
गाहकी
[सं-स्त्री.] 1. ख़रीदारी 2. ग्राहक के हाथ वस्तु बेचने की क्रिया; बिक्री।
गाहन
(सं.) [सं-पु.] 1. पकड़ने की क्रिया या भाव 2. ग्रहण 3. पानी में धँसना; पैठना; गोता लगाना; निमज्जन 4. थाह लेना 5. छानना 6. बिलोड़ना।
गाहना
(सं.) [क्रि-स.] 1. डूबकर या पानी में गोता लगाकर थाह लेना 2. किसी की अंदर की बात की गहराई को जानना 3. पानी में पैठना या धँसना 4. मथना; बिलोना 5. धान आदि के
डंठल झाड़ना।
गाह-ब-गाह
(फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. कभी-कभी 2. यदा-कदा; जब-तब।
गाही
[सं-स्त्री.] 1. पाँच वस्तुओं का समूह 2. फल आदि गिनने का पाँच-पाँच का मान।
गाहे-बगाहे
(फ़ा.) [क्रि.वि.] कभी-कभी; थोड़े-थोड़े समय पर; बीच-बीच में।
गिंजना
[क्रि-अ.] 1. गींजा जाना 2. किसी वस्तु को बार-बार हाथ से स्पर्श किए जाने के कारण ख़राब होना 3. दबाकर या मरोड़कर ख़राब कर देना।
गिंजाई
[सं-स्त्री.] 1. गींजने की क्रिया या भाव 2. एक प्रकार का छोटा बरसाती कीड़ा; घिनौरी; ग्वालिन 2. ऐसा लाल कीड़ा जो बारिश के समय निकलता है।
गिंड़नी
[सं-स्त्री.] एक पौधा जिसकी छोटी किंतु लंबोतरी पत्तियों का साग बनता है; पोई।
गिंदौरा
[सं-पु.] मोटी रोटी के जैसी जमाई हुई चीनी की परत।
गिचपिच
[वि.] 1. अस्पष्ट 2. पास-पास लिखा हुआ 3. एक-दूसरे में भद्दी तरह से मिला हुआ।
गिचिर-पिचिर
[वि.] गिचपिच।
गिजगिजा
[वि.] 1. गीला 2. जो मुलायम तथा गीला हो 3. पिलपिला 4. गुदगुदा या मांसल।
गिज़ा
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. खाद्य पदार्थ; पौष्टिक आहार 2. ख़ुराक; भोजन। [सं-पु.] धर्म-युद्ध; गजा।
गिज़ाई
(अ.) [वि.] भोजन संबंधी; अन्न संबंधी।
गिटकिरी
[सं-स्त्री.] (संगीत) तान लेते समय मधुरता लाने के लिए विशेष प्रकार से स्वर को कँपाना।
गिटपिट
[सं-स्त्री.] 1. अर्थहीन शब्दावली 2. किसी के द्वारा व्यक्त ऐसे शब्द या बातें जो सहसा श्रोताओं की समझ में न आती हों। [मु.] -करना : टूटी-फूटी
या अशुद्ध भाषा में बातें करना।
गिट्टक
[सं-स्त्री.] 1. चुगल; चिलम के छेद पर रखने का कंकड़ 2. गिट्टी, पत्थर, धातु, लकड़ी आदि का छोटा टुकड़ा 3. फलों की गुठली।
गिट्टा
(सं.) [सं-पु.] 1. चिलम के छेद पर रखा जाने वाला छोटा ईंट या पत्थर का टुकड़ा 2. कंकड़ी; कंकड़; पत्थर आदि का छोटा टुकड़ा 3. पैर के पंजे और पिंडली के बीच की मोटी
उभरी हुई हड्डी; टखना।
गिट्टी
[सं-स्त्री.] 1. पत्थर या ईंट के प्राकृतिक रूप से बने हुए या तोड़कर बनाए गए छोटे-छोटे टुकड़े; कंकड़-पत्थर 2. सड़क या इमारतों के निर्माण में प्रयोग की जाने
वाली गिट्टी 3. मिट्टी के बरतन के टुकड़े 4. चिलम की गिट्टक।
गिड़गिड़ाना
[क्रि-अ.] 1. अत्यंत दीनतापूर्वक विनती करना 2. सहायता हेतु याचना करना 3. मदद माँगना 4. आजिज़ी करना।
गिड़गिड़ाहट
[सं-स्त्री.] 1. गिड़गिड़ाने की क्रिया भाव; विनती 2. गिड़गिड़ाकर कही गई बात।
गिड्डा
[वि.] नाटा; आकार या लंबाई के विचार से ठिंगना।
गिद्ध
(सं.) [सं-पु.] 1. एक लुप्तप्राय बड़ा पक्षी जो मृत प्राणियों-जंतुओं का मांस खाता है 2. एक तरह की बड़ी पतंग 3. छप्पय छंद का एक भेद 4. {ला-अ.} चालाक या धूर्त;
काइयाँ।
गिनती
[सं-स्त्री.] 1. गिनने की क्रिया; गणना 2. संख्या; तादाद 3. मूल्य; महत्व 3. एक से सौ तक के अंक 4. {ला-अ.} महत्व; प्रतिष्ठा 5. हाज़िरी।
गिनना
(सं.) [क्रि-स.] 1. गिनती करने की क्रिया; किसी क्रम विशेष में अंकों का उच्चारण; संख्या जानना 2. हिसाब लगाना; गणना करना 3. {ला-अ.} किसी को महत्व देना या
महत्वपूर्ण समझना।
गिनवाना
[क्रि-स.] गिनने का कार्य दूसरे से कराना; गणना कराना।
गिना-चुना
[वि.] 1. विशिष्ट; जो किसी विशेषता से युक्त हो 2. थोड़ा-सा।
गिनाना
[क्रि-स.] 1. गिनने का कार्य दूसरे से कराना 2. किए हुए कार्यों की संख्या बताना।
गिनी
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. लंबी विलायती घास जो मैदानों में लगाई जाती है 2. ब्रिटेन में प्रचलित एक प्रकार का सोने का सिक्का जो इक्कीस शिलिंग का होता है।
गिन्नी
[सं-स्त्री.] चक्कर।
गिफ़्ट
(इं.) [सं-पु.] 1. उपहार; तोहफ़ा 2. भेंट; दान 3. गुण; प्रतिभा 4. देन 5. सौगात; इनाम 6. अर्पित या समर्पित की गई वस्तु।
गिब्बन
(इं.) [सं-पु.] 1. दक्षिण-पूर्वी एशिया में पाया जाने वाला पूँछरहित लंबी बाँहों वाला बंदर 2. शाखाओं पर रहने वाले बंदर की एक प्रजाति।
गियर
(इं.) [सं-पु.] 1. वाहन को आगे-पीछे करने या गति में सहायता करने वाला कलपुरज़ा, जैसे- मोटरसाइकिल का गियर 2. किसी मशीन में विशिष्ट कार्य के लिए बनाया गया कोई
समेकित उपकरण।
गिरगिट
[सं-पु.] 1. छिपकली की प्रजाति का एक जंतु जो समयानुसार रंग बदलता है 2. {ला-अ.} आवश्यकतानुसार अपना रंग (बात या चाल-ढाल) बदलने वाला व्यक्ति। [मु.] -की तरह रंग बदलना : आचरण या व्यवहार में आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन करना।
गिरजा1
[सं-पु.] एक प्रकार का पक्षी जो कीड़े-मकोड़े खाता है। [सं-स्त्री.] (पुराण) पर्वतराज हिमालय की कन्या; गिरिजा; पार्वती (भगवान शिव की पत्नी)।
गिरजा2
(पु.) [सं-पु.] ईसाइयों का प्रार्थना-मंदिर।
गिरजाघर
[सं-पु.] ईसाइयों का उपासना-गृह।
गिरदा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. चक्कर 2. गोल टिकिया 3. काठ की गोल थाली या तश्तरी 4. तकिया; गेंदुआ 5. एक प्रकार का पकवान 6. हुक्के के नीचे रखा जाने वाला कपड़े का गोल टुकड़ा
7. फरी 8. खंजरी, ढोल आदि का मेंडरा 9. जो दूसरों को अपने जाल या चक्कर में फँसाता हो।
गिरना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. ऊपर से नीचे की ओर आ जाना; ज़मीन पर आ पड़ना 2. छीजना; अवनति या घटाव पर होना; बुरी दशा में होना 3. (इमारत या दीवार आदि का) उखड़ना; ढहना 4.
मारा जाना; घायल होकर गिरना 5. पतन होना 6. किसी चीज़ के लिए लालायित होना 7. किसी नदी या जलस्रोत आदि का किसी समुद्र आदि में मिलना 8. फैलना 9. झड़ना 10. चरित्र
का पतन होना 11. उत्साहहीन होना 12. (आकाश में तारे आदि का) टूटना 13. (पेड़ आदि से फल-फूल का) टपकना 14. व्यवसाय या कारोबार का मंद पड़ना (बाज़ार गिरना)।
गिरनार
(सं.) [सं-पु.] गुजरात में स्थित रैवंतक नामक एक पर्वत जो जैनियों का तीर्थ है।
गिरफ़्त
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. किसी चीज़ को अच्छी तरह पकड़ना; पकड़; चंगुल 2. त्रुटि या भूल का पता लगाना; दोष 3. एतराज़ 4. मूठ 5. दस्ता; पंजा 6. अधिकार; कब्ज़ा 7.
हथियारों का वह अंग जहाँ से वे पकड़े जाते हैं 8. ख़ास ढंग या हथाकंडा जिससे अपराध, दोष, भूल आदि का पता लगाया जाता है।
गिरफ़्तार
(फ़ा.) [वि.] 1. गिरफ़्त में लिया हुआ; कैद किया हुआ; बंदी; मुब्तला 2. किसी अपराध या दोष में अधिकारियों द्वारा पकड़ा गया (व्यक्ति) 3. कष्ट या मुसीबत में उलझा
हुआ 4. फँसा या बँधा हुआ; पकड़ा हुआ 5. आशिक; आसक्त 6. ग्रसा हुआ; ग्रस्त।
गिरफ़्तारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. गिरफ़्तार होने की अवस्था क्रिया या भाव; बंदी होना; कैद 2. पुलिस द्वारा पकड़ा जाना; फँसना 3. ग्रस्त होना।
गिरमिट
(इं.) [सं-पु.] 1. लकड़ी, लोहे आदि में छेद करने का बड़ा बरमा 2. संविदा-पत्र 3. इक़रारनामा; प्रतिज्ञापत्र।
गिरमिटिया
[सं-पु.] किसी उपनिवेश में गया हुआ शर्तबंद हिंदुस्तानी मज़दूर।
गिरवाना
[क्रि-स.] 1. किसी को कोई चीज़ गिराने में प्रवृत्त करना 2. किसी के द्वारा तोड़ने-फोड़ने या गिराने का काम करवाना, जैसे- मकान या दीवार गिरवाना।
गिरवी
(फ़ा.) [वि.] 1. जो रेहन रखा गया हो; बंधक; गिरवी रखा हुआ 2. बंधक रखी हुई (चीज़)।
गिरवीदार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. रेहनदार; वह व्यक्ति जो रुपए उधार देने के बदले में उसका सामान अपने पास बंधक रखता हो 2. बंधक रखने वाला।
गिरह
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. गाँठ; गुत्थी; ग्रंथि 2. बंधन; उलझन 3. समस्या; मसला 4. खीसा; खरीता; जेब; टेंट 5. ईख में पोरों का जोड़ 6. गज़ का सोलहवाँ अंश (माप); सवा
दो इंच के बराबर की नाप 7. शरीर के अंगों का जोड़ या संधि-स्थान 8. कुश्ती का एक दाँव 9. कलाबाज़ी; कलैया 10. मन का दुर्भाव; बुराई। [मु.] -बाँधना : अच्छी तरह याद रखना।
गिरहकट
(फ़ा.) [सं-पु.] गिरह या गाँठ में बँधा हुआ धन काटने वाला व्यक्ति; पाकिटमार; जेबकतरा।
गिरहबाज़
(फ़ा.) [सं-पु.] कबूतर जाति का पक्षी जो उड़ते-उड़ते कलैया खा जाता है; कलाबाज़।
गिरा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वाक शक्ति 2. सरस्वती 3. वाणी 4. वाक्य 5. बोली; ज़बान।
गिराँ
(फ़ा.) [वि.] 1. कीमती; बहुमूल्य; मूल्यवान 2. महँगा; जिसका मूल्य बहुत अधिक हो 3. भारी; वज़नी; वज़नदार 4. अरुचिकर; नापसंद; अप्रिय।
गिराना
[क्रि-स.] 1. किसी उच्च स्थान पर स्थित वस्तु को नीचे उतारना; प्रतिष्ठा क्षय करना 2. ढहाना 3. ज़मीन पर लुढ़का देना 4. किसी वस्तु को तोड़-फोड़ कर उसका नाश करना
5. महत्व, मूल्य शक्ति आदि घटाना या कम करना 6. लड़ाई में मार डालना 7. गिरने का उपाय करना।
गिरानी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. महँगी; महँगाई 2. पेट का भारी होना; भारीपन।
गिरापति
(सं.) [सं-पु.] सृष्टि की रचना करने वाला देवता; ब्रह्मा।
गिरावट
[सं-स्त्री.] 1. गिरने की अवस्था या भाव; पतन 2. अवमूल्यन; ह्रास 3. मूल्य या माँग में होने वाली कमी 4. अवनति; अपकर्ष 5. चरित्र या व्यवहार में आने वाला दोष।
गिरि
(सं.) [सं-पु.] 1. पर्वत; पहाड़ 2. आँख का एक रोग 3. पारे का एक दोष 4. संन्यासियों का एक भेद या वर्ग।
गिरिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटी पहाड़ी; उपगिरि 2. नारी 3. मादा चूहा; मूषिका; चुहिया 4. छोटा चूहा।
गिरिजा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पार्वती 2. गंगा 3. पहाड़ी केला 4. चकोतरा 5. चमेली।
गिरिताल
(सं.) [सं-पु.] पहाड़ों या पर्वतों में स्थित जलाशय, तालाब आदि।
गिरिद्वार
(सं.) [सं-पु.] 1. घाटी; दर्रा; वादी 2. दो पर्वतों के बीच की भूमि या संकरा रास्ता।
गिरिधर
(सं.) [सं-पु.] गिरि अर्थात पर्वत को धारण करने वाले; श्रीकृष्ण।
गिरिनाथ
(सं.) [सं-पु.] 1. हिमालय पर्वत 2. गोवर्धन पर्वत।
गिरिपथ
(सं.) [सं-पु.] 1. दो पहाड़ों के बीच का तंग मार्ग; पहाड़ी रास्ता 2. दर्रा 3. घाटी।
गिरिपाद
(सं.) [सं-पु.] पहाड़ के नीचे का समतल क्षेत्र; पहाड़ के नीचे का मैदानी भाग; तराई।
गिरिमाला
(सं.) [सं-स्त्री.] पहाड़ों तथा पहाड़ियों का ऐसा क्रम जिसमें कई शिखर, कटक, घाटियाँ आदि सम्मिलित हों; पर्वतश्रेणी।
गिरिराज
(सं.) [सं-पु.] 1. पर्वतों का राजा; हिमालय 2. ब्रजभूमि में स्थित गोवर्धन पर्वत को भी गिरिराज कहा जाता है।
गिरिवर
(सं.) [सं-पु.] पर्वतराज; गिरिराज; हिमालय; वह पर्वत जो बहुत बड़ा (श्रेष्ठ) हो।
गिरिव्रज
(सं.) [सं-पु.] 1. प्राचीनकाल में केकय देश की राजधानी 2. प्राचीन मगध के राजा जरासंध की राजधानी जिसे बाद में राजगृह कहते थे।
गिरिशिखर
(सं.) [सं-पु.] गिरिकूट; पहाड़ की चोटी; पर्वत शिखर।
गिरिसुत
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) एक पर्वत जो हिमालय का पुत्र माना जाता है; मैनाक पर्वत।
गिरिसुता
(सं.) [सं-स्त्री.] पार्वती; गौरी।
गिरी
[सं-स्त्री.] 1. बीज के अंदर का गूदा 2. गरी; तरबूज़ के बीजों की गिरी (मगज), जैसे- बादाम की गिरी।
गिरींद्र
(सं.) [सं-पु.] 1. हिमालय 2. बड़ा पर्वत या पहाड़ 3. शिव।
गिरीश
[सं-पु.] 1. हिमालय पर्वत 2. सुमेरु पर्वत 3. कैलास पर्वत 4. गोवर्धन पर्वत 5. शिव; महादेव 6. पर्वतों का राजा।
गिरेबान
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. कमीज़ या कुरते का गला 2. किसी सिले हुए कपड़े का वह अंश जो गले के चारों ओर पड़ता है; गरेबान 3. सिरा; दामन 4. गला; गरदन।
गिरो
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी के पास कोई चीज़ ज़मानत के रूप में रखकर उसके बदले में रुपया उधार लेना; रेहन 2. गिरवी; बंधक।
गिरोह
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. समूह; टोली; दल 2. जमात; समुदाय 3. झुंड; हुजूम।
गिरोहबंदी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] गुट बनाने की क्रिया; दलबंदी; गुटबंदी।
गिरोही
[सं-पु.] 1. दल या समूह का आदमी 2. संगी; साथी 3. सदस्य 4. अंग 5. सहयोगी।
गिर्दाब
(फ़ा.) [सं-पु.] जल के बहाव में वह स्थान जहाँ पानी की लहर एक केंद्र पर चक्कर खाती हुई घूमती है; भँवर।
गिर्दावर
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह अधिकारी जो अनुशासनिक हो 2. ऐसा अधिकारी जो कर्मचारियों के कामों का निरीक्षण करता हो 3. मालविभाग का एक अधिकारी जो पटवारियों के कामों का
निरीक्षण करता है। [वि.] चारों ओर घूमने वाला।
गिर्दोपेश
(फ़ा.) [क्रि.वि.] आसपास; चारों ओर; नज़दीक में।
गिल
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. गीली मिट्टी 2. मिट्टी 3. गारा। [सं-पु.] 1. मगरमच्छ 2. जँबीरी नीबू। [वि.] निगलने या खाने वाला।
गिलकार
(फ़ा.) [वि.] 1. मकान आदि में गारा या पलस्तर करने वाला 2. पलस्तर तथा बेलबूटे आदि बनाने वाला; कारीगर।
गिलकारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] गारे या चूने से मकान में पलस्तर करने का काम।
गिलगिला
[वि.] 1. गीला और नरम; आर्द्र और कोमल 2. करुणा, रोष आदि के कारण रोमांचित। [सं-पु.] एक प्रकार का पक्षी।
गिलगिली
[सं-पु.] घोड़ों की एक जाति। [सं-स्त्री.] एक चिड़िया जिसे गिलगिलिया या सिरोही कहते हैं।
गिलट
(इं.) [सं-पु.] 1. सफ़ेद रंग की एक घटिया धातु 2. एक धातु विशेष; पीतल लोहे आदि की बनी हुई ऐसी वस्तु जिसपर सोने-चाँदी आदि का पानी चढ़ा हुआ हो 3. उक्त प्रकार
से सोने या चाँदी का पानी चढ़ाने की क्रिया या भाव।
गिलटी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ग्रंथि; गाँठ 2. शरीर के अंदर की गाँठ जो फूलकर बाहर की तरफ़ आ जाती है 3. शरीर में रक्त विकार होने के कारण गाँठ निकलने का रोग।
गिलन
(सं.) [सं-पु.] 1. निगलने की क्रिया या भाव 2. निगलना।
गिलना
(सं.) [क्रि-स.] 1. निगलना; ग्रसना 2. मन में छिपाकर रखना।
गिलम
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. मुलायम और चिकना ऊनी कालीन 2. मोटा गद्दा; बिछौना। [वि.] कोमल; नरम; मुलायम।
गिलहरा
[सं-पु.] 1. एक प्रकार का मोटा सूती कपड़ा।
गिलहरी
[सं-स्त्री.] 1. पीठ पर तीन सफ़ेद धारियों वाला चूहे जैसा एक छोटा जंतु जो पेड़ों पर या बगीचों में रहता है 2. गिलाई 3. चिखुरी।
गिला
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. शिकायत; निंदा; गिला-शिकवा 2. उलाहना; उपालंभ।
गिलाफ़
(अ.) [सं-पु.] 1. ख़ोल; लिहाफ़ 2. रजाई या तकिए को मैला होने से बचाने के लिए एक बड़े थैले की तरह का आवरण 3. तलवार की म्यान; कोष 3. सितार आदि का ख़ोल।
गिलाबा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. गारा 2. गीली मिट्टी; जो घर बनाने के काम आती है 3. मिट्टी और पानी का गाढ़ा घोल।
गिला-शिकवा
(फ़ा.) [सं-पु.] उलाहना; शिकायत।
गिलास
(इं.) [सं-पु.] 1. धातु या काँच का बरतन जिसमें पानी व दूध आदि पिया जाता है; (ग्लास) 2. कश्मीर राज्य का एक वृक्ष और उसका फल; ओलची नामक वृक्ष।
गिलोय
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] गुरुच या गुडूची; एक प्रकार की कड़वी बेल जिसके पत्ते दवा के काम आते हैं।
गिलौरी
[सं-स्त्री.] पान का तिकोना या चौकोना बीड़ा। [सं-पु.] 1. ज्ञान की बातें; ज्ञान चर्चा 2. मन-बहलाव के लिए की जाने वाली बातचीत।
गिलौरीदान
[सं-पु.] पानदान; पान रखने का डिब्बा।
गिल्टी
[सं-स्त्री.] दे. गिलटी।
गिल्ली
[सं-स्त्री.] 'गिल्ली-डंडा' के खेल में छोटी बेलनाकार लकड़ी को गिल्ली कहते हैं जो किनारों से थोड़ी नुकीली या घिसी हुई होती है; गुल्ली।
गिष्णु
(सं.) [सं-पु.] 1. सस्वर मंत्रोच्चारण करने वाला (गानेवाला) व्यक्ति 2. सामगायक; सामगान करने वाला व्यक्ति 3. गायक; गवैया।
गींजना
(सं.) [क्रि-स.] किसी कोमल पदार्थ या चिकनी वस्तु को हाथ से दबा, मरोड़ या मसलकर ख़राब करना।
गीत
(सं.) [सं-पु.] 1. गाना 2. सस्वर गाया जाने वाला छंद; गान 3. वह पद्यात्मक रचना जिसे गाया जा सके 4. {ला-अ.} बड़ाई; प्रशंसा। [वि.] 1. गाया हुआ 2. गान के रूप
में आया हुआ 3. वर्णित; कथित। [मु.] -गाना : ख़ूब बड़ाई करना।
गीतक
(सं.) [सं-पु.] 1. गान; स्तोत्र 2. प्रशंसा; बड़ाई। [वि.] 1. गीत बनाने वाला 2. गीत गाने वाला।
गीतकार
(सं.) [सं-पु.] 1. गीत लिखने या रचने वाला रचनाकार 2. वह जो लोगों के गाने के लिए गीत लिखता हो 3. नगमाकार।
गीतप्रिया
(सं.) [सं-स्त्री.] कार्तिकेय की मातृका। [वि.] गीतों की अनुरागिनी या शौकीन स्त्री।
गीतभार
(सं.) [सं-पु.] संगीत में किसी गीत का पहला पद; टेक।
गीता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. श्रीमद् भगवद्गीता नामक ग्रंथ 2. एक राग 3. छब्बीस मात्राओं का एक छंद जिसमें चौदह और बारह मात्राओं पर विराम होता है।
गीतांजलि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गीतों की अंजलि; गीतों का उपहार (भेंट) 2. विश्वप्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार प्राप्त बंगला कवि रवींद्रनाथ ठाकुर की कविताओं का संग्रह।
गीतातीत
(सं.) [वि.] 1. जो गाया न जा सके 2. जिसका वर्णन न किया जा सके; अवर्णनीय; अकथनीय।
गीतात्मक
(सं.) [वि.] (ऐसी पद्य रचना) जिसे लय में गाया जा सके; संगीतमय; गीत-वाद्ययुक्त।
गीतायन
(सं.) [सं-पु.] गीत के साधन (उपकरण) वीणा, मृदंग, बाँसुरी, ढोल आदि।
गीति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गान 2. गाकर पढ़ने वाला 3. आर्या छंद का एक भेद; उद्गाथा।
गीतिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटा गीत 2. एक मात्रिक छंद जिसके प्रत्येक चरण में छब्बीस मात्राएँ होती हैं।
गीतिकाव्य
(सं.) [सं-पु.] 1. काव्य का एक भेद 2. गीत के रूप में बना हुआ काव्य जो मुख्यतः गाए जाने के उद्देश्य से ही बना हो।
गीतिनाट्य
(सं.) [सं-पु.] अभिनय जो मुख्यतः गीतों के सहारे होता है; (ओपेरा)।
गीतिरूपक
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का रूपक जिसमें गद्य कम और पद्य अधिक हो।
गीदड़
(सं.) [सं-पु.] 1. सियार; शृंगाल; भेड़िया या कुत्ते की जाति का जानवर 2. {ला-अ.} डरपोक; कायर। [मु.] -भभकी देना : झूठ का डराना; डराने का
अभिनय करना।
गीदड़भभकी
[सं-स्त्री.] किसी को डराने के लिए झूठी धमकी देना; बनावटी क्रोध।
गीदी
(फ़ा.) [वि.] 1. कायर; बुज़दिल; डरपोक 2. मूर्ख; बेवकूफ़; वह व्यक्ति जिसमें बुद्धि न हो या कम हो 3. निर्लज्ज 4. नपुंसक; शुक्रहीन; वीर्यरहित।
गीध
[सं-पु.] 1. एक बड़ा दिनचर शिकारी पक्षी जो प्रायः मरे हुए पशु-पक्षियों के मांस का भक्षण करता है; गिद्ध 2. दीर्घदर्शी; दूर तक देखने वाला प्राणी 3. {ला-अ.}
चतुर; चालाक; लालची; लोभी।
गीर
(फ़ा.) [परप्रत्य.] एक प्रत्यय जो कुछ शब्दों के अंत में लगकर 'पकड़ने वाला' अर्थ देता है, जैसे- राहगीर; दामनगीर।
गीर्ण
(सं.) [वि.] 1. कथित; कहा हुआ; उल्लिखित 2. विस्तारपूर्वक बतलाया हुआ; वर्णित 3. निगला हुआ।
गीर्देवी
(सं.) [सं-स्त्री.] विद्या और वाणी की अधिष्ठात्री देवी; शारदा; सरस्वती; वीणापाणि।
गीर्वाण
(सं.) [सं-पु.] देवता; सुर।
गीर्वाणी
(सं.) [सं-स्त्री.] देवताओं की भाषा; देवभाषा; देववाणी; संस्कृत।
गीला
[वि.] 1. पानी में भीगा हुआ; तर; नम 2. जो सूखा हुआ न हो 3. अश्रुयुक्त (चेहरा)।
गीलापन
[सं-पु.] गीले होने की अवस्था; आर्द्रता; नमी; तरी।
गीव
[सं-स्त्री.] गरदन; ग्रीवा; कंधर।
गुँजिया
[सं-स्त्री.] कान में पहनने का एक प्रकार का गहना; कर्णाभूषण।
गुँडली
(सं.) [सं-स्त्री.] घेरे के रूप में बनाई गई गोल आकृति; कुंडली; इँडुरी; गेंडुरी; फेंटा।
गुँथना
(सं.) [क्रि-अ.] गूँथा जाना; गुँधना 2. डोरे आदि में पिरोना; गुंफन 3. मोटे टाँकों से सिलना 4. उलझना।
गुँधना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. गूँधा या माँड़ा जाना 2. तागों, बालों की लटों को पिरोया जाना; गूँथा जाना।
गुँधावट
[सं-स्त्री.] गूँधने की क्रिया, ढंग या भाव।
गुंची
[सं-स्त्री.] गुंजा; घुँघची।
गुंज
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भौरों के गुंजार करने का शब्द; गुंजार 2. कलरव; आनंद-ध्वनि।
गुंजक
(सं.) [सं-पु.] एक पौधा। [वि.] गूँजने वाला या गुंजन करने वाला।
गुंजन
(सं.) [सं-पु.] 1. गुंजार; गूँजने का शब्द 2. गुनगुनाना 3. भौरों के गूँजने की क्रिया।
गुंजना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. भौंरों आदि का मधुर ध्वनि करना; गुनगुनाना 2. गुंजार करना।
गुंजाइश
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. क्षमता; सामर्थ्य 2. जगह; वह ख़ाली स्थान जिसमें कुछ अँट जाए; किसी चीज़ में मौजूद ख़ालीपन; अवकाश; सुभीता; समाई 3. संभावना 4. उदारता;
प्रेम 5. कुछ होने की संभावना।
गुंजान
(फ़ा.) [वि.] घना; सटा हुआ; सघन।
गुंजायमान
(सं.) [वि.] गूँजता हुआ।
गुंजार
[सं-पु.] भौरों की भनभनाहट; भौंरों आदि की गूँज; गुनगुनाहट।
गुंजित
(सं.) [वि.] 1. भौरों के गुंजार से युक्त 2. किसी प्रकार की गूँज से युक्त 3. (स्थान आदि) जो गूँज से भर गया हो।
गुंठन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु को छिपाने, ढकने, लपेटने आदि की क्रिया या भाव 2. लेप लगाना।
गुंड
(सं.) [सं-पु.] 1. चूर्ण; किसी पदार्थ आदि का टूटा या पिसा हुआ बारीक कण 2. फूलों का पराग 3. कसेरू का पौधा 4. मलार राग का भेद। [वि.] पीसा हुआ; चूरा किया हुआ।
गुंडई
[सं-स्त्री.] 1. गुंडा होने की अवस्था; गुण या भाव 2. गुंडागर्दी 3. दुष्टता।
गुंडा
(सं.) [सं-पु.] 1. उद्दंडतापूर्वक आचरण करने वाला व्यक्ति 2. बदमाश; लोगों से लड़ने झगड़ने या मारपीट करने वाला व्यक्ति; आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति। [वि.]
ख़राब चाल-चलनवाला।
गुंडागर्दी
[सं-स्त्री.] 1. गुंडापन; गुंडई 2. बदमाशी 3. डराने-धमकाने की क्रिया।
गुंडापन
(सं.) [सं-पु.] गुंडा होने की अवस्था या भाव; गुंडई।
गुंडाशाही
(फ़ा.) [वि.] गुंडागर्दी; गुंडाराज।
गुंफ
(सं.) [सं-पु.] 1. कई चीज़ों के आपस में उलझने की क्रिया, भाव या दशा 2. फूलों का गुच्छा 3. मूँछ; दाढ़ी; गलमुच्छा।
गुंफन
(सं.) [सं-पु.] 1. गूँथना 2. भरने का काम; भराई 3. सजाना; तरतीब देना।
गुंफित
(सं.) [वि.] 1. जड़ा हुआ; गूँथा हुआ 2. सुंदरतापूर्वक एक-दूसरे में मिलाकर या लगाकर रखा हुआ; गुच्छेदार 3. सजाया हुआ 4. उलझा हुआ।
गुंबद
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. इमारत का अर्धगोलाकार शिखर भाग; गुंबज 2. वास्तु रचना में वह शिखर जो गोल आकार का हो और जिसमें आवाज़ गूँजे।
गुंबदी
(फ़ा.) [वि.] गुंबद की शक्ल का।
गुंबा
(फ़ा.) [सं-पु.] गूमट; गुमड़ा; माथे या सिर पर चोट लगने से उभर आने वाली गोल सूजन; गुलमा।
गुइयाँ
[सं-स्त्री.] सखी; सहेली; सहचरी।
गुग्गुल
(सं.) [सं-पु.] 1. धूप अर्थात हवन सामग्री और गोंद प्रदान करने वाला सलई का काँटेदार वृक्ष, इसके गोंद को सुगंध के लिए जलाते हैं 2. राल व वार्निश के लिए दक्षिण
भारत में लगाया जाने वाला पेड़।
गुच्ची
[सं-स्त्री.] 1. छोटा गड्ढा 2. गुल्ली डंडा खेलने के लिए बनाया जाने वाला गड्ढा।
गुच्छ
(सं.) [सं-पु.] 1. गुच्छा 2. गुलदस्ता 3. झाड़ी 4. मोतियों की माला 5. एक ही प्रकार की बहुत-सी चीज़ों या बातों का समूह; कलाप 6. बत्तीस लड़ों का हार।
गुच्छा
(सं.) [सं-पु.] 1. एक ही प्रकार के फल-फूल या पत्तियों का समूह, जैसे- अंगूर या केले का गुच्छा 2. एक जगह बँधे हुए फल या सब्ज़ी 3. एक जगह बँधी हुई छोटी-छोटी
वस्तुएँ, जैसे- चाभियों का गुच्छा 4. फुँदना; झब्बा।
गुच्छी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कंजा; करंज 2. एक प्रकार की खुंभी जिसकी सब्ज़ी बनती है।
गुज़र
(अ.) [सं-पु.] 1. रास्ता; घाट; राह; किसी स्थान से होकर आना-जाना अथवा निकलना 2. पहुँच; प्रवेश; पैठ 3. आमद; आगमन 4. गति; जाना 5. गुज़ारा; जीवनचर्या 6. बीतना
(समय का)। [सं-स्त्री.] 1. निर्वाह; गुज़रबसर; जीविका 2. रोगी। [मु.] -होना : किसी तरह जीवन व्यतीत होना। -जाना : मर जाना।
गुज़रना
(अ.) [क्रि-अ.] 1. बीतना; कटना; किसी जगह से आगे बढ़ना 2. पहुँचना; एक स्थिति से दूसरी में जाना; पेश होना 3. (कहीं होते हुए) जाना; निकलना 4. निभना; निर्वाह
होना 5. पार होना 6. घटित होना 7. (भावों-विचारों का) आना 8. मृत्यु होना।
गुज़रबसर
(अ.) [सं-पु.] निर्वाह; गुज़ारा।
गुजरात
(सं.) [सं-पु.] भारत के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक राज्य।
गुजराती
[सं-पु.] गुजरात का रहने वाला। [सं-स्त्री.] गुजराती भाषा। [वि.] गुजरात का; गुजरात संबंधी।
गुजरिया
[सं-स्त्री.] 1. गूजर जाति की स्त्री 2. एक रागिनी 3. पैर में पहना जाने वाला एक प्रकार का गहना।
गुजरी
[सं-स्त्री.] 1. कलाई पर पहनने की एक पहुँची 2. गूजरी नाम की एक रागिनी 3. कनकटी भेड़।
गुज़श्ता
(फ़ा.) [वि.] 1. अतीत; बीता हुआ 2. पिछला।
गुज़ारना
[क्रि-स.] 1. काटना या बिताना; व्यतीत करना 2. अदा करना 3. पेश करना।
गुज़ारा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. निर्वाह; गुज़र 2. गुज़रने या गुज़ारने की क्रिया या भाव 3. घाट 4. रास्ता 5. नदी या पुल से पार जाना 5. आर्थिक सहायता; जीवनयापन के लिए दी
जाने वाली धनराशि; वृत्ति।
गुज़ारिश
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] निवेदन; प्रार्थना; अर्ज़।
गुज़ारिशनामा
(फ़ा.) [सं-पु.] प्रार्थना-पत्र।
गुझरौट
[सं-स्त्री.] 1. साड़ी या कपड़े का चुन्नट किया हुआ भाग 2. स्त्रियों की नाभि के आसपास का भाग।
गुझिया
[सं-स्त्री.] 1. खोए की बनी एक मिठाई 2. पकवान 3. कुसली 4. पिराक 5. मैदा की कुसली में मावा तथा मेवा भर कर बनाया जाने वाला पकवान।
गुट
(सं.) [सं-पु.] 1. समूह; यूथ; दल 2. किसी उद्देश्य, मत या सिद्धांत विशेष के लिए कुछ लोगों का समूह।
गुटकना
[क्रि-अ.] कबूतर का गुटकना; गुटरगूँ; गुट-गुट शब्द करना। [क्रि-स.] निगलना; सटकना।
गुटका
(सं.) [सं-पु.] 1. गुटिका; वटी; गोली 2. रेशम का कोया 3. मोती 4. पॉकेट साइज़ की (छोटे आकार की) पुस्तक 3. फुंसी; फुड़िया 5. गोली 6. पानमसाला; चबाने का तंबाकू
7. लकड़ी का छोटा टुकड़ा।
गुटकी
[सं-स्त्री.] छोटी टिकिया या गोली।
गुटखा
[सं-पु.] 1. पानमसाला 2. खैनी; चबाने का तंबाकू 3. तंबाकू, कत्था और चूने के मिश्रण से बनाया जाने वाला चबाने का पदार्थ जो नशे के साथ मुँह या गले के गंभीर रोग
पैदा करता है।
गुटबंदी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दल बनाना 2. आपस में कुछ लोगों के साथ मिलकर अलग गुट या दल बनाने की क्रिया या भाव 3. आपसी मतभेद के कारण किसी समुदाय या संस्था के
सदस्यों का छोटे-छोटे गुट या दल बनाना।
गुटबाज़
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] वह जो दल के लोगों को अपने साथ मिलाता है; गुट निर्माण करने वाला; दल बनाने वाला।
गुटबाज़ी
[सं-स्त्री.] 1. गुट बनाने की क्रिया या भाव 2. गुटों के मध्य होने वाली प्रतिद्वंद्विता।
गुटयुद्ध
[सं-पु.] गुटबंदी के कारण आपस में होने वाला संघर्ष; दो गुटों के बीच संघर्ष।
गुटरगूँ
[सं-स्त्री.] 1. कबूतरों के बोलने का शब्द 2. {ला-अ.} दो प्रेमियों की एकांत में होने वाली बातचीत।
गुटिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गोली 2. वटी; मोती; वटिका 3. (मिथक या अंधविश्वास) योग की एक प्रकार की सिद्धि से प्राप्त होने वाली वह गोली जिसके संबंध में यह प्रवाद है
कि इसे मुँह में रख लेने पर आदमी जहाँ चाहे वहाँ तत्काल अदृश्य होकर पहुँच सकता है।
गुट्ठल
[वि.] 1. गाँठ 2. गुठलीवाला; गुठली के आकार का और कठोर या कड़ा। [सं-पु.] 1. गिलटी 2. रुई आदि के दबने से बनी हुई गाँठ 3. जिसकी समझ में जल्दी कोई बात न आती हो;
मूढ़; मूर्ख।
गुट्ठी
[सं-स्त्री.] 1. मोटी गाँठ 2. पैर का टखना।
गुठन
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गाँठ; ग्रंथि 2. गुठली।
गुठला1
[सं-पु.] 1. बड़ी गुठली 2. गुठली की तरह की कोई चीज़। [वि.] गुठलियों से भरा।
गुठला2
(सं.) [वि.] 1. जिसकी धार ख़राब हो गई हो 2. कुंठित; भोथरा।
गुठलाना
[क्रि-अ.] 1. गुठली की तरह गोल या सख्त हो जाना, जैसे- मांस गुठलाना 2. खटाई के असर से दाँतों का काटने या चबाने लायक न रहना 3. अस्त्र-शस्त्र की धार का कुंद
होना।
गुठली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी फल का वह बीज जो आकार में थोड़ा बड़ा और कड़ा हो, जैसे- आम की गुठली 2. फल के अंदर का कठोर भाग जो फल का बीज भी होता है; कुसली 3.
गुलथी; गिलटी।
गुठाना
[क्रि-अ.] 1. गुठली-सी बँध जाना 2. निकम्मा हो जाना।
गुड़
(सं.) [सं-पु.] 1. ईख, ऊख या खजूर आदि के रस को गाढ़ा करके बनाई हुई बट्टी या भेली 2. रहस्य संप्रदाय में मन, ईश्वर-स्मरण और गुरु उपदेश का समन्वय। [मु.] -खाना गुलगुले से परहेज करना : बड़े-बड़े गलत कार्य करना और छोटे कार्यों से बचना। -गोबर करना : नष्ट करना; चौपट करना।
गुड़ंबा
[सं-पु.] गुड़ के शीरे में पकाया गया कच्चा आम।
गुड़गुड़
[सं-पु.] 1. जल में से वायु के तेजी से बाहर निकलने पर होने वाली आवाज़, जैसे- कुएँ या तालाब में घड़ा या लोटा डुबाने पर होने वाली गुड़गुड़ की ध्वनि 2. हुक्का
पीने से उत्पन्न ध्वनि 3. आँतों में हवा के दबाव या संचार से होने वाली गुड़गुड़।
गुड़गुड़ाना
[क्रि-अ.] गुड़गुड़ शब्द होना। [क्रि-स.] गुड़गुड़ शब्द करना, जैसे- हुक्का पीना।
गुड़गुड़ाहट
[सं-स्त्री.] गुड़गुड़ की आवाज़ होने या करने की क्रिया या भाव।
गुड़गुड़ी
[सं-स्त्री.] 1. बार-बार गुड़गुड़ शब्द होने की अवस्था; गुड़गुड़ाहट 2. हुक्का; फरशी।
गुड़धानी
[सं-स्त्री.] भुने हुए गेहूँ को गुड़ में मिलाकर बनाया गया लड्डू।
गुडनाइट
(इं.) [सं-स्त्री.] रात्रि में अभिवादन के लिए कहा जाने वाला शब्द।
गुडमार्निंग
(इं.) [सं-पु.] 1. प्रातः अभिवादन के लिए कहा जाने वाला शब्द 2. सुबह का नमस्कार।
गुड़हल
[सं-पु.] 1. अड़हुल का पेड़ या फूल 2. जवा कुसुम।
गुड़ाकू
[सं-पु.] 1. एक प्रकार का दंतमंजन 2. गुड़ मिला हुआ पीने का तंबाकू।
गुडाकेश
(सं.) [सं-पु.] 1. शिव; महादेव 2. अर्जुन।
गुड़िया
[सं-स्त्री.] 1. कपड़े, प्लास्टिक, रबर, मिट्टी आदि की बनी लड़की की आकृति का खिलौना; पुतली 2. {ला-अ.} सुंदरता और सजधज में खोई रहने वाली निकम्मी लड़की 3. छोटी
बालिका या बेटी के लिए एक संबोधन 4. एक खेल विशेष।
गुड़ी
[सं-स्त्री.] सिलवट; सिकुड़न।
गुडूची
(सं.) [सं-स्त्री.] गुरुच; गिलोय।
गुड्डा
[सं-पु.] मिट्टी, प्लास्टिक, रबर आदि से बना लड़के की आकृति वाला खिलौना।
गुड्डी
[सं-स्त्री.] 1. पतंग; छोटा कनकौआ 2. घुटने की हड्डी।
गुढ़ना
[क्रि-अ.] ओट या आड़ में होना; छिपना।
गुढ़ा
(सं.) [सं-पु.] 1. छिपने की जगह 2. गुप्त स्थान।
गुढ़ी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गाँठ 2. गुत्थी।
गुण
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी विषय या क्षेत्र में प्राप्त की जाने वाली निपुणता या प्रवीणता 2. प्रभाव; असर 3. लाभ; फ़ायदा 4. किसी वस्तु की निजी विशेषता; वह
विशिष्टता जो किसी पदार्थ को दूसरों से भिन्न करती है 5. धागा 6. डोरी; प्रत्यंचा 7. वीणा आदि का तार 8. (काव्यशास्त्र) रस का प्रधान धर्म (माधुर्य, ओज, प्रसाद
आदि); काव्य का एक तत्व 9. किसी व्यक्ति की स्वभावगत विशेषता। [मु.] -गाना : प्रशंसा करना।
गुणक
(सं.) [सं-पु.] 1. वह अंक जिससे किसी अंक को गुणा करें; (मल्टिप्लायर) 2. लिखाई, छापे आदि में एक प्रकार का चिह्न जिसे इस प्रकार लिखा जाता है (x)।
गुणकारक
(सं.) [वि.] फ़ायदा करने वाला; गुणकारी; लाभदायक।
गुणकीर्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] गुणगान; प्रशंसा करना; गुणकथन।
गुणगत
(सं.) [वि.] गुण संबंधी; गुण विषयक।
गुणगान
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी की प्रशंसा में गाया जाने वाला गीत; किसी की अच्छाइयों या गुणों का वर्णन 2. यश का बखान या वर्णन; प्रशंसा; तारीफ़।
गुणगौरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गौरी के समान गुणवाली; पतिव्रता; सौभाग्यवती स्त्री 2. स्त्रियों का एक व्रत 3. गणगौर।
गुणग्राम
(सं.) [सं-पु.] गुणों का समूह। [वि.] गुणनिधान; गुणज्ञ।
गुणग्राहक
[सं-पु.] 1. तत्वज्ञ; ज्ञानी 2. परखने वाला व्यक्ति; पारखी 3. विद्वानों का सम्मान करने वाला व्यक्ति; कदरदान 4. गुण समझने या गुणों का आदर करने वाला व्यक्ति 5.
मर्मज्ञ; रसिक 6. सहृदय।
गुणग्राहकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गुण या खूबियों की स्वीकार्यता का भाव 2. गुणवान या कलाकार का सम्मान करने की स्थिति 3. कदरदानी।
गुणग्राही
(सं.) [वि.] गुणग्राहक।
गुणज
(सं.) [वि.] (अंक) जिसका गुणा किसी विशेष दृष्टि या प्रकार से हो सकता हो।
गुणज्ञ
(सं.) [वि.] 1. गुणी 2. गुणों का पारखी; गुणों को पहचानने वाला 3. जिसमें बहुत से गुण हों।
गुणता
(सं.) [सं-स्त्री.] गुण संबंधी विशिष्टता; (क्वालिटी)।
गुण-दोष
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी व्यक्ति या वस्तु की ख़ूबियाँ और कमियाँ; किसी की अच्छी और बुरी बातें 2. भलाई-बुराई; भले और बुरे दोनों पक्ष या अंग;
(मेरिट्स-डिमेरिट्स)।
गुणधर्म
(सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु या पदार्थ में विशेष रूप से पाई जाने वाली विशेषता।
गुणन
(सं.) [सं-पु.] 1. (गणित) एक संख्या को दूसरी संख्या से गुणा करना 2. पहाड़ा 3. अनुमान या विचार करना 4. मनन करना; सोचना 5. रटना। [वि.] गुणित; गुणीय; गुण्य।
गुणनखंड
(सं.) [सं-पु.] किसी संख्या को विभाजित करने वाली संख्या; गुणक; (फ़ैक्टर)
गुणनफल
(सं.) [सं-पु.] एक अंक को दूसरे अंक से गुणा करने पर प्राप्त संख्या।
गुणना
(सं.) [क्रि-स.] 1. गुणा करना; ज़रब देना 2. मन में सोचना; समझना; गुनना।
गुणनिधान
(सं.) [वि.] जिसमें बहुत से गुण हों; गुणसागर; गुणवान।
गुणवंत
(सं.) [वि.] जिसमें बहुत-सी ख़ूबियाँ हों; जिसमें गुण हों; गुणों से युक्त; गुणवाला।
गुणवत्ता
(सं.) [सं-स्त्री.] विशिष्टता या गुण संबंधी उत्कृष्टता।
गुणवाचक
(सं.) [वि.] 1. जो किसी बात या चीज़ की विशेषता या गुण दर्शाए, जैसे- गुणवाचक विशेषण 2. गुणों का वर्णन या बखान करने वाला।
गुणवान
(सं.) [वि.] 1. ख़ूबियों या अच्छाइयोंवाला 2. जिसमें अनेक गुण हो; गुणी; प्रतिभाशाली 3. योग्य।
गुणशक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गुण विशेष की सामर्थ्य 2. गुण का प्रभाव; शक्ति।
गुणसंधि
(सं.) [सं-स्त्री.] (व्याकरण) स्वर संधि का एक प्रकार।
गुणसागर
(सं.) [वि.] जो गुणों का ख़जाना हो; अत्यधिक गुणी।
गुणसूत्र
(सं.) [सं-पु.] सभी वनस्पतियों और प्राणियों की कोशिकाओं में पाए जाने वाले वे तंतु जो उनके सभी आनुवांशिक गुणों के निर्धारक और वाहक होते हैं।
गुणहीन
(सं.) [वि.] 1. गुणरहित; निर्गुण 2. जिसमें किसी प्रकार का गुण या विशेषता न हो 2. अशिष्ट।
गुणा
(सं.) [सं-पु.] (गणित) वह क्रिया जिससे किसी संख्या का गुणनफल जाना जा सके; (मल्टीप्लिकेशन)।
गुणांक
(सं.) [सं-पु.] (गणित) वह संख्या जिससे किसी दूसरी संख्या का गुणा किया जाता है।
गुणांकन
(सं.) [सं-पु.] गुणा करना; एक संख्या को दूसरी संख्या से गुणा करने की क्रिया।
गुणाकर
(सं.) [वि.] जो गुणों की खान हो; अत्यधिक गुणी; गुणसागर; गुणराशि।
गुणाढ्य
(सं.) [वि.] 1. सद्गुणशाली 2. बहुत गुणोंवाला 3. गुण-युक्त। [सं-पु.] पैशाची भाषा के एक प्रसिद्ध प्राचीन कवि।
गुणातीत
(सं.) [वि.] 1. जिसके गुणों को कहा न जा सके; अपरिभाषेय 2. इंद्रियातीत 3. गुणों से परे 4. जिसका सत्त्व, रज आदि गुणों से कोई संबंध न हो। [स-पु.] परमेश्वर या
ब्रह्म।
गुणात्मक
(सं.) [वि.] 1. गुणों पर आधारित 2. गुणवत्तापरक।।
गुणानुवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रशंसा; तारीफ़ 2. गुणगान; गुणकथन 3. किसी के अच्छे गुणों का वर्णन।
गुणान्वित
(सं.) [वि.] गुणों से युक्त; गुणी; उस्ताद।
गुणार्थ
(सं.) [सं-पु.] गुणों का सूचक अर्थ।
गुणावगुण
(सं.) [सं-पु.] किसी के गुण और दोष; अच्छाई-बुराई; ख़ूबी और कमज़ोरी।
गुणिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शरीर पर होने वाली सूजन 2. अर्बुद; गाँठ; (ट्यूमर)।
गुणित
(सं.) [वि.] 1. जिसकी गणना की गई हो 2. जिसका गुणन किया गया हो; राशिकृत।
गुणी
(सं.) [वि.] 1. जिसमें अनेक गुण हो; गुणसंपन्न 2. कोई विशेष कला या विद्या जानने वाला 3. योग्य। [सं-पु.] 1. हुनरमंद व्यक्ति 2. वह व्यक्ति जो कला-कुशल हो।
गुणीभूत
(सं.) [वि.] 1. गौण बना हुआ 2. मुख्य अर्थ से रहित 3. काव्य में व्यंग का एक भेद।
गुणेश्वर
(सं.) [सं-पु.] 1. परमेश्वर; धर्मग्रंथों द्वारा मान्य वह सर्वोच्च सत्ता जो सृष्टि की स्वामिनी है 2. तीन गुणों का स्वामी 3. चित्रकूट पर्वत।
गुत्थमगुत्था
[सं-पु.] 1. भिड़ंत; द्वंद्वयुद्ध; मल्लयुद्ध 2. उलझाव; फँसाव।
गुत्थी
[सं-स्त्री.] 1. तागे या धागे आदि में पड़ी हुई गाँठ; उलझन 2. कठिनाई; समस्या। [मु.] -सुलझाना : किसी समस्या को हल करना।
गुथना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. कई वस्तुओं का एक में उलझ जाना 2. किसी से लड़ने के लिए उससे लिपट जाना 3. भद्दी तरह से सिला जाना। [सं-पु.] गुलेल में लगी हुई वह रस्सी जिसकी
सहायता से ढेला फेंका जाता है।
गुथली
[सं-स्त्री.] थैली; झोली; खीसा; घूघी।
गुथवाना
[क्रि-स.] गूथने का काम दूसरे से करवाना।
गुद
(सं.) [सं-स्त्री.] दे. गुदा।
गुदकारा
[वि.] 1. मुलायम; लचीला 2. गुदगुदा 3. गूदे से भरा हुआ 4. फूला हुआ।
गुदकील
(सं.) [सं-पु.] बवासीर नाम का रोग।
गुदगुदा
[वि.] 1. मांसल; गद्देदार 2. नरम 3. भरा हुआ 4. गुलगुला।
गुदगुदाना
[क्रि-अ.] 1. हँसाने या बहलाने के लिए किसी व्यक्ति के बगल (काँख) या तलवे को उँगली से छूना या सहलाना; मनबहलाना; हँसी-विनोद के लिए छेड़छाड़ करना; गुदगुदी करना
2. किसी के मन में किसी चीज़ की इच्छा या उत्कंठा उत्पन्न करना; उभारना।
गुदगुदापन
[सं-पु.] 1. गुदगुदा या मुलायम होने का गुण 2. नरमी; मांसलता।
गुदगुदाहट
[सं-स्त्री.] 1. गुदगुदाने की क्रिया या भाव 2. गुदगुदी 3. मन में होने वाली किसी बात की हलकी इच्छा जिससे रोमांच हो।
गुदगुदी
[सं-स्त्री.] 1. वह अनुभूति जो शरीर के कोमल अंगों या बगल आदि को छूने-सहलाने से हो 2. उमंग; उल्लास 3. वासना; कामना।
गुदग्रह
(सं.) [सं-पु.] वह रोग जिसमें पेट में मल रुका रहता है और जल्दी बाहर नहीं निकलता; कब्ज़; मलावरोध।
गुदड़ी
[सं-स्त्री.] 1. फटे-पुराने, रंग-बिरंगे कपड़ों को सिलकर बनाया हुआ ओढ़ना; बिछावन 2. गुदड़ी बाज़ार 3. टूटी-फूटी चीज़ों का ढेर। [मु.] -का लाल :
साधारण घर में जन्मा असाधारण गुणी या प्रतिभावान बालक।
गुदना
[क्रि-अ.] 1. गोदा जाना 2. गोदना।
गुदभ्रंश
(सं.) [सं-पु.] गुदा से काँच निकलने का रोग।
गुदवाना
[क्रि-स.] गोदने का काम दूसरे से कराना; गुदाना।
गुदा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गुद 2. वह इंद्रिय जिससे प्राणी मल त्याग करते हैं; मलद्वार।
गुदाज़
(फ़ा.) [वि.] 1. मांसल 2. गूदेदार 3. गदराया हुआ 4. नरम 5. गुदगुदा।
गुदाना
[क्रि-स.] गुदवाना।
गुदाम
[सं-पु.] वह स्थान या घर जहाँ बिक्री के लिए या किसी कार्य के लिए वस्तुएँ जमा करके रखी जाती हैं; गोदाम।
गुदारना
[क्रि-स.] 1. सेवा में उपस्थित रहना 2. ध्यान न देना; उपेक्षा करना 3. निवेदन करना 4. गुज़ारना; बिताना।
गुदारा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. नाव पर नदी पार करने की क्रिया; उतारा 2. वह स्थान जहाँ लोग नाव में सवार होते हैं या उतरते हैं।
गुद्दा
[सं-पु.] 1. गूदा 2. पेड़ की मोटी डाल 3. लकड़ी का मोटा कुंदा।
गुद्दी
[सं-स्त्री.] 1. बीज के अंदर का गूदा; गिरी 2. सिर का पिछला भाग।
गुनगुन
[सं-स्त्री.] भौंरे का शब्द या गुंजार।
गुनगुना
[वि.] 1. हलका गरम; कुनकुना 2. जो नाक से बोलता हो।
गुनगुनाना
[क्रि-अ.] 1. बहुत धीरे-धीरे और अस्पष्ट रूप में गाना 2. नाक से बोलना 3. भौंरों का गुन-गुन शब्द करना।
गुनगुनाहट
[सं-स्त्री.] गुनगुनाने की क्रिया या भाव।
गुनना
[क्रि-अ.] 1. मन में सोच-विचार करना; मनन करना 2. किसी को महत्व देना। [क्रि-स.] 1. गुणा करना 2. वर्णन करना।
गुनहगार
(फ़ा.) [वि.] 1. अपराधी; दोषी; कसूरवार 2. पापी।
गुना
(सं.) [सं-पु.] (गणित) गुणन करने की क्रिया; गुणन। [परप्रत्य.] प्रत्यय के रूप में प्रयोग होने वाला शब्द जो किसी संख्या के अंत में लगने पर उसका उतनी ही बार
होना सूचित करता है, जैसे- तिगुना, चौगुना इत्यादि। [वि.] गुणित।
गुनाह
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. अपराध; पाप; क़सूर; दोष 2. दुष्कर्म 3. प्रचलित व्यवस्था, धर्म, विधि अथवा शासन इत्यादि के विरुद्ध किया गया आचरण।
गुनाहगार
(फ़ा.) [वि.] गुनहगार।
गुनोबर
[सं-पु.] देवदार या सनोबर की जाति का एक पेड़।
गुन्ना
(अ.) [सं-पु.] अनुस्वार का वह आधा उच्चारण जो हिंदी में अर्द्धचंद्र से सूचित होता है।
गुन्नी
(सं.) [सं-स्त्री.] रस्सी को बटकर बनाया हुआ एक प्रकार का कोड़ा।
गुपचुप
[क्रि.वि.] 1. चुपचाप; छिपकर 2. गुप्त रीति से। [सं-स्त्री.] 1. पानी-पूरी नामक व्यंजन; गोलगप्पा 2. खिलौना; लड़कों का एक खेल।
गुप्त
(सं.) [सं-पु.] 1. वैश्य समाज में एक कुलनाम या सरनेम 2. भारत का एक प्राचीन राजवंश। [वि.] 1. छिपा या छिपाया हुआ; अदृश्य 2. रक्षित 3. जिसके संबंध में लोग
परिचित न हों।
गुप्तक
(सं.) [वि.] 1. छिपाकर रखने वाला 2. रक्षक 3. सँभालकर रखने वाला।
गुप्तघाती
(सं.) [वि.] 1. छिपकर हमला करने वाला 2. विश्वासघाती 3. छल से हत्या करने वाला।
गुप्तचर
[सं-पु.] जासूस; भेदिया; छिप कर टोह लेने वाला।
गुप्तदान
[सं-पु.] 1. वह दान जिसका दाता प्रकट न हो 2. छिपा कर दिया जाने वाला दान 3. वह दान जिसे देने वाले के सिवा और कोई न जान सके।
गुप्तमत
(सं.) [सं-पु.] 1. गोपनीय मत; अप्रकट मत 2. गोपनीय तरीके से व्यक्त विचार।
गुप्तलिपि
(सं.) [सं-स्त्री.] गुप्तकालीन लिपि।
गुप्ता
(सं.) [सं-पु.] वैश्य समाज में एक कुलनाम या सरनेम।
गुप्तांग
(सं.) [सं-पु.] 1. पुरुष या स्त्री के गुप्त अंग; जननेंद्रिय 2. गुह्यांग; गूढ़ांग 3. कौपीन 4. लिंग; उपस्थ।
गुप्ती
[सं-स्त्री.] वह छड़ी जिसमें किरच या पतली तलवार छिपी हो।
गुफा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ज़मीन के अंदर और चट्टानों में प्राकृतिक रूप से बने अथवा मनुष्य द्वारा खोद-काट कर बनाया गया लंबा-चौड़ा गड्ढा 2. अँधेरा गड्ढा; गोह;
गुहा; कंदरा; खोह 3. भारत में मानव-निर्मित मशहूर गुफाएँ- उदयगिरि, बाघ, अजंता, एलोरा आदि।
गुफ़्त
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कथन, उक्ति 2. बोल (केवल समास में व्यवहृत)। [वि.] कहा हुआ।
गुफ़्तगू
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बोलचाल; बातचीत 2. दो पक्षों में होने वाली साधारण बातें।
गुफ़्तार
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] बातचीत करने का ढंग; बोलचाल।
गुबरैला
[सं-पु.] सड़े हुए गोबर में पलने या रहने वाला एक कीड़ा।
गुबार
(अ.) [सं-पु.] 1. धूल; गर्द 2. आँखों की वह स्थिति जिसमें चीज़ें धुँधली नजर आती हैं 3. {ला-अ.} मन में दबा हुआ दुर्भाव या क्रोध; शिकायत; मैल 4. {ला-अ.} दुख;
द्वेष। [मु.] -निकालना : मन में भरी बातें कह डालना।
गुब्बारा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. रबर, प्लास्टिक या नायलॉन की वह गोल थैली जिसमें हवा भरकर आकाश में उड़ाते हैं; बच्चों का खिलौना; (बैलून) 2. गोले के आकार की आतिशबाज़ी जो
ऊपर आकाश में जाकर फटती है 3. हवाई जहाज़ से कूदने के लिए सैनिकों द्वारा प्रयोग की जाने वाली थैली; (पैराशूट)।
गुम
(फ़ा.) [वि.] 1. अप्रकट; गुप्त 2. खोया हुआ; गायब; लापता 3. जो आँखों के सामने न हो।
गुमटा
(सं.) [सं-पु.] 1. वह सूजन जो माथे पर चोट लगने से होती है; गुलमी 2. कोई गोलाकार उभार।
गुमटी
[सं-स्त्री.] 1. मकान के ऊपरी हिस्से में बनी सीढ़ियों की छत जो अन्य कमरों की छत से ऊँची निकली होती है 2. रेलवे लाइन के चौकीदार के लिए लाइन के किनारे बना
छोटा-सा कमरा 3. लकड़ी या टिन की अस्थायी दुकान; खोखा।
गुमनाम
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसका नाम कोई न जानता हो, जैसे- गुमनाम बस्ती 2. अज्ञात; अप्रसिद्ध 3. बिना नाम का (लेख या पत्र) जिसपर लिखने या भेजने वाले का नाम न हो, जैसे-
गुमनाम ख़त; गुमनाम शिकायत।
गुमर
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. शेखी; घमंड 2. कानाफ़ूसी 3. मन का गुबार; मन में छिपा हुआ दुर्भाव या द्वेष।
गुमराह
(फ़ा.) [वि.] 1. भटका हुआ; राह भूला हुआ 2. कुमार्ग पर चलने वाला; पथभ्रमित; पथभ्रष्ट।
गुमशुदा
(फ़ा.) [वि.] 1. जो खो गया हो; खोया या भूला हुआ 2. भटका हुआ।
गुमसुम
(फ़ा.) [वि.] 1. जो चुपचाप हो या हिल-डुल न रहा हो; निश्चेष्ट 2. खोए-खोए या खिन्न रहने की स्थिति 3. अनमना; उदास; चिंतित 4. ख़यालों में खोया हुआ; खोया-खोया-सा
5. निराश। [क्रि.वि.] चुपचाप और बिना आहट किए; बिना किसी को ख़बर लगाए।
गुमान
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. अभिमान; अहंकार; गर्व 2. कल्पना 3. अनुमान के आधार पर किया जाने वाला शक या संदेह।
गुमानी
(फ़ा.) [वि.] घमंडी; अभिमानी।
गुमाश्ता
(फ़ा.) [सं-पु.] बड़े व्यापारी की ओर से ख़रीदने-बेचने के लिए नियुक्त कोई व्यक्ति; (एजेंट)।
गुम्मट
[सं-पु.] 1. इमारत की गोल छत 2. ऐसी बनावट की छत जिसमें आवाज़ गूँजती हो; गुंबद।
गुम्मा
[सं-पु.] बड़ी और मोटी ईंट। [वि.] चुप्पा; गुमसुम रहने वाला; उदास रहने वाला।
गुर
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी काम को करने की युक्ति; तरकीब; उपाय 2. मूलमंत्र।
गुरगा
(सं.) [सं-पु.] 1. गुरु का अनुगामी; शिष्य; चेला 2. जासूस; भेदिया 3. सेवक; दास; टहलुआ 4. अनुचर।
गुरचना
[क्रि-अ.] 1. बल या सिकुड़न पड़ना 2. उलझना।
गुरची
[सं-स्त्री.] 1. बल; सिकुड़न 2. उलझन; गुत्थी।
गुरचों
[सं-स्त्री.] कानाफूसी; धीरे-धीरे होने वाली बातचीत।
गुरदा
(फ़ा.) [सं-पु.] मूत्र का शोधन करने वाला शरीर का अंग; वृक्क; (किडनी)।
गुरबत
(अ.) [सं-पु.] 1. विदेश प्रवास 2. निरुपाय या गरीब होने की अवस्था; निस्सहाय होने की अवस्था 3. परदेस या किसी यात्रा में व्यक्ति को होने वाले कष्ट; यात्रा में
यात्री की दीन स्थिति 4. विवशता; परवशता।
गुरबरा
[सं-पु.] गुड़ डाल कर या गुड़ के घोल में 'बड़ा' डुबाकर बनाया हुआ व्यंजन।
गुराई
[सं-स्त्री.] गोरापन; सुंदरता; गोराई।
गुराब
[सं-पु.] तोप लादने की गाड़ी।
गुराव
[सं-पु.] 1. गँड़ासा 2. चारा काटने का उपकरण; चारा काटने की क्रिया।
गुरिया
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. माला का दाना; मनका 2. चौकोर या गोल कटा हुआ टुकड़ा 3. (मछली के) मांस का छोटा टुकड़ा; बोटी।
गुरिल्ला
(सं.) [सं-पु.] 1. गोरिल्ला; अफ्रीका में पाया जाने वाला एक प्रकार का वनमानुष 2. छापामार दस्ते का सैनिक।
गुरिल्लायुद्ध
(सं.) [सं-पु.] 1. छापामार युद्ध 2. ऐसा युद्ध जिसमें सैनिक छोटी-छोटी टुकड़ियों में बँटे होते हैं और मौका पाकर शत्रु पर हमला करते हैं।
गुरु
(सं.) [सं-पु.] 1. आचार्य; गुरु; बड़ा; बुज़ुर्ग 2. {ला-अ.} चालाक; बहुत बड़ा धूर्त।
गुरुकुल
(सं.) [सं-पु.] 1. प्राचीन समय में किसी गुरु के सान्निध्य में शिक्षा प्राप्त करने का स्थान; गुरु-गृह 2. गुरू का कुल 3. प्राचीन पद्धति पर आधारित शिक्षा देने
के लिए बनाया गया आधुनिक विद्यापीठ।
गुरुग्रंथ साहब
(सं.+अ.) [सं-पु.] सिखों का एक प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथ।
गुरुघंटाल
[सं-पु.] 1. दुर्जन; चालाक या धूर्त व्यक्ति 2. मक्कार। [वि.] 1. कुचाल चलने वाला 2. धोखा देने वाला।
गुरुच
(सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की कड़वी बेल जो दवा के काम आती है; गिलोय।
गुरुडम
[सं-पु.] साहित्य आदि क्षेत्र में किसी रचनाकार या गुरु का वर्चस्व फैलाने का यत्न।
गुरुतर
(सं.) [वि.] भारी; उससे बड़ा (तुलनात्मक)।
गुरुता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गुरु का पद 2. गौरव 3. गुरुत्वाकर्षण 4. भारीपन; बोझ 5. महत्व।
गुरुतुल्य
(सं.) [वि.] गुरु के समान; गुरु जैसा; गुरुवत।
गुरुत्व
(सं.) [सं-पु.] 1. गुरु होने की अवस्था या भाव; गुरुता 2. बड़प्पन; महत्ता 3. भारीपन।
गुरुत्वाकर्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. (भौतिक विज्ञान) भार के कारण वस्तु का पृथ्वी के केंद्र की ओर खींचा जाना; (ग्रैविटेशन) 2. पिंडों की एक-दूसरे को आकृष्ट करने की वृत्ति।
गुरुदक्षिणा
(सं.) [सं-स्त्री.] अध्ययन (शिक्षा ग्रहण) के बाद शिष्य द्वारा गुरु को दी जाने वाली दक्षिणा।
गुरुद्वारा
[सं-पु.] 1. सिखों का मंदिर या मठ 2. आचार्य या गुरु के रहने का स्थान 3. सिखों का वह पवित्र स्थान जहाँ सिख लोग गुरुग्रंथसाहब का पाठ करने जाते हैं।
गुरुपूर्णिमा
(सं.) [सं-स्त्री.] व्यासपूर्णिमा; आषाढ़ मास की पूर्णिमा।
गुरुभाई
(सं.) [सं-पु.] 1. एक ही गुरु के शिष्य 2. एक ही गुरु से दीक्षित हुए दो या दो से अधिक व्यक्ति।
गुरुमंत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. वह मंत्र जो कोई गुरु किसी को अपना शिष्य बनाते समय देता है 2. कोई काम करने की सबसे बड़ी युक्ति जो किसी अनुभवी के द्वारा बताई जाती है।
गुरुमुख
(सं.) [वि.] जिसने धार्मिक दृष्टि से किसी गुरु से दीक्षा ली हो; दीक्षाप्राप्त; दीक्षित।
गुरुमुखी
[सं-स्त्री.] ब्राह्मी लिपि से विकसित एक लिपि जिसमें पंजाबी लिखी जाती है।
गुरुरत्न
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का बहुमूल्य पीला रत्न; पुष्पराग; पुष्पराज; पुखराज।
गुरुवाणी
(सं.) [सं-स्त्री.] गुरु की वाणी; गुरु का कथन; उपदेश।
गुरुवार
(सं.) [सं-पु.] बृहस्पतिवार; बृहस्पति का दिन; वीरवार।
गुरेज़
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. बचना; दूर रहना 2. नुकसानदेह कार्य या बात से किया जाने वाला बचाव 3. भागना 4. नफ़रत; घृणा 5. (कविता में) एक विषय को छोड़कर किसी दूसरे विषय
पर चले जाना।
गुर्ग
(फ़ा.) [सं-पु.] भेड़िया; वृक; सियार; गीदड़।
गुर्ज़
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. गदा नामक अस्त्र 2. सोंटा; मोटा डंडा।
गुर्जर
(सं.) [सं-पु.] 1. गुजरात देश 2. गुजरात का निवासी 3. गुजरात देश में रहने वाली एक प्राचीन जाति जो अब गूजर कहलाती है।
गुर्जरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गुर्जर या गूजर जाति की स्त्री 2. गुजरात देश की स्त्री 3. एक रागिनी जो भैरव राग की भार्या कही गई है।
गुर्राना
[क्रि-अ.] 1. कुत्ते का गुर्र-गुर्र की आवाज़ करना 2. क्रोध में मुँह बंद करके भारी आवाज़ निकालना 3. क्रोधपूर्वक बोलना।
गुर्राहट
[सं-स्त्री.] गुर्राने की क्रिया या भाव।
गुर्विणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गुरु की स्त्री; गुरु-पत्नी 2. श्रेष्ठ स्त्री 3. गर्भवती स्त्री।
गुल1
(अ.) [सं-पु.] शोर; हल्ला।
गुल2
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. पुष्प; फूल 2. गुलाब 3. गोल निशान 4. जलने या दागने का निशान 5. वह गड्ढा जो हँसने के समय गालों पर बनता है 6. दीपक की लौ का जला हुआ अंश।
[मु.] -खिलाना : आशा के विपरीत गलत कार्य करना; बखेड़ा खड़ा करना। -कर देना : बुझा देना।
गुलंच
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार की बहुवर्षीय, मांसल और ऊँचे वृक्षों पर चढ़ने वाली औषधीय लता; गुडूची; गुरुच; गुडुच या गिलोय; (टिनॉसपोरा)।
गुलकंद
(फ़ा.) [सं-पु.] गुलाब की पंखुड़ियों और चीनी से तैयार किया जाने वाला एक प्रकार का मीठा लोचयुक्त खाद्य पदार्थ जो दवा के रूप में काम आता है।
गुलकारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कशीदाकारी 2. किसी चीज़ पर बनाए हुए बेल-बूटे या फूल-पत्तियाँ 3. कपड़ों पर फूल-पत्तियाँ बनाने का काम।
गुलगपाड़ा
(अ.+हिं.) [सं-पु.] 1. शोरगुल; हो-हल्ला 2. बहुत सारे लोगों का एक साथ बोलने तथा हँसने से होने वाली आवाज़।
गुलगुला
[सं-पु.] 1. आटे और गुड़ या खांड को मिलाकर तेल या घी में तलकर बनाया जाने वाला एक पकवान; छोटा गोला जैसा पकवान 2. कनपटी [वि.] नरम; मुलायम; कोमल; गुदाज़।
गुलगुलाना
[क्रि-स.] गूदेदार चीज़ को बार-बार दबाकर मुलायम करना; पिलपिलाना।
गुलगूँ
(फ़ा.) [वि.] गुलाबी; गुलाब के रंग का।
गुलचा
(अ.) [सं-पु.] 1. प्रेमपूर्वक किसी के गालों पर हलके से किया गया आघात 2. छोटी, गोल, मुलायम चीज़।
गुलची
[सं-स्त्री.] बढ़ई लोगों का एक औज़ार।
गुलछर्रा
[सं-पु.] 1. स्वछंदतापूर्वक की जाने वाली मौज-मस्ती; रमण 2. चैन; ऐश; मौज; 3. अनुचित भोग-विलास। [मु.] -उड़ाना : खूब मौज करना; असंयत रूप से
भोग-विलास करना।
गुलज़ार
(फ़ा.) [वि.] 1. आनंद और शोभा से युक्त 2. हरा-भरा 3. खिला हुआ; प्रफुल्ल 4. आवासित; आबाद। [सं-पु.] पुष्पवाटिका; कुसुमोद्यान; फूलों का बगीचा।
गुलतराश
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. बाग के पौधों को सुंदर आकार देने के लिए उनकी काट-छाँट करने वाला माली 2. गुलगीर।
गुलथी
[सं-स्त्री.] 1. किसी तरल पदार्थ के गाढ़े हो जाने से बनी हुई गुठली 2. मांस की जमी हुई गाँठ।
गुलदस्ता
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. कई प्रकार के फूल और कलियों को सजाकर बाँधा गया गुच्छा; पुष्पगुच्छ 2. वह पात्र जिसमें फूल-पत्तियाँ सजाकर रखी जाती हैं 3. {ला-अ.} सुंदर व
उत्कृष्ट वस्तुओं का समूह या पद्य इत्यादि का संग्रह; चयनिका।
गुलदाउदी
[सं-स्त्री.] 1. गुलदावदी 2. शरद ऋतु में फूलने वाला एक फूल 3. एक पौधा जिसके फूल गुच्छों में खिलते हैं।
गुलदान
(फ़ा.) [सं-पु.] फूलों का गुच्छा रखने का पात्र; फूलदान।
गुलदार
(फ़ा.) [वि.] 1. बेल-बूटोंवाला 2. जिसमें फूल लगे हों; फूलदार।
गुलदुपहरिया
(फ़ा.+हिं.) [सं-स्त्री.] एक छोटा-सा पौधा जिसमें लाल रंग के सुगंधित फूल लगते हैं।
गुलनार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. अनार का फूल 2. एक प्रकार का गहरा लाल रंग जो अनार के फूल की तरह का होता है।
गुलफ़ाम
(फ़ा.) [वि.] 1. बहुत सुंदर 2. सुकुमार 3. जिसका रंग गुलाब के फूल जैसा हो।
गुलबकावली
(फ़ा+सं.) [सं-स्त्री.] हल्दी की जाति का एक पौधा जिसमें सुंदर, सफ़ेद, सुगंधित फूल लगते हैं।
गुलबदन
(फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार का धारीदार रेशमी कपड़ा। [वि.] 1. परम सुंदर 2. वह जिसकी फूलों के समान रंगत और कोमल देह हो; सुंदर स्त्री।
गुलबर्ग
(फ़ा.) [सं-पु.] गुलाब नामक पौधे की पत्ती।
गुलमेंहदी
(फ़ा.+हिं.) [सं-स्त्री.] 1. एक छोटा पौधा जिसके फूलों में सुगंध नहीं होती 2. एक प्रकार का छोटा पौधा जिसके तने में कई रंगों के फूल लगते हैं।
गुलरोगन
(फ़ा.) [सं-पु.] गुलाब की पत्तियों से बनाया हुआ तेल।
गुलशन
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. बाग 2. वह छोटा बगीचा जिसमें अनेक प्रकार के फूल खिले हों; फुलवारी; उद्यान 3. पुष्प वाटिका।
गुलशब्बो
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. राजनीगंधा का पौधा या फूल 2. सुगंधिराज 3. लहसुन से मिलता-जुलता एक पौधा जिसमें सफ़ेद फूल लगते हैं 4. रात के समय अँधेरे में खेला जाने वाला एक
खेल जिसमें एक-दूसरे को चपत लगाते हैं।
गुलाब
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक काँटेदार पौधा जिसमें बहुत सुंदर और सुगंधित फूल लगते हैं 2. उक्त पौधे का सुंदर और सुगंधित फूल।
गुलाबजल
(फ़ा.+सं.) [सं-पु.] गुलाब के फूलों का अर्क।
गुलाबजामुन
(फ़ा.+हिं.) [सं-पु.] खोए की एक प्रसिद्ध मिठाई जो घी में हलकी आँच में तलकर चाशनी में डुबोकर बनाई जाती है।
गुलाबपाश
(फ़ा.) [सं-पु.] गुलाबजल छिड़कने का एक लंबा पात्र जिसमें गुलाबजल भरकर शुभ अवसरों पर लोगों पर छिड़कते हैं।
गुलाबपाशी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] गुलाबपाश से जल छिड़कने की क्रिया।
गुलाबबाड़ी
(फ़ा.+हिं.) [सं-स्त्री.] वह स्थान जहाँ गुलाब के पौधे लगाए गए हों; गुलाबवाटिका।
गुलाबी
(फ़ा.) [वि.] 1. गुलाब के फूलों जैसा रंगवाला; गुलाब का 2. सुहाना; आनंददायक; अच्छा लगने वाला 3. थोड़ा या हलका 4. गुलाब या गुलाब जल से सुगंधित किया हुआ।
[सं-स्त्री.] 1. गुलाब की पंखुड़ियों से बनी मिठाई 2. मैना की एक प्रजाति 3. शराब पीने की प्याली। [सं-पु.] गुलाब के फूल जैसा रंग।
गुलाम
(अ.) [सं-पु.] 1. धन चुकाकर ख़रीदा गया सेवक; दास; नौकर 2. पराधीन व्यक्ति 3. वशवर्ती; अधीन 4. ताश का एक पत्ता जिसपर गुलाम की आकृति बनी रहती है 5. साधारण सेवक।
ग़ुलाम
(अ.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. गुलाम)।
गुलामगर्दिश
(अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. मध्यकाल में महल या जनानख़ाने आदि के सदर फाटक में अंदर की ओर बनी हुई छोटी दीवार जिसके कारण बाहर के आदमी दरवाज़ा खुला रहने पर भी अंदर
के लोगों को नहीं देख सकते थे 2. किसी बड़ी कोठी के आस-पास बने हुए वे छोटे मकान जिनमें सेवक या नौकर-चाकर रहते हैं।
गुलामज़ादा
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] गुलाम या दास की संतान।
गुलाममाल
(अ.) [सं-पु.] 1. बढ़िया, टिकाऊ व सस्ती चीज़, जैसे- दरी; कंबल 2. सस्ती चीज़ जो बहुत दिनों तक चले।
गुलामी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. अधीनता; दासता 2. किसी व्यक्ति का किसी अन्य व्यक्ति के नियंत्रण या स्वामित्व में रहकर उसकी सेवा करने की अवस्था या भाव 2. किसी देश के
अधीन रहकर काम करने की स्थिति; दासत्व 3. चाकरी; पराधीनता 4. नौकरी; बहुत ही तुच्छ सेवा। [वि.] गुलाम से संबंधित; गुलाम की तरह का।
ग़ुलामी
(अ.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. गुलामी)।
गुलाल
(फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार की रंगीन बुकनी या चूर्ण जिसे होली पर्व या फाग में एक-दूसरे पर लगाया जाता है; अबीर।
गुलिस्ताँ
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. फुलवारी; फूलों का बाग 2. बगीचा; उद्यान 3. शेखशादी द्वारा रचित फ़ारसी का प्रसिद्ध ग्रंथ।
गुलू
(फ़ा.) [सं-पु.] गला; कंठ।
गुलूबंद
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. सरदी में सिर, कान या गरदन में लपेटने का चौड़ा पट्टीनुमा ऊनी वस्त्र; मफ़लर 2. गले में पहनने का पट्टीनुमा या चौड़ा गहना; ज़ेवर।
गुलेंदा
[सं-पु.] महुए का पका हुआ फल; कोलेंदा।
गुलेटन
[सं-पु.] सिकलीगरों का मसाला रगड़ने का पत्थर।
गुलेनार
[सं-पु.] अनार का फूल; गुलनार।
गुलेल
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] वह छोटा उपकरण जिससे कंकड़ या मिट्टी की गोलियाँ चलाई जाती हैं।
गुलेलची
[वि.] गुलेल चलाने में निपुण; गुलेल चलाने वाला।
गुलेला
(फ़ा.) [सं-पु.] मिट्टी की गोली जिसको गुलेल से फेंककर मारा या चलाया जाता है।
गुल्फ
(सं.) [सं-पु.] 1. टखना 2. एड़ी के ऊपर की गाँठ।
गुल्म
(सं.) [सं-पु.] 1. एक ही जड़ से कई तनों के रूप में निकलने वाला पौधा, जैसे- बाँस, ईख आदि 2. तिल्ली; पेट का रोग जिसमें वायु के कारण गाँठ या गोला-सा बन जाता है
3. शरीर पर उभर आने वाली गाँठ 4. दुर्ग; किला 5. प्राचीन काल में भारत में सेना का वह दस्ता जिसमें नौ हाथी, नौ रथ, सत्ताईस घोड़े और पैंतालीस पैदल होते थे।
गुल्मवात
(सं.) [सं-पु.] प्लीहा में होने वाला एक रोग।
गुल्मी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. झाड़ी 2. आँवले का पेड़ 3. इलायची का पेड़। [वि.] 1. गुल्म रोग से परेशान 2. गुल्म या गाँठ के रूप में होने वाला।
गुल्मोदर
(सं.) [सं-पु.] प्लीहा का एक रोग।
गुल्य
(सं.) [सं-पु.] मीठा स्वाद; मिठास।
गुल्लक
(सं.) [सं-पु.] थोड़ा-थोड़ा करके रुपए-पैसे संचित करने का पात्र; गोलक।
गुल्ला
(अ.) [सं-पु.] शोर; हो-हल्ला।
गुल्लाला
(फ़ा.) [सं-पु.] एक पौधा जिसमें लाल फूल होते हैं। [वि.] उक्त फूल के रंग की तरह गहरा लाल।
गुल्ली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धातु या लकड़ी का वह छोटा टुकड़ा जो दोनों ओर से नुकीला हो 2. सोने या चाँदी का डला 3. मक्के का वह बाल जिसके दाने निकाल लिए गए हों 4.
मधुमक्खी के छत्ते का वह भाग जहाँ शहद जमा होता है 5. फल के अंदर की गुठली।
गुल्ली-डंडा
[सं-पु.] एक प्रसिद्ध खेल जिसमें गुल्ली और हाथ भर लंबे डंडे का प्रयोग होता है।
गुवाक
(सं.) [सं-पु.] 1. सुपारी 2. पुंगीफल।
गुसल
(अ.) [सं-पु.] नहाने की क्रिया; स्नान।
गुसलख़ाना
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] स्नानागार; नहाने का कमरा; (बाथरूम)।
गुसार
(फ़ा.) [परप्रत्य.] प्रत्यय के रूप में किसी शब्द के बाद प्रयुक्त होकर 'सहन करने वाला', 'खाने वाला' का अर्थ देता है, जैसे- 'मयगुसार' (शराब पीने वाला);
'गमगुसार' (गम रखने वाला, धैर्य रखने वाला) आदि।
गुस्तर
(फ़ा.) [वि.] 1. देने या व्यवस्था करने वाला 2. फैलाने वाला। [परप्रत्य.] प्रत्यय के रूप में किसी शब्द के बाद प्रयुक्त होकर 'देने वाला', 'फैलाने वाला' का अर्थ
देता है, जैसे- करमगुस्तर (यश फैलाने वाला)।
गुस्ताख़
(फ़ा.) [वि.] जो शिष्ट न हो; बेअदबी करने वाला; बदतमीज़; ढीठ; अविनीत; उद्दंड; जो कहना न माने; उद्धत; अवज्ञाकारी; बड़ों का सम्मान व संकोच न करने वाला।
गुस्ताख़ाना
(फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. गुस्ताख़ी से; गलती से 2. ढिठाई के साथ; अशिष्टतापूर्वक। [वि.] (व्यवहार) जिसमें गुस्ताख़ी हो; धृष्टता या उद्दंडता से भरा हुआ।
गुस्ताख़ी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. गुस्ताख़ होने की अवस्था या भाव; ढिठाई; अशिष्टता; उद्दंडता; बेअदबी; मुँहज़ोरी अवज्ञा; धृष्टता 2. गलती।
गुस्ल
(अ.) [सं-पु.] स्नान; पूरे शरीर को धोना; नहाना।
गुस्लख़ाना
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] नहाने का घर; स्नानागार; (बाथरूम)।
गुस्सा
(अ.) [सं-पु.] 1. क्रोध; कोप; रोष 2. प्रकोप 3. गज़ब 4. द्वेष। [मु.] -थूक देना : क्षमा कर देना। -उतरना : क्रोध शांत होना;
क्रोध न करना।
गुस्साना
(अ.) [क्रि-अ.] क्रोधित होना; नाराज़ होना।
गुस्सावर
(अ.+फ़ा.) [वि.] क्रोधी; जिसे जल्दी गुस्सा आए; गुस्सैल।
गुस्सैल
(अ.+हिं.) [वि.] जिसे बात-बात पर गुस्सा आता हो; गुस्सावर; जो क्रोधी स्वभाव का हो; क्रोधी।
गुह
(सं.) [सं-पु.] 1. मल; विष्ठा; मैला 2. नदियों के किनारे बसने वाली एक जाति जो लोगों को नाव से एक ओर से दूसरी ओर पार उतार कर अपनी जीविका चलाती हैं; निषाद;
केवट।
गुहा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. माँद; गुफा; खोह; कंदरा 2. चोरों के छिपकर रहने की जगह 3. {ला-अ.} अंतःकरण 4. {ला-अ.} बुद्धि 5. {ला-अ.} शालपर्णी।
गुहाँजनी
[सं-स्त्री.] आँख की पलक के ऊपर होने वाली फुंसी; बिलनी।
गुहा-कला
(सं.) [सं-स्त्री.] प्राकृतिक गुफाओं और शैलाश्रयों की दीवारों और छतों पर बनी अथवा उत्कीर्ण आदिम कला; उत्तर पुरा-पाषाणकाल के आरंभ से ऐसी कला में बहुधा पशुओं,
मानवों, हथियारों और आखेट के रेखाचित्र मिलते हैं।
गुहाभिलेख
(सं.) [सं-पु.] पत्थरों एवं गुफाओं की दीवारों पर खुदा हुआ लेख।
गुहा-मंदिर
(सं.) [सं-पु.] गुफाओं को काट-छाँट कर बनाए गए प्राचीन मंदिर।
गुहा मानव
(सं.) [सं-पु.] प्रागैतिहासिक अथवा पाषाणकालीन मानव जो गुफाओं में निवास करते थे, शिकार करना तथा शिकार करके खाद्य-संग्रह करना ही उनके जीवन-यापन के साधन थे।
गुहार
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रक्षा के लिए आर्त पुकार; दुहाई 2. प्राचीन काल में गायों के हरण अथवा लूट लिए जाने या छीन लिए जाने पर रक्षा हेतु मचाई जाने वाली पुकार
या चिल्लाहट 3. चीखकर लोगों को एकत्र करना 4. शोर; चिल्लाहट; हल्ला।
गुहेरा
[सं-पु.] 1. डोरों आदि से गहने गूँथने वाला व्यक्ति 2. पटवा 3. गोह नामक जंतु।
गुह्मदीपक
(सं.) [सं-पु.] एक उड़ने वाला बरसाती कीड़ा जिसका पिछला भाग रात को खूब चमकता है; जुगनू।
गुह्मद्वार
(सं.) [सं-पु.] मलद्वार; गुदा।
गुह्य
(सं.) [वि.] 1. गुप्त 2. गूढ़ 3. गुप्त रखने या छिपाए जाने योग्य 4. रहस्यमय 5. कठिनता से समझ में आने वाला। [सं-पु.] छल; कपट 2. रहस्य; भेद 3. गुप्त अंग; उपस्थ।
गुह्यक
(सं.) [सं-पु.] 1. किन्नर 2. गंधर्व 3. कुबेर के खजाने की रक्षा करने वाले यक्षों की तरह की एक देव-योनि।
गू
[सं-पु.] मल; टट्टी; पाख़ाना।
गूँगा
(फ़ा.) [सं-पु.] वह जो स्पष्ट बोल न पाता हो। [वि.] जिसमें बोलने की शक्ति न हो; जिसमें वाणी न हो; मूक।
गूँगापन
(फ़ा.) [वि.] 1. गूँगा होने का भाव 2. चुप्पी; मौन।
गूँगा-बहरा
(फ़ा.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो न सुन सके और न बोल सके।
गूँज
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी तल से टकराकर सुनाई पड़ने वाली आवाज़; प्रतिध्वनि; गुंजार 2. भँवरों की गुनगुन; गुंजन 3. मक्खियों के भिनभिनाने से उत्पन्न ध्वनि 4.
किसी कार्य की प्रतिक्रिया 5. किसी जगह पर किसी चीज़ की विस्तृत चर्चा या प्रचार 6. लट्टू के नीचे की कील जिसपर वह घूमता है।
गूँजना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी ध्वनि या आवाज़ का चारों ओर फैलना; प्रतिध्वनित होना; किसी जगह में किसी आवाज़ का व्याप्त हो जाना 2. गुंजन करना; भौंरों या मधुमक्खी का
मधुर ध्वनि में गुँजारना 3. किसी बात की ख़ूब चर्चा या प्रचार होना।
गूँथना
(सं.) [क्रि-स.] 1. चीज़ों को सुई-धागे से एक जगह बाँधना या पिरोना, जैसे- माला गूँथना 2. किसी चीज़ या कपड़े आदि को जोड़ने के लिए मोटे टाँके लगाना 2. माड़ना;
मसलना, जैसे- आटा गूँथना।
गूँथी
(सं.) [वि.] 1. उलझी हुई; पिरोई हुई; सिली हुई 2. बँधी हुई 3. नत्थी।
गूँदी
[सं-स्त्री.] गँधेला नामक वृक्ष जिसकी जड़, छाल और पत्तियाँ औषधि के काम में आती है।
गूँधना
(सं.) [क्रि-स.] 1. किसी चूर्ण में पानी मिलाकर गाढ़े अवलेह के रूप में लाना 2. आटे आदि में पानी डालकर हाथों से मलना या दबाना; माँड़ना; सानना 3. पिरोना 4. चोटी
करना 5. बालों या धागों की लड़ी बनाना 6. गूँथना।
गूगुल
[सं-पु.] 1. गुग्गुल 2. एक कँटीला पेड़ 3. दक्षिण भारत में उगाया जाने वाला एक पेड़ जिसकी छाल से वार्निश बनाया जाता है 4. उस पेड़ का गोंद जो गंधद्रव्य है और दवा
के भी काम आता है।
गूजर
(सं.) [सं-पु.] 1. गुर्जर क्षेत्र में रहने वाली एक प्राचीन जाति 2. अहीरों और क्षत्रियों का एक भेद 3. अहीर; ग्वाला।
गूजरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गूजर जाति की स्त्री; ग्वालिन 2. एक प्रकार का आभूषण।
गूझा
(सं.) [सं-पु.] बड़ी गुझिया; पकवान।
गूढ़
(सं.) [वि.] 1. जिसमें बहुत गहरा अभिप्राय छिपा हो; अर्थगर्भित 2. ऐसी बात या विषय जिसको समझना आसान न हो 3. जटिल; गहन; मुश्किल; कठिन 4. ढका हुआ; गुप्त; छिपा
हुआ 5. पेंचीदा; दुरूह; उलझा हुआ 6. गूढ़ोक्ति अलंकार।
गूढ़जीवी
(सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो गुप्त रूप से अपनी आजीविका चलाता हो।
गूढ़ता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गूढ़ होने की अवस्था या भाव; गंभीरता 2. गहनता; गोपनीयता।
गूढ़पथ
(सं.) [सं-पु.] 1. गुप्त रास्ता; अज्ञात रास्ता 2. अंतःकरण; हृदय; अंतर्मन 3. सोचने, समझने और निश्चय करने की वृत्ति या मानसिक शक्ति; बुद्धि।
गूढ़पुरुष
(सं.) [सं-पु.] 1. जासूस; गुप्तचर 2. भेदिया।
गूढ़लेख
(सं.) [सं-पु.] लिखने या संदेश भेजने की गुप्त लिपि-प्रणाली; (साइफर)।
गूढ़ा
[सं-पु.] नाव के माप के हिसाब से डेढ़-दो हाथ की दूरी पर लगाई जाने वाली लकड़ी।
गूढांग
(सं.) [सं-पु.] 1. गुप्तांग 2. कछुआ।
गूढ़ार्थक
(सं.) [वि.] 1. जिसे समझना कठिन हो; गहरे अभिप्रायवाला 2. क्लिष्ट; जिसका अर्थ गूढ़ हो 3. कूटबद्ध आशयवाला 4. जटिल; पेचीदा 5. विद्वतापूर्ण।
गूढ़ाशय
(सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसके हाव-भाव गूढ़ हों 2. जासूस; गुप्तचर।
गूढ़ोक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गूढ़ बात; गूढ़ कथन 2. अलंकार का एक भेद जिसमें कोई व्यंग्यपूर्ण बात किसी दूसरे व्यक्ति को सुनाने के लिए किसी उपस्थित आदमी से कही जाती
है।
गूथना
(सं.) [क्रि-स.] 1. बहुत-सी चीज़ों को धागे या तागे में पिरोना; (मनका, मोती या पुष्प की) लड़ी बनाना, जैसे- माला गूथना 2. गुंफन; टाँकना 3. किसी चीज़ या बालों
को समेटकर बाँधना, जैसे- चोटी गूथना 4. आपस में जोड़ने के लिए मोटे-मोटे टाँके लगाना; मोटी सिलाई करना।
गूदड़
[सं-पु.] फटा-पुराना कपड़ा जो उपयोग के योग्य न हो; चीथड़ा।
गूदड़ी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. फटे-पुराने कपड़ों को खोल के अंदर भरकर तथा टाँके लगाकर बनाई गई बिछावन 2. फटे-पुराने वस्त्रों को जोड़कर बनाया गया बिछौना।
गूदा
(अ.) [सं-पु.] 1. फल के अंदर का कोमल खाद्य अंश 2. मींगी; गिरी 3. खोपड़ी का सार भाग; भेजा।
गूदेदार
(हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसके अंदर गूदा हो 2. गुदाज़ 3. भरा हुआ 4. रसीला।
गून
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नाव खींचने की रस्सी 2. एक प्रकार की घास।
गूमड़ा
[सं-पु.] सिर में चोट लगने के कारण होने वाली गोल सूजन।
गूमा
(सं.) [सं-पु.] 1. द्रोणपुष्पी 2. एक छोटा पौधा जिसकी गाँठों पर सफ़ेद फूलों के गुच्छे लगते हैं।
गूलर
(सं.) [सं-पु.] 1. बरगद और पीपल की जाति का एक प्रसिद्ध वृक्ष और उसका फल जो सब्ज़ी तथा औषधि के काम आता है; उदुंबर; ऊमर 2. अंजीर जैसा फल।
गूह
(सं.) [सं-पु.] 1. गुह; मल 2. मैला; विष्टा।
गृंजन
(सं.) [सं-पु.] शलजम; पीतमूलक; एक पौधा जिसका कंद गोल होता है और खाया जाता है।
गृध्र
(सं.) [सं-पु.] 1. गिद्ध पक्षी 2. जटायु। [वि.] लोभी; लालची।
गृष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह गाय जिसे एक ही बच्चा हुआ हो 2. वह स्त्री जिसे एक ही संतान हुई हो।
गृह
(सं.) [सं-पु.] 1. घर; मकान; निवासस्थान 2. वह प्रदेश या क्षेत्र जहाँ कोई निवास करता है 3. राष्ट्र या राज्य के आंतरिक कार्यों का क्षेत्र। [वि.] 1. घर से
संबंधित 2. राष्ट्र के आंतरिक भागों से संबंधित।
गृहउद्योग
(सं.) [सं-पु.] वह उद्योग जिसे लोग अपने घर में करते हैं और जिसके लिए कल-कारखानों में नहीं जाना पड़ता; घरेलू उद्योग; कुटीर उद्योग।
गृहकन्या
(सं.) [सं-स्त्री.] घृतकुमारी नामक एक औषधीय पौधा; घीकुवार; ग्वारपाठा; अमरा; (एलोवेरा)।
गृहकलह
(सं.) [सं-पु.] 1. घर के लोगों का आपस में होने वाला लड़ाई-झगड़ा 2. देश के अंदर होने वाला लड़ाई-झगड़ा।
गृहकार्य
(सं.) [सं-पु.] 1. घरेलू कामकाज 2. घर का कार्य।
गृहगोधा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. छिपकली; हेमल 2. एक रेंगने वाला जंतु जो प्रायः दीवारों पर दिखाई देता है।
गृहजन
(सं.) [सं-पु.] 1. घर-परिवार के लोग; घर में रहने वाला 2. कुटुंबी; परिजन; भाई-बंधु; भाई-भतीजे; अपने कुल के लोग।
गृहज्ञानी
(सं.) [वि.] 1. वह जिसका ज्ञान घर तक ही सीमित हो 2. वह जो घर में ही पांडित्य दिखला सकता हो 3. अज्ञानी; मूर्ख; बेवकूफ़।
गृहणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्याज 2. काँजी।
गृहदाह
(सं.) [सं-पु.] 1. घर में आग लगना या लगाना; घर में आग लगाने या भस्म करने की क्रिया 2. गृह कलह; आपसी कलह 3. कुटुंब कलह; भ्रातृयुद्ध 4. ऐसा लड़ाई-झगड़ा जिसमें
सब कुछ ख़त्म हो जाए।
गृहदीप्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गुणवान स्त्री 2. घर की शोभा।
गृहदेवता
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) अग्नि से ब्रह्मा तक पैंतालीस देवता जो ग्रह के भिन्न-भिन्न अनुष्ठानों से संबंधित हैं।
गृहदेवी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गृहिणी; घरवाली; गृहस्थ की पत्नी 2. (पुराण) जरा नाम की राक्षसी।
गृहनगर
(सं.) [सं-पु.] 1. वह नगर जहाँ किसी का जन्म हुआ हो या बचपन व्यतीत हुआ हो 2. माता-पिता के निवासस्थान वाला शहर 3. वह स्थान जो किसी का पैतृक निवास हो।
गृहनिर्माण
(सं.) [सं-पु.] 1. घर बनाने की क्रिया 2. भवन-निर्माण।
गृहपति
(सं.) [सं-पु.] 1. घर का मालिक 2. घर या परिवार का मुखिया 3. आग; अग्नि।
गृह-पत्रिका
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी संस्थान अथवा समुदाय के उद्देश्य विशेष के लिए प्रकाशित की जाने वाली पत्रिका।
गृहपरता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. घर तथा घरवालों के प्रति होने वाली आसक्ति 2. घर के प्रति लगाव।
गृहपशु
(सं.) [सं-पु.] 1. पालतू जानवर; घर में पाला हुआ जानवर 2. गाय, बैल आदि मवेशी 3. कुत्ता।
गृहपाल
(सं.) [सं-पु.] 1. घर का रक्षक; चौकीदार; पहरू; वह जो पहरा देता हो 2. कुत्ता।
गृहप्रबंध
(सं.) [सं-पु.] गृह या घर का संचालन या व्यवस्था; घर-गृहस्थी का इंतजाम।
गृहप्रवेश
(सं.) [सं-पु.] नए घर में विधिपूर्वक पूजन आदि करके पहले-पहल सपरिवार प्रवेश करना; पदार्पण; प्रवेशोत्सव; उद्घाटन।
गृहभूमि
(सं.) [सं-स्त्री.] वह भूमि जिसपर मकान बना हो; जो भूमि मकान बनाने के लिए उपयुक्त हो।
गृहभेद
(सं.) [सं-पु.] 1. घर के लोगों में झगडा़ होना; विभाजन; बँटवारा 2. घर में सेंध लगना।
गृहभेदी
(सं.) [वि.] 1. घर में झगडा़ कराने वाला 2. घर में सेंध लगाने वाला।
गृहमंत्रालय
(सं.) [सं-पु.] वह मंत्रालय जिसमें किसी राज्य के गृह संबंधी या आंतरिक मामले से संबंधित कार्यों की देखभाल करने वाले लोग काम करते हैं; (होम मिनिस्टरी)।
गृहमंत्री
(सं.) [सं-पु.] वह मंत्री जो राज्य या राष्ट्र के भीतरी मामलों की व्यवस्था करता है; (होम मिनिस्टर)।
गृहमणि
(सं.) [सं-पु.] दीपक; चिराग़; दीया; दीप।
गृहयुद्ध
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी देश के निवासियों या विभिन्न वर्गों की आपसी लड़ाई; (सिविल वार) 2. घर का आपसी झगड़ा।
गृहरक्षक
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का अर्धसैनिक संगठन जो स्वतंत्र भारत में स्थानीय शांति और सुरक्षा के उद्देश्य से बनाया गया है 2. उक्त संगठन; (होमगार्ड)।
गृहलक्ष्मी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. घर की स्वामिनी या मालकिन 2. सुशील और गुणवान स्त्री।
गृहविच्छेद
(सं.) [सं-पु.] घर का बरबाद होना; परिवार का बँटवारा।
गृहविहीन
(सं.) [वि.] बिना घर का; बे-घरबार।
गृहशिल्प
(सं.) [सं-पु.] दस्तकारी; भवन निर्माण कला।
गृहसंघर्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. वह युद्ध जो एक ही देश या राज्य के निवासियों में आपस में हो 2. अंतःकलह 3. गृह का कलह।
गृहसज्जा
(सं.) [सं-स्त्री.] घर की साज-सँवार; असबाब; घर की सजावट और उसकी सामग्री।
गृहस्थ
(सं.) [सं-पु.] 1. पत्नी और बाल-बच्चों वाला आदमी 2. हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार वह जो ब्रह्मचर्य का पालन समाप्त करके और विवाह करके दूसरे आश्रम में
प्रविष्ट हुआ हो; ज्येष्ठाश्रमी 3. गृही। [वि.] गृहवासी।
गृहस्थ-धर्म
(सं.) [सं-पु.] परिवार के उत्तरदायित्वों के निर्वाह करने की स्थिति; परिवार के लिए समर्पण की भावना।
गृहस्थाश्रम
(सं.) [सं-पु.] आश्रम-व्यवस्था में दूसरा आश्रम; हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार ब्रह्मचर्य आश्रम के बाद का आश्रम।
गृहस्थी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. परिवार; परिवार के लोग; बाल-बच्चे 2. जीवन यापन के लिए घर में प्रयोग किया जाने वाला सामान; घरेलू सामग्री; माल-असबाब 3. खेती-बारी; घर का
कामकाज 4. परिवार का दायित्व।
गृहस्वामिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गृहिणी; घर की मालकिन 2. पत्नी; भार्या; जोरू।
गृहस्वामी
(सं.) [सं-पु.] गृहस्थी सँभालने वाला व्यक्ति; घर का मालिक।
गृहाक्ष
(सं.) [सं-पु.] खिड़की; गवाक्ष।
गृहागत
(सं.) [वि.] अतिथि; घर आया हुआ व्यक्ति; मेहमान।
गृहासक्त
(सं.) [वि.] बाल-बच्चों से बहुत प्रेम रखने वाला; घर के प्रति गहरा लगाव रखने वाला।
गृहिणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. घर पर रहने वाली विवाहित स्त्री; घर की कर्ता-धर्ता स्त्री; गृहस्वामिनी 2. पत्नी; भार्या।
गृही
(सं.) [सं-पु.] 1. घर-बारवाला; गृहस्थ 2. तीर्थ में आया हुआ व्यक्ति; यात्री।
गृहीत
(सं.) [वि.] 1. जो ग्रहण किया गया हो; प्राप्त; स्वीकृत 2. पकड़ा या रखा हुआ; लिया हुआ; समझा या जाना हुआ 3. संगृहीत 4. मनोविकार से ग्रसित व्यक्ति।
गृहीतार्थ
(सं.) [सं-पु.] किसी वाक्य का गृहीत या प्रचलित अर्थ। [वि.] अर्थ समझ लेने वाला।
गृहोद्यान
(सं.) [सं-पु.] घर से सटा हुआ बाग; गृह-वाटिका; बहुत बड़े मकान के सामने या अगल-बगल की वाटिका।
गृहोद्योग
(सं.) [सं-पु.] गृह-उद्योग; लघु उद्योग; वे उद्योग जो घर पर रहकर किए जाएँ।
गृहोपकरण
(सं.) [सं-पु.] घर-गृहस्थी के उपयोग में आने वाला सामान।
गृह्य
(सं.) [सं-पु.] 1. घर-बार से संबंध रखने वाला व्यक्ति, जंतु या वस्तु 2. दीपक। [वि.] 1. घर में किया जाने वाला 2. आश्रित 3. पालतू 4. ग्रहण करने योग्य।
गृह्यसूत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. विवाह आदि संस्कारों की वैदिक पद्धति 2. एक वैदिक ग्रंथ जिसमें समस्त गृहाकर्मों तथा संस्कारों आदि के बारे में विधान किया गया है।
गेंड़ली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. घेरा; चक्कर 2. कुंडली; मंडलाकार घेरा।
गेंड़ा
(सं.) [सं-पु.] 1. ईख के छोटे-छोटे टुकड़े 2. ईख; गन्ना।
गेंड़ी
(सं.) [सं-स्त्री.] बाँस के दो डंडे जिनमें से प्रत्येक पर खड़ाऊँ के समान एक-एक पावदान लगा रहता है; (स्टिल्ट)।
गेंडु
(सं.) [सं-पु.] 1. खेलने का गेंद 2. गेंडूक; कंदुक।
गेंडुरी
(सं.) [सं-स्त्री.] कुंडली; ईंडुरी; गेंडुली।
गेंद
(सं.) [सं-पु.] 1. रबर, काठ, कपड़े, चमड़े आदि की बनी गोल वस्तु जिससे बच्चे खेलते हैं 2. कंदुक 3. टोपी बनाने या पगड़ी बाँधने का कालिब।
गेंद-तड़ी
[सं-स्त्री.] एक खेल जिसमें लड़के एक-दूसरे को गेंद से मारते हैं।
गेंद-बल्ला
[सं-पु.] 1. क्रिकेट खेलने की सामग्री 2. गेंद और बल्ले से खेला जाने वाला एक खेल 3. क्रिकेट का खेल।
गेंदबाज़
[सं-पु.] क्रिकेट के खेल में वह खिलाड़ी जो बल्लेबाज़ के सामने गेंद फेंकने का काम करे; (बॉलर)।
गेंदबाज़ी
[सं-स्त्री.] गेंदबाज़ द्वारा बल्लेबाज़ को गेंद फेंकने की क्रिया।
गेंदा
(सं.) [सं-पु.] 1. पीले, लाल या नारंगी रंग के फूल 2. उक्त फूलों का पौधा।
गेंदुआ
[सं-पु.] 1. गेंद 2. गोल तकिया 3. गेंदुवा।
गेगला
[सं-पु.] मसूर की जाति का एक प्रकार का जंगली पौधा।
गेज
(इं.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ को मापने का साधन 2. रेलवे की पटरियों के बीच की दूरी या रेलगाड़ी के पहियों के बीच की दूरी।
गेट
(इं.) [सं-पु.] 1. दरवाज़ा; द्वार 2. कहीं आने-जाने का प्रवेशद्वार; फ़ाटक।
गेटवे
(इं.) [सं-पु.] 1. मार्ग; फाटक 2. मुख्य द्वार; प्रवेश-द्वार 3. दूसरी जगह जाने का मार्ग 4. दरवाज़े द्वारा खोला या बंद किया जाने वाला रास्ता 5. किसी बड़े
कंप्यूटर नेटवर्क का दूरस्थ कंप्यूटरों से संचार स्थापित करने के लिए नियत कोई मशीन या कंप्यूटर।
गेटिस
(इं.) [सं-पु.] 1. बाल बाँधने का फीता या पतली पट्टी 2. कपड़े या चमड़े का वह आवरण जिससे पिंडलियाँ ढँकी या बाँधी जाती हैं।
गेड़ना
(सं.) [क्रि-स.] 1. घेरने के लिए लकीर या रेखा बनाना 2. किसी चीज़ के चारों ओर घूमना 3. परिक्रमा करना।
गेड़ी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गेड़ने की क्रिया या भाव 2. लड़कों का एक खेल जिसमें किसी मंडलाकार रेखा के बीच में लकड़ी का टुकड़ा रखकर उस पर चोट या आघात करके उसे रेखा से
बाहर करने का प्रयास किया जाता है।
गेम
(इं.) [सं-पु.] 1. क्रीड़ा; खेल 2. लीला 3. चाल-बाज़ी; कपट 3. शिकार; आखेट 4. छल 5. व्यवसाय।
गेय
(सं.) [वि.] 1. जो गाया जा सके 2. प्रशंसनीय; श्रेष्ठ।
गेयात्मक
(सं.) [वि.] जो गेय हो; जो गाया जा सकता हो।
गेयात्मकता
(सं.) [सं-स्त्री.] गेयात्मक होने की अवस्था या भाव; गेयता।
गेरुआ
[वि.] 1. गेरु के रंग का; मटमैलापन लिए लाल रंग का 2. गेरू में रँगा हुआ 3. गैरिक; जोगिया; भगवा। [सं-पु.] 1. वह रंग जो गेरू से तैयार किया जाता है; जोगिया रंग
2. फ़सल को नुकसान करने वाला गेरू के रंग का कीड़ा 3. गेहूँ की फ़सल का रोग।
गेरुई
[सं-स्त्री.] गेहूँ, जौ आदि की फ़सल में लगने वाला एक रोग जिसमें पूरी बाल गहरी लाल हो जाती है।
गेरू
(सं.) [सं-पु.] 1. रँगने और दवा के काम आने वाली खनिज लाल मिट्टी 2. एक प्रकार का रंग जिसे गोबर और मिट्टी आदि में मिलाकर लीपा जाता है।
गेष्ण
(सं.) [सं-पु.] 1. गायक; गवैया 2. अभिनेता।
गेसू
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. स्त्रियों के बालों की लट; ज़ुल्फ़ 2. काकुल; पट्टा।
गेस्ट
(इं.) [सं-पु.] अतिथि; मेहमान; आगंतुक।
गेस्टरूम
(इं.) [सं-पु.] 1. अतिथियों को ठहराने का कमरा 2. किसी घर में आए हुए मेहमानों को ठहराने के लिए बनाया गया कमरा।
गेह
(सं.) [सं-पु.] 1. घर; मकान 2. रहने की जगह।
गेहुँअन
[सं-पु.] गेहूँ के रंग का एक बहुत ज़हरीला साँप।
गेहुँआ
[वि.] 1. गेहूँ के रंग जैसा; हलका बादामी 2. गोरे और साँवले के बीच का (शरीर का रंग)।
गेहूँ
[सं-पु.] 1. रबी की फ़सल का एक प्रसिद्ध अनाज; खाद्यान्न 2. एक अनाज जिसके आटे की रोटी बनाई जाती है; कनक; गंदुम; (व्हीट)।
गैंड़ा
[सं-पु.] 1. वह जंगली जानवर जिसका चमड़ा बहुत मोटा होता है और प्राचीन समय में उसके चमड़े की ढाल बनाई जाती थी 2. भैंसे की शक्ल एवं आकार का एक जंगली शाकाहारी पशु
जिसकी नाक पर एक या दो सींग निकले होते हैं।
गैंती
[सं-स्त्री.] 1. ज़मीन खोदने का एक उपकरण; कुदाल; कुदाली 2. एक वृक्ष जिसकी लकड़ी का रंग लाल होता है।
गैज़
(अ.) [सं-पु.] कोप; बहुत क्रोध।
गैताल
[सं-पु.] 1. निकृष्ट पशु 2. निम्न कोटि का बैल 3. बेकार चीज़; रद्दी वस्तु।
गैदरिंग
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. भीड़; जनता 2. जमाव; समूह 3. महफ़िल; सभा।
गैप
(इं.) [सं-पु.] 1. अंतराल 2. फ़र्क; अंतर; भिन्नता 3. दरार 4. कमी।
गैब
(अ.) [वि.] 1. अनुपस्थित; परोक्ष 2. छिपा होना; दृष्टिगोचर न होना 3. अदृश्य।
गैबत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. चुगली 2. किसी के पीछे की जाने वाली शिकायत।
गैबदाँ
(अ.) [वि.] 1. भूत-भविष्य की बातों का ज्ञाता (जानने वाला) 2. परोक्षदर्शी।
गैबी
(अ.) [वि.] 1. गुप्त; छिपा हुआ 2. अपरिचित; अज़नबी 3. ईश्वरीय या अप्रत्यक्ष शक्तिवाला।
गैया
(सं.) [सं-स्त्री.] गाय; गौ।
गैर
(अ.) [वि.] 1. पराया; बेगाना; अन्य; दूसरा 2. कोई और; अपने परिवार से बाहर का 3. बदला हुआ 4. जिसके साथ आत्मीयता का संबंध न हो। [पूर्वप्रत्य.] एक प्रत्यय जो
शब्दों के आरंभ में जुड़कर निषेधसूचक या अभाव से संबंधित अर्थ देता है, जैसे- गैरहाज़िर, गैरज़रूरी आदि।
ग़ैर
(अ.) [वि.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. गैर)।
गैरआबाद
(अ.) [वि.] 1. जो बसा न हो (स्थान) 2. जो जोती-बोई न गई हो; परती; उजाड़ (ज़मीन)।
गैरकानूनी
(अ.) [वि.] 1. जो कानून के विरुद्ध हो; अवैधानिक; अवैध 2. जो विधि के प्रतिकूल हो; आपराधिक; दंडनीय।
गैरज़मानती
[वि.] 1. जिसमें ज़मानत की मनाही हो 2. वह अपराध जो जमानत के योग्य न हो; (नॉनबेलेबल)।
गैरज़िम्मेदारी
(अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दायित्वहीनता; लापरवाही 2. जवाबदेह न होने की स्थिति।
गैरत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. स्वाभिमान; आन 2. लज्जा; शर्म; हया।
गैरतमंद
(अ.+फ़ा.) [वि.] 1. लज्जाशील 2. जिसे गैरत हो; गैरतदार 3. स्वाभिमानी।
गैरदखीलकार
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] वह आसामी या खेतिहर जिसे दखीलकारी (अपनी ज़मीन पर क़ब्जे का हक़) वाले अधिकार प्राप्त न हों।
गैरदुनियाबी
(अ.+फ़ा.) [वि.] 1. जो दुनियादारी से अलग हो; असांसारिक 2. जो व्यवहार में अकुशल हो।
गैरमनकूला
(अ.) [वि.] 1. (संपत्ति) जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर न ले जा सकें 2. अचल; स्थावर।
गैरमामूली
(अ.) [वि.] 1. जो ख़ास हो; जो मामूली न हो; असाधारण; विशिष्ट 2. प्रचलित परंपरा से भिन्न।
गैरमुनासिब
(अ.) [वि.] जो मुनासिब न हो; अनुचित।
गैरमुमकिन
(अ.) [वि.] न हो सकने वाला; असंभव; अशक्य; नामुमकिन।
गैरमुल्की
(अ.) [वि.] 1. जो अपने मुल्क का न हो; दूसरे देश का; परराष्ट्रीय 2. विदेशी; विदेशीय; वैदेशिक; जो दूसरे राष्ट्र से संबंध रखता हो।
गैरमौज़ूदगी
(अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] अनुपस्थिति; मौज़ूद या विद्यमान न होने की स्थिति; गैरहाज़िरी।
गैरवाज़िब
(अ.) [वि.] 1. अनुचित; जो वाज़िब या मुनासिब न हो 2. दंडनीय; गलत।
गैरसरकारी
(अ.) [वि.] 1. जो सरकारी न हो; अराजकीय 2. जिसके लिए शासन जवाबदेह न हो 3. जनता द्वारा स्थापित या संचालित, जैसे- गैरसरकारी संस्था।
गैरहाज़िर
(अ.) [वि.] 1. जो मौज़ूद या हाज़िर न हो; अनुपस्थित 2. कक्षा या कार्यालय में उपस्थित न होना।
गैरहाज़िरी
(अ.) [सं-स्त्री.] उपस्थित या हाज़िर न होने की अवस्था; नामौजूदगी; अनुपस्थिति।
गैरिक
(सं.) [सं-पु.] 1. गेरू; गेरुआ 2. सोना; स्वर्ण। [वि.] गेरू रंग में रँगा हुआ; गेरूए रंग का।
गैरेय
(सं.) [सं-स्त्री.] शिलाजीत; गेरू। [वि.] गिरि पर पैदा होने वाला; पर्वतीय।
गैल
[सं-स्त्री.] 1. गली 2. मार्ग; रास्ता।
गैलन
(इं.) [सं-पु.] तरल पदार्थ मापने का एक अँग्रेज़ी मानक।
गैलरी
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. दो अलग कमरे के बीच का रास्ता; बरामदा; बालकनी 2. चित्रशाला; नाट्यशाला; रंगमहल 3. किसी बड़े कमरे या व्याख्यान भवन में सीढ़ियों की तरह
की बनावट जहाँ बहुत से लोग बैठ सकते हों 4. किसी कलात्मक चीज़ का प्रदर्शन करने का स्थान या बरामदा; वीथिका; गलियारा।
गैली
(सं.) [सं-स्त्री.] प्रेस या छापेख़ाने में कंपोज़ की गई सामग्री रखने के लिए निर्मित धातु की एक लंबी आयताकार तश्तरी।
गैस
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी पदार्थ का अत्यंत विरल या वायु रूप जो तीव्रता से फैल सकता है, जैसे- ऑक्सीजन, हाइड्रोजन आदि गैसें 2. हवा; वायु 3. खाना पकाने की
गैस; (एल.पी.जी)।
गॉडफ़ादर
(इं.) [सं-पु.] 1. धर्मपिता; गुरु 2. सरपरस्त 3. सरगना; आपराधिक संगठन का मुखिया 3. धर्मशिक्षक 4. किसी को आगे बढ़ने में सहायता करने वाला व्यक्ति।
गॉलब्लैडर
(इं.) [सं-पु.] पित्त का स्राव करने वाला यकृत से जुड़ा हुआ अंग; पित्ताशय।
गो1
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गाय; गौ 2. किरण; रश्मि 3. आँख 4. इंद्रिय 5. वाणी; सरस्वती 6. माता 7. धरती 8. दिशा। [सं-पु.] 1. चंद्रमा 2. बैल 3. घोड़ा 4. वज्र 5.
स्वर्ग 6. तीर; बाण 7. आकाश 8. जल; पानी 9. शब्द 10. हीरा 11. तारे।
गो2
(फ़ा.) [परप्रत्य.] वह शब्द जो प्रत्यय के रूप में 'कहने वाला' अर्थ देता है, जैसे- बदगो (बुराई करने वाला), गज़लगो (गज़ल कहने वाला) आदि।
गोंछ
[सं-स्त्री.] 1. बहुत बड़ी-बड़ी मूँछें 2. गलमुच्छा।
गोंठ
(सं.) [सं-स्त्री.] धोती की वह लपेट जो कमर पर बाँधी जाती है; मुर्री।
गोंठना
(सं.) [क्रि-स.] 1. किसी अस्त्र की नोक या धार को गोठिल या कुंठित करना 2. गुझिया या मालपुए की कोर मोड़ना 3. चारों ओर से घेरना।
गोंड
(सं.) [सं-पु.] 1. वन में निवास करने वाली एक जाति जो प्रायः गोंडवाना प्रदेश में रहती थी अब सभी तरफ़ फैल गई है 2. वर्षा ऋतु में गाया जाने वाला एक राग 3. गौड़
देश; गोठ।
गोंड़रा
(सं.) [सं-पु.] 1. चरसे का मँड़रा 2. गोल आकार की कोई वस्तु 3. गोल घेरा।
गोंडी
[सं-स्त्री.] गोंडवाना समाज की बोली; गोंडों की बोली; गोंडवानी।
गोंद
[सं-पु.] 1. पेड़ से निकलने वाला एक लसदार गाढ़ा तरल जो सूखकर कड़ा हो जाता है जिसका प्रयोग चिपकाने में किया जाता है।
गोंददानी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] वह पात्र या बरतन जिसमें गोंद भिगोकर रखते हैं।
गोंदपँजीरी
[सं-स्त्री.] गोंद मिली हुई पँजीरी जो प्रसूता स्त्रियों को खिलाई जाती है।
गोंदरी
(सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की मुलायम लंबी घास जो पानी में होती है, जिससे चटाई भी बनाई जाती है।
गोंदला
(सं.) [सं-पु.] 1. नागरमोथा घास की एक जाति 2. एक तृण जिससे चटाई बनाई जाती है 3. गोनरा या गोनी नामक घास।
गोंदा
[सं-पु.] 1. भुने चने का आटा जो पानी से गूँधकर पिंड की तरह बनाया जाता है 2. मकान बनाने के लिए मिट्टी को गीला करके बनाया गया लोंदा।
गोंदी
[वि.] गोंद संबंधी; गोंद का।
गोंदीला
[वि.] (वृक्ष) जिससे गोंद निकले।
गोइंदा
(फ़ा.) [सं-पु.] जासूस; गुप्तचर; भेदिया।
गोइन
[सं-पु.] एक प्रकार का हिरन।
गोइयाँ
[सं-पु.] 1. बराबर साथ रहने वाला संगी; सखा; साथी; दोस्त 2. खेल का साथी। [सं-स्त्री.] सखी; सहेली।
गोई1
[सं-स्त्री.] 1. बैलों की वह जोड़ी जो हल या बैलगाड़ी में जोती जाए 2. रुई की पूनी।
गोई2
(फ़ा.) [परप्रत्य.] शब्दों के अंत में जुड़कर 'कहने का ढंग' या 'कहना' अर्थ देता है, जैसे- किस्सागोई आदि।
गोकर्ण
(सं.) [सं-पु.] 1. मालाबार का एक शैव क्षेत्र 2. उक्त स्थान की शिवमूर्ति। [वि.] गौ या गाय के-से कानों वाला।
गोका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नील गाय 2. छोटी गाय।
गोकि
(फ़ा.) [अव्य.] यद्यपि; हालाँकि।
गोकुल
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) मथुरा के पास का एक प्रसिद्ध गाँव जो कृष्ण के बचपन से संबंधित है; 2. गायों का झुंड; गो-समूह 3. गोशाला।
गोकुलस्थ
(सं.) [सं-पु.] वल्लभी गोस्वामियों या तैलंग ब्राह्मणों का एक भेद।
गोकुशी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] मांस के लिए गाय को मारने का काम; गोवध; गोहत्या।
गोक्ष
[सं-पु.] पानी में पाया जाने वाला एक थोड़ा लंबा कीड़ा जो जीवों के शरीर में लगकर उनका खून चूसता है; जोंक।
गोखरू
(सं.) [सं-पु.] 1. एक छोटी झाड़ी जिसमें चने के बराबर छोटे कँटीले फल लगते हैं जो दवा बनाने के काम आते हैं 2. हाथियों को पकड़ने के लिए उनके रास्ते में बिछाए
जाने वाले धातु के गोल काँटेदार टुकड़े 3. कड़े के आकार का गहना 4. काँटा चुभने से उभरा गोलाकार उभार।
गोखले
[सं-पु.] 1. एक कुलनाम या सरनेम 2. महाराष्ट्र में ब्राह्मणों का एक भेद या उपनाम।
गोग्रास
(सं.) [सं-पु.] पके हुए अन्न या भोजन का वह अंश जो श्राद्ध आदि के लिए गाय के लिए निकाला जाता है।
गोचर
(सं.) [सं-पु.] 1. वह विषय या वस्तु जिनका ज्ञान इंद्रियों द्वारा संभव हो 2. वह मैदान जहाँ गाय या मवेशी चरते हैं; चरी; चरागाह 2. प्रांत; प्रदेश 3. (ज्योतिष)
किसी व्यक्ति के नाम के आधार पर की जाने वाली ग्रहों की चाल की गणना।
गोचरभूमि
(सं.) [सं-स्त्री.] गायों या मवेशियों के चरने के लिए खाली छोड़ी गई ज़मीन; चरागाह; (पास्चर लैंड)।
गोज
(सं.) [वि.] 1. गाय से उत्पन्न 2. गाय के दूध से निर्मित। [सं-पु.] 1. गाय के दूध से बना हुआ खाद्यपदार्थ 2. मध्यकाल में क्षत्रियों का एक वर्ग।
गोज़
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. अखरोट 2. चिलगोज़ा 3. अपान वायु; पाद।
गोजई
[सं-स्त्री.] जौ मिला हुआ गेहूँ।
गोजर
[सं-पु.] कनखजूरा।
गोझा
[सं-पु.] 1. गुज्झा 2. गुझिया नामक पकवान 3. जेब; खलीता 4. जोंक।
गोट
[सं-स्त्री.] 1. चुनरी; धोती 2. लिहाफ़ आदि के ऊपर लगाई जाने वाली कपड़ों की दुहरी पट्टी जो सुंदरता के लिए कपड़ों के किनारे लगाते हैं 3. मगजी; झालर; किनारी 4.
उद्यान 5. गोष्ठी; मंडली 6. गोठ; गोशाला।
गोटा
[सं-पु.] 1. सुनहले या रूपहले तारों से बना वह चमकीला फीता या पट्टी जो कपड़ों के किनारों पर टाँका या सिला जाता है 2. नारियल का गोला या गरी 3. इलायची, सुपारी
और बादाम की गिरी का मिश्रण जो भोजन के बाद चबाया जाता है।
गोटी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कंकड़, पत्थर आदि का छोटा टुकड़ा जिससे बच्चे कई प्रकार के खेल खेलते हैं 2. नरद; मोहरा 3. युक्ति; उपाय।
गोठ
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गोशाला 2. गोष्ठी नामक श्राद्ध 3. सैर-सपाटा।
गोड़
(सं.) [सं-पु.] 1. पैर; गोड़ा; पाँव 2. जहाज़ के लंगर का वह भाग जिससे वह तल पर टिकता है 3. भड़भूजों की एक जाति।
गोड़ना
[क्रि-स.] खोदना; खेत आदि की मिट्टी को खोदना तथा उसे उलट-पुलट करना कि वह मुलायम और भुरभुरी हो जाए।
गोड़हरा
[सं-पु.] पैर में पहनने का आभूषण, जैसे- कड़ा, पाज़ेब आदि।
गोड़ाई
[सं-स्त्री.] 1. गोड़ने की क्रिया या भाव 2. गोड़ने की मज़दूरी 3. कुदाल या फावड़े आदि से उपजाऊ बनाने के उद्देश्य से खेत को गोड़ना या भुरभुरा करना।
गोतना
[क्रि-स.] पानी में डुबाना।
गोता
(अ.) [सं-पु.] 1. डूबने की क्रिया 2. गहरे नदी या तालाब में शरीर को इस प्रकार डुबाना की कोई भी अंग बाहर न रह जाए। [मु.] -खाना : धोखा खाना। -मारना : अनुपस्थित रहना।
गोताख़ोर
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. जलाशय में गोता या डुबकी लगाने वाला व्यक्ति 2. वह व्यक्ति जो गहरे पानी में गोता लगाकर नीचे की चीज़ें निकालने का काम या व्यवसाय करता हो;
(डाइवर)।
गोती
(सं.) [वि.] 1. गोत्र से संबंधित 2. जो अपने ही गोत्र का हो 3. एक ही जाति का।
गोत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. वंश, कुल का आरंभ करने वाले ऋषियों की संतति-परंपरा; संतान 2. कुल के आदिपुरुष के नाम से प्राप्त वंश का नाम, जैसे- काश्यप, शांडिल्य,
भारद्वाज आदि गोत्र 3. राजा का छत्र 4. संघ 5. गोष्ठ 6. समूह।
गोत्रोच्चार
(सं.) [सं-पु.] 1. विवाह के समय वर और कन्या के वंश, गोत्र आदि का दिया जाने वाला परिचय 2. किसी के परिजनों को दी जाने वाली गालियाँ।
गोद
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंक; क्रोड़; उछंग 2. वक्षस्थल व उदर के बीच का वह भाग, जो एक या दोनों हाथों का घेरा बनाने से बनता है जिसमें प्रायः शिशु को लिया जाता
है 3. घुटने के ऊपर जाँघों का वह भाग जहाँ किसी को बैठाया जा सकता हो। [मु.] -पसारना : माँगने के लिए पल्ला फैलाना। -लेना :
दत्तक पुत्र बनाना। -भरना : संतानोत्पत्ति होना; संतान प्राप्त करना या होना।
गोदनहर
[सं-स्त्री.] गोदना गोदने वाली स्त्री; गोदनहारी।
गोदनहारी
[सं-स्त्री.] 1. गोदना गोदने का व्यवसाय करने वाली स्त्री 2. नट जाति की स्त्री; नटी।
गोदना
[क्रि-स.] 1. गड़ाना; चुभाना; कोंचना 2. शरीर में सुई चुभोकर और सुराख़ में नील का पानी आदि भरकर सुंदरता के लिए बिंदी, फूल आदि बनाना। [सं-पु.] 1. खेत गोड़ने का
उपकरण 2. सुई चुभाकर शरीर पर बनाई गई बिंदी या फूल 3. गूँदना।
गोदा
[सं-पु.] 1. नई डाल या शाखा 2. बड़, पीपल या पाकड़ का पका फल। [सं-स्त्री.] गोदावरी नदी।
गोदान
(सं.) [सं-पु.] हिंदू परंपरानुसार किसी व्यक्ति के देहांत के पहले या किसी प्रायश्चित आदि के लिए शास्त्रीय विधि से संकल्प करके ब्राह्मण को गाय का दान करने की
क्रिया।
गोदाम
(इं.) [सं-पु.] वह बड़ा कमरा या स्थान जिसमें बिक्री का माल रखा जाता है; (गोडाउन)।
गोदावरी
(सं.) [सं-स्त्री.] दक्षिण भारत की एक प्रमुख नदी जो नासिक के पास से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
गोदी
[सं-स्त्री.] 1. गोद; क्रोड़; आगोश 2. समुद्र के किनारे पर स्थित वह स्थान जहाँ मालवाहक जहाज़ों पर माल उतारने-चढ़ाने का काम होता है; (डॉक)।
गोध
(सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का सरीसृप जिसका शरीर छिपकली के सदृश, लेकिन उससे बहुत बड़ा होता है; गोह।
गोधन
(सं.) [सं-पु.] 1. गायों का समूह 2. गाय के रूप में होने वाली संपत्ति 3. प्रायः तालाबों के समीप रहने वाला एक ऐसा पक्षी जिसके पैर हरे, सिर भूरा और चोंच लाल
होती है तथा जो सारे एशिया, यूरोप और अफ्रीका में पाया जाता है।
गोधिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गिरगिट; छिपकली 2. मादा घड़ियाल।
गोधूम
(सं.) [सं-पु.] 1. गेहूँ 2. नारंगी।
गोधूलि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सूर्यास्त का समय 2. संध्या का वह समय जब गायों के खुरों से धूल उड़ती है 3. गायों के चलने या दौड़ने से उठने वाली धूल।
गोधूलिक
(सं.) [वि.] 1. गोधूलि संबंधी 2. सांध्यकालिक।
गोन
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक दोहरा बोरा जो अनाज भरकर बैलों की पीठ पर लादा जाता है 2. अनाज भरने का बड़ा बोरा; बड़ा थैला 3. वह रस्सी जो नाव खींचने के लिए मस्तूल
में बाँधते हैं।
गोनरखा
[सं-पु.] 1. नाव का वह मस्तूल जिसमें रस्सी बाँधकर उसे खींचते हैं 2. उक्त मस्तूल में रस्सी बाँधकर खींचने वाला मज़दूर या मल्लाह।
गोनी
[सं-स्त्री.] 1. पाट; सन 2. बोरा; टाट का थैला।
गोप
(सं.) [सं-पु.] 1. ग्वाला; अहीर 2. गौओं का पालन करने वाला 3. राजा 4. रक्षक; सहायक 5. बोल या मुर नाम की औषधि 6. गले में पहनने का एक गहना।
गोपति
(सं.) [सं-पु.] 1. गायों का मालिक; गोस्वामी 2. पृथ्वीपति; राजा 3. बैल या साँड़ 4. शिव; विष्णु 5. कृष्ण 6. सूर्य 7. नौ उपनंदों में से एक।
गोपन
(सं.) [सं-पु.] 1. छुपाने की क्रिया या भाव 2. रक्षा; संरक्षण 3. भय 4. घबड़ाहट 5. द्वेष 6. भर्त्सना; निंदा।
गोपनीय
(सं.) [वि.] 1. छुपाने के लायक; जो छुपा हुआ हो 2. रक्षणीय 3. रहस्य 4. दूसरों के समक्ष प्रकट न करने योग्य।
गोपबाला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गोपिका; गोपी 2. गाय पालने वाले या ग्वाले की पुत्री।
गोपांगना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गोपी; ग्वालिन 2. गोप-वधू 3. अनंतमूल नाम की औषधि।
गोपाचल
(सं.) [सं-पु.] ग्वालियर नगर के पास का पुराना पर्वत।
गोपाल
(सं.) [सं-पु.] 1. गाय पालने वाला; गोरक्षक और गोस्वामी 2. अहीर; ग्वाला 3. कृष्ण।
गो-पालन
(सं.) [सं-पु.] गायों या मवेशियों को पालने का काम।
गोपाष्टमी
(सं.) [सं-स्त्री.] कार्तिक शुक्ला अष्टमी।
गोपिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ग्वाला जाति की स्त्री; गोपी; गोपा 2. अहीरिन; ग्वालिन 3. गोप-वधू।
गोपित
(सं.) [वि.] 1. जिसे गुप्त रखा गया हो; छिपा या छिपाया हुआ 2. रक्षित।
गोपी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गाय पालने वाली 2. ग्वाले की स्त्री; गोप पत्नी 3. ब्रज की स्त्रियाँ जो कृष्ण से प्रेम करती थीं 4. छिपने वाली 5. सारिवा नामक औषधि।
[वि.] 1. रक्षा करने वाला 2. छिपाने वाला; गोपनकर्ता।
गोपी-चंदन
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार की पीली मिट्टी जिसका तिलक प्रायः वैष्णव लोग लगाते हैं।
गोपुर
(सं.) [सं-पु.] 1. नगर का मुख्य द्वार 2. बड़े किले, नगर, मंदिर आदि का ऊँचा तथा बड़ा द्वार 3. फाटक 4. गोलोक; स्वर्ग।
गोपेंद्र
(सं.) [सं-पु.] 1. गोपों या ग्वालों का राजा 2. कृष्ण।
गोप्ता
(सं.) [वि.] 1. छिपाने वाला 2. रक्षक।
गोप्य
(सं.) [वि.] 1. गोपनीय 2. गुप्त रखने या छिपाने लायक।
गोफन
(सं.) [सं-पु.] एक ऐसा जाल जो छींके की तरह का होता है, जिसमें ढेले आदि भर कर शत्रुओं पर चलाते हैं; ढेलवाँस।
गोबर
(सं.) [सं-पु.] गाय-भैंस आदि पशुओं का मल जिसे पाथकर कंडे या उपले बनाए जाते हैं।
गोबरगणेश
[वि.] 1. मूर्ख; बेवकूफ़ 2. कुरूप 3. जो आकार-प्रकार या रूप-रंग में बहुत ही भद्दा हो।
गोबरी
[सं-स्त्री.] 1. गोबर से फ़र्श या दीवारों पर की जाने वाली लिपाई 2. उपला; कंडा; गोहरा।
गोबरैला
[सं-पु.] एक छोटा काला कीड़ा जो गोबर में उत्पन्न होता है और उसी में रहता है; गुबरैला।
गोभ
(सं.) [सं-पु.] पौधों का एक ऐसा रोग जिसमें उनकी जड़ों से नए-नए अंकुर निकलने के कारण उनकी बाढ़ रुक जाती है।
गोभी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रसिद्ध पौधा जिसकी सब्ज़ी बनती है और जिसकी तीन प्रमुख किस्में होती हैं- फूलगोभी, गाँठगोभी और पत्तागोभी 2. एक जंगली घास; बनगोभी;
गोजिया 3. पौधों का एक रोग।
गोमती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. उत्तर प्रदेश की एक नदी जो गंगा में मिलती है 2. (लोक मान्यता) एक देवी जिसका प्रधान स्थान गोमंत पर्वत पर है।
गोमय
(सं.) [सं-पु.] गाय का मल; गोबर।
गोमांस
(सं.) [सं-पु.] 1. गाय या बैल का मांस या गोश्त 2. गाय प्रजाति का मांस।
गोमुख
(सं.) [सं-पु.] 1. गंगा नदी का उद्गम स्थल 2. गाय का मुँह 3. गाय के मुँह जैसा विशेष अलंकरण, जिसमें गाय या बैल का मुखौटा पट्टियों या मालाओं के साथ बना और सजा
होता है 4. गाय के मुँह की आकृति का शंख 5. नरसिंगा नामक बाजा।
गोमुखी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह थैली जिसमें हाथ डालकर माला फेरी जाती है; जपमाली 2. वास्तु कला की दृष्टि से भवन या घर का एक प्रकार जिसमें घर आगे सँकरा और पीछे चौड़ा
होता है, शुभसूचक भवन।
गोमूत्र
(सं.) [सं-पु.] गाय का मूत्र जो अनेक रोगों की औषधि माना जाता है।
गोमूत्रिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक विशेष प्रकार का चित्रकाव्य जो लचकीली या लहरिएदार रेखा के रूप में होता है 2. अंकन, चित्रण आदि में बेल की लता के समान खींची गई लचीली
टेढ़ी-मेढ़ी रेखा 3. सुगंधित बीजों वाली एक प्रकार की घास।
गोमेद
(सं.) [सं-पु.] 1. एक बहुमूल्य रत्न या पत्थर जो कई रंगों का होता है, राहु-रत्न 2. पत्रक नामक साग 3. कबाबचीनी 4. काकोल नामक विष।
गोमेध
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) अश्वमेघ की तरह का एक यज्ञ जिसमें गाय के मांस से हवन किया जाता था।
गोया
(फ़ा.) [अव्य.] 1. जैसे; मानो 2. गोया कि। [वि.] 1. वक्ता; बोलने वाला 2. सदृश।
गोर
(अ.) [सं-पु.] फ़ारस देश का एक प्रांत। [सं-स्त्री.] कब्र; समाधि।
गोरख
[सं-पु.] 1. गोरक्ष 2. गोरखनाथ नामक एक प्राचीन हठयोगी अवधूत या संत।
गोरखधंधा
(सं.) [सं-पु.] 1. जल्दी समझ में न आने वाली बात; पहेली 2. कोई जटिल काम जिसका निराकरण करना सहज न हो 3. घपला; अनियमितता 4. तारों, कड़ियों और लकड़ी के टुकड़ों
की वह बनावट जिसे जोड़ने या अलग करने में बुद्धि कौशल की ज़रूरत पड़ती हो।
गोरखनाथ
(सं.) [सं-पु.] पंद्रहवीं शती के एक प्रसिद्ध हठयोगी संत (अवधूत) जिन्होंने अपना संप्रदाय चलाया; गोरक्षनाथ।
गोरखपंथ
[सं-पु.] संत गोरखनाथ द्वारा चलाया गया संप्रदाय।
गोरखपंथी
[वि.] 1. गोरखनाथ द्वारा चलाए गए पंथ मार्ग का अनुयायी 2. गोरखपंथ संबंधी।
गोरखा
[सं-पु.] 1. गोरखा क्षेत्र का निवासी; नेपाली 2. भारतीय सेना का एक रेजिमेंट।
गोरज
(सं.) [सं-पु.] 1. गाय के पैर की धूल 2. झुंड में चलने वाली गायों के खुर से उड़ने वाली धूल।
गोरण
(सं.) [सं-पु.] 1. अध्यवसाय 2. उद्यम।
गोरस
(सं.) [सं-पु.] 1. गाय का दूध 2. दही; मट्ठा या छाछ 3. इंद्रियों के सुख-भोग का आनंद।
गोरसा
(सं.) [सं-पु.] गाय का दूध पीकर पला बच्चा।
गोरसी
(सं.) [सं-स्त्री.] दूध को गरम करने या औटाने के लिए मिट्टी की एक प्रकार की छोटी अँगीठी।
गोरा
(सं.) [वि.] 1. श्वेत या गौर वर्ण वाला; साफ़ रंग वाला 2. जिसकी त्वचा का रंग साफ़ या सफ़ेद हो 3. गोरा-चिट्टा।
गोराई
[सं-स्त्री.] गोरे होने का भाव; गोरापन।
गोराचिट्टा
[वि.] खूब गोरे रंग वाला; जो गोरा हो।
गोराटी
(सं.) [सं-स्त्री.] मैना पक्षी।
गोरा पत्थर
[सं-पु.] एक प्रकार का सफ़ेद रंग का पत्थर जो चिकना और मुलायम होने के कारण साबुन के लिए भी प्रयुक्त होता है; घीया पत्थर; (सोप स्टोन)।
गोरापन
[सं-पु.] 1. गोराई 2. सुंदरता; सौंदर्य 3. गौरवर्ण।
गोरिल्ला
[सं-पु.] 1. अफ़्रीका के जंगलों में रहने वाला बनमानुस 2. छापामार दस्ते का सैनिक।
गोरिल्लायुद्ध
[सं-पु.] किसी संगठन के द्वारा परिस्थिति के अनुरूप चलाया जाने वाला अनियमित युद्ध।
गोरी
(सं.) [वि.] गौर वर्ण वाली; सुंदर (स्त्री)।
गोरू
(सं.) [सं-पु.] 1. गाय, बैल या बकरी जैसे सींग वाले पशु 2. चौपाया; मवेशी।
गोरोचन
(सं.) [सं-पु.] पीले रंग का एक सुगंधित रसायन जो गाय के पित्त से निकलता है।
गोल
(सं.) [सं-पु.] 1. वृत्त या गेंद के आकार की रचना 2. मदन या मैनफल नामक वृक्ष 3. मुर नामक औषधि। [वि.] 1. जिस वस्तु की गोलाई वृत्त के समान हो; (सर्कुलर) 2.
जिसके बाहरी तल का प्रत्येक बिंदु उसके केंद्र से बराबर दूरी पर हो।
गोलंदाज़
(फ़ा.) [सं-पु.] तोपची; तोप में गोला भर कर चलाने वाला व्यक्ति।
गोलंदाज़ी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. तोप से गोले चलाने का काम या कला 2. तोपची का काम।
गोलंबर
[सं-पु.] 1. गोलाई 2. गुंबद 3. गुंबद के आकार की कोई अर्धगोलाकार रचना; कलाकृति 4. बाग में बना हुआ गोल चबूतरा 5. कलबूत जिसपर रखकर जूता, टोपी आदि सीते हैं;
कालिब।
गोलक
(सं.) [सं-पु.] 1. कोई गोलाकार पिंड; ढेला; डला 2. बड़ा घड़ा; मिट्टी का बना कुंडा; मटका 3. आँख का डेला; आँख की पुतली 4. विधवा स्त्री की वह संतान, जो उसके
पुरुष मित्र से उत्पन्न हो 5. गुंबद या गुंबद जैसी कोई गोल बनावट 6. कई ग्रहों का योग 7. काठ की गेंद।
गोलकीपर
(इं.) [सं-पु.] फुटबॉल, हॉकी आदि खेलों में गोल रक्षा पंक्ति पर नियुक्त खिलाड़ी जो गेंद को लक्ष्य-रेखा या गोल लाईन पार करने से रोकता है; गोलची; गोल-रक्षक।
गोलगप्पा
[सं-पु.] 1. छोटी और खूब फूली हुई गोल कुरकुरी पूरी जो मसाला मिश्रित खट्टे पानी या रस में डुबाकर खाई जाती है; पानी-बताशा; गुपचुप; फुलकी; पानी-पूरी 2. {ला-अ.}
जो गोलगप्पे के समान गोलाकार और फूला हुआ हो।
गोलमटोल
[वि.] 1. तंदुरुस्त; हृष्ट-पुष्ट 2. गोल आकार का 3. भारी शरीर का नाटा व्यक्ति।
गोलमाल
[सं-पु.] ऐसी गड़बड़ी जो जान-बूझकर और गलत नीयत से की गई हो; घपला; गड़बड़।
गोलमिर्च
[सं-स्त्री.] एक प्रकार का मसाला; काली मिर्च; मरिचपिप्पली।
गोलमेज़
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] वह गोल मेज़ जिसके चारों तरफ़ बैठकर किसी मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जाता है, जैसे- गोलमेज़ सम्मेलन; (गोलमेज़ कॉन्फ्रेंस) आदि।
गोलमोल
[वि.] वह बात जिससे कोई साफ़ अर्थ न निकले; अस्पष्ट उत्तर; किसी बात का सीधा जवाब न देना; घुमा-फिराकर कही गई (बात)।
गोला
[सं-पु.] 1. वृत्त 2. कोई गोल पिंड या वस्तु 3. लोहे और बारूद का बना वह पिंड जो तोप या टैंक से चलाया जाता है 4. पेट में वायु का गोला 5. गुबार 6. रस्सी, ऊन या
सूत के धागों को लपेटकर बनाया गया गोल पिंड 7. नारियल की गरी।
गोलाई
[सं-स्त्री.] 1. गोल होने का भाव; गोल वस्तु का बाहरी घेरा 2. परिधि; परिधि की माप 2. घेरा।
गोलाकार
(सं.) [वि.] जिसकी आकृति गोल हो; गोलाकृति; पिंडाकार; गोल।
गोलाकृति
(सं.) [वि.] गोलाकार; पिंडाकार।
गोलाबारी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] तोप से की जाने वाली गोलों की वर्षा; (बंबार्डमेंट)।
गोला-बारूद
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. युद्ध सामग्री 2. गोला और बारूद 3. अस्त्र-शस्त्र; (एम्युनिशन)।
गोलार्ध
(सं.) [सं-पु.] 1. पृथ्वी का आधा भाग जो एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव तक काल्पनिक रेखा खींचने से बनता है 2. किसी प्रकार के गोले का आधा भाग।
गोलित
ध्वनियों के उच्चारण करते समय होठों के गोल हो जाने की अवस्था।
गोली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटे आकार का गोलाकार पिंड; वटिका; वटी; टिकिया 2. गोल आकार की दवा, जैसे- हाजमे की गोली; आटे की गोली 3. बंदूक या रिवाल्वर में चलाने का
कारतूस। [मु.] -मारना : हत्या के उद्देश्य से किसी पर गोली चलाना; ठुकरा देना; उपेक्षापूर्वक त्याग देना।
गोलीकांड
[सं-पु.] 1. गोली चल जाने की घटना; (फ़ायरिंग) 2. गोली चलाकर किया गया अपराध।
गोलीय
(सं.) [वि.] 1. खगोल, भूगोल आदि से संबंध रखने वाला 2. गोल संबंधी।
गोलोक
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) विष्णु का लोक 2. (मिथक) कृष्ण का निवास-स्थान जो अन्य लोकों से बड़ा और श्रेष्ठ माना गया है 3. ब्रजमंडल 4. स्वर्ग।
गोल्ड
(इं.) [सं-पु.] सोना; स्वर्ण।
गोल्फ़
(इं.) [सं-पु.] खुले क्षेत्र में खेला जाने वाला एक खेल जिसमें नौ या अठारह छेद बने होते हैं और इन छेदों में गेंद को डाला जाता है।
गोवर्धन
[सं-पु.] (पुराण) उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के अंतर्गत एक पर्वत जिसे कृष्ण ने इंद्र के कोप से ब्रज भूमि की रक्षा करने के लिए अपनी कनिष्ठा उँगली पर उठा लिया
था; गिरिराज।
गोविंद
(सं.) [सं-पु.] 1. कृष्ण 2. परब्रह्म; परमात्मा 3. बृहस्पति 4. शंकराचार्य के गुरु का नाम 5. गोशाला का मालिक।
गोश
(फ़ा.) [सं-पु.] कान; सुनने की इंद्रिय।
गोशम
[सं-पु.] कोसम नामक पेड़।
गोशमाली
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. किसी को दंड देने के लिए उसके कान उमेठना; कनैठी; कान मलना 2. ताड़ना।
गोशवारा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. खंजन नामक पेड़ का गोंद 2. बड़ा मोती जो सीप में होता है 3. कान का बड़ा कुंडल 4. तुर्रा; कलगी 5. रजिस्टर आदि के खानों का शीर्षक 6. हिसाब का
ख़ुलासा।
गोशा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. कोण; कोना; अंतराल 2. कमान की नोक; धनुष की कोटि 3. दिशा 4. एकांत स्थान।
गोशानशीन
(फ़ा.) [वि.] घर-गृहस्थी छोड़ कर एकांत में रहने वाला; एकांतवासी।
गोशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गाय आदि को रखने और पालने का स्थान; गायों के रहने का स्थान 2. दूध-दही तथा घी आदि निकालने और बेचने का स्थान; गौशाला।
गोश्त
(फ़ा) [सं-पु.] 1. शरीर का मांस 2. मारे हुए पशु का वह मांस जो खाया जाता है 3. गूदा; सालन।
गोष्ठ
(सं.) [सं-पु.] 1. गायों के रहने का स्थान; गोशाला 2. एक ही प्रकार के जानवरों के एक साथ रहने का स्थान 3. एक प्रकार का प्राचीन श्राद्ध जो बहुत से लोग मिलकर
करते थे 4. परामर्श; सलाह; मशविरा 5. मंडली; दल।
गोष्ठी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मंडली; सभा 2. औपचारिक रूप से होने वाली बैठक जिसमें सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक तथा साहित्यिक उद्देश्यों के लिए विचार-विमर्श किया
जाता है 3. मनोरंजन के लिए परिचितों या मित्रों का साथ बैठना 4. सलाह; परामर्श; बातचीत।
गोस
(सं.) [सं-पु.] 1. सुबह; भोर 2. ग्रीष्म ऋतु 3. एक प्रकार की झाड़ी जिसमें से गोंद निकलती है; लोबान।
गोसई
[सं-स्त्री.] कपास के पौधों का एक रोग जिसके कारण उनमें फूल नहीं लगते।
गोसा
(सं.) [सं-पु.] कंडा; उपला।
गोसी
[सं-स्त्री.] समुद्र में चलने वाली एक प्रकार की नाव जिसमें कई मस्तूल होते हैं।
गोस्वामी
(सं.) [सं-पु.] 1. गायों का मालिक या स्वामी 2. ईश्वर 3. वह जिसने इंद्रियों को जीत लिया हो; जितेंद्रिय 4. हिंदुओं में एक कुलनाम या सरनेम।
गोह
(सं.) [सं-स्त्री.] छिपकली की जाति का एक बड़ा जंगली जानवर जो नेवले के बराबर होता है और उसकी फुफकार विषैली होती है।
गोहन
(सं.) [सं-पु.] 1. संग; साथ 2. संगी; साथी 3. ढकना 4. छिपाना।
गोहरा
(सं.) [सं-पु.] गीले गोबर को पाथ कर धूप में सुखाया हुआ उसका गोलाकार पिंड जो ईंधन का काम करता है; कंडा; उपला।
गोहरौर
[सं-पु.] 1. उपलों को रखने का एक ढंग 2. उपलों का सजाकर लगाया हुआ ढेर 3. उपलों का ढेर सँजोकर रखने की जगह।
गोहार
[सं-स्त्री.] 1. गुहार; बुलावा 2. कष्ट, संकट, हानि आदि के समय सहायता के लिए की जाने वाली पुकार 2. शोरगुल 3. गुहार सुनकर एकत्र होने वाली भीड़। [मु.] -मारना : सहायता के लिए पुकारना।
गोहिर
(सं.) [सं-पु.] एड़ी; पैरों का तलवा; पादमूल।
गोही
[सं-स्त्री.] 1. गुप्त बात 2. छिपाव 3. आम आदि फलों की गुठली।
गौ
(सं.) [सं-स्त्री.] गाय; गऊ।
गौं
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपना हित साधने की प्रबल इच्छा 2. प्रयोजन; मतलब; उद्देश्य 3. गर्ज़; स्वार्थ 4. तरह; प्रकार 5. ढंग; ढब।
गौगा
(अ.) [सं-पु.] 1. शोरगुल; कोलाहल; हल्ला 2. अफ़वाह; जनश्रुति।
गौचरी
[सं-स्त्री.] 1. किसी क्षेत्र विशेष में गाय चराने के बदले में लिया या दिया जाने वाला कर 2. मध्ययुग का एक प्रकार का कर जो ज़मींदार द्वारा चरवाहों से खेत में
पशु चराने के बदले में लिया जाता था।
गौजल
(सं.) [सं-पु.] गाय का पेशाब; गौमूत्र।
गौड़
(सं.) [सं-पु.] 1. बंगाल का पुराना नाम 2. ब्राह्मणों का एक वर्ग 3. कायस्थों की एक उपजाति 4. राजपूतों की एक शाखा 5. (संगीत) एक राग जो तीसरे पहर तथा संध्या के
समय गाया जाता है।
गौड़ी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गुड़ से बनाई गई शराब 2. एक रागिनी 3. काव्य में एक रीति या वृत्ति जिसमें संयुक्त अक्षर और समास अधिक आते हैं।
गौड़ीय
(सं.) [सं-पु.] चैतन्य महाप्रभु का चलाया हुआ एक प्रसिद्ध वैष्णव संप्रदाय। [सं-स्त्री.] गौड़ देश की बोली या भाषा। [वि.] गौड़ देश का।
गौण
(सं.) [वि.] 1. जिसका महत्व कम हो; साधारण; अप्रधान; अप्रचलित 2. दूसरे दर्जे का; (सेकेंडरी) 3. जो मुख्य या मूल अर्थ से अलग हो 4. गुणों से संबंधित।
गौतम
(सं.) [सं-पु.] 1. क्षत्रियों का एक वंश या वर्ग 2. गोतम ऋषि के वंशज; एक गोत्र का नाम 3. (पुराण) एक ऋषि जिन्होंने अपनी पत्नी अहिल्या को शाप देकर पत्थर बना
दिया था 4. बुद्ध का एक नाम 5. कृपाचार्य।
गौतमी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या 2. कृपाचार्य की स्त्री 3. गोदावरी नदी 4. गौतम ऋषि की बनाई हुई स्मृति 5. दुर्गा।
गौनहर
[सं-स्त्री.] गाने का पेशा करने वाली स्त्री।
गौना
(सं.) [सं-पु.] विवाह के बाद की वह रस्म जिसमें वर ससुराल से पहली बार वधू को अपने साथ घर लाता है; द्विरागमन; वधू-प्रवेश।
गौमुखी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गौ के मुँह के आकार का शंख 2. एक तीर्थ जहाँ से गंगा निकलती है; गोमुख।
गौर1
(सं.) [वि.] 1. गोरा 2. साफ़; स्वच्छ 3. सफ़ेद। [सं-पु.] 1. गोरा या सफ़ेद रंग 2. पीतिमा या लालिमा लिए हुए गोरा रंग 3. सोना 4. चंद्रमा 5. चैतन्य महाप्रभु 6.
पद्मकेसर 7. बृहस्पति ग्रह 8. जाफ़रान 9. पीली सरसों।
गौर2
(अ.) [सं-पु.] 1. चिंतन; सोच-विचार 2. ध्यान।
गौरतलब
(अ.) [वि.] 1. विचारणीय; ध्यान देने योग्य 2. जिसपर गौर करना या विचार करना ज़रूरी हो।
गौरव
(सं.) [सं-पु.] 1. सम्मान; आदर; इज़्ज़त 2. भारीपन; गुरुता 3. प्रतिष्ठा; मर्यादा 4. महिमा; गरिमा 5. श्रेष्ठता; प्रभुता 6. महानता; बड़प्पन 7. वर्चस्व।
गौरव-भाव
(सं.) [सं-पु.] गर्व अथवा सम्मान की भावना; अभिमान; गुरूर।
गौरवमय
(सं.) [वि.] 1. जो गौरव से युक्त हो; जिसपर गर्व हो 2. सम्मानजनक; प्रतिष्ठित।
गौरवर्ण
(सं.) [वि.] जिसका रंग गोरा हो; सफ़ेद रंग का; गोरा; गोरी।
गौरवशाली
(सं.) [वि.] 1. सम्मानित 2. गौरवयुक्त।
गौरवान्वित
(सं.) [वि.] 1. सम्मानित 2. गौरवयुक्त; महिमायुक्त।
गौरवासन
(सं.) [सं-पु.] सम्मानित पद; गौरवयुक्त आसन।
गौरशाक
[सं-पु.] 1. मधूक; पहाड़ी महुआ 2. उक्त महुआ का फल।
गौरा
(सं.) [सं-पु.] नर गौरैया पक्षी। [सं-स्त्री.] 1. गोरे रंग की स्त्री 2. पार्वती; गौरी 3. (संगीत) एक रागिनी 4. हल्दी।
गौरांग
(सं.) [वि.] गोरे वर्ण (रंग) वाला। [सं-पु.] चैतन्य महाप्रभु।
गौरिया
[सं-पु.] 1. मिट्टी का बना हुआ छोटा हुक्का 2. एक प्रकार का मोटा कपड़ा।
गौरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गोरे रंग की स्त्री 2. पार्वती 3. वाणी 4. (पुराण) वरुण की पत्नी 5. गोरोचन 6. हल्दी 7. सफ़ेद दूब।
गौरीशंकर
[सं-पु.] 1. शिव का वह रूप जिसमें उनके साथ पार्वती भी रहती हैं 2. हिमालय पर्वत की एक ऊँची चोटी।
गौरैया
[सं-स्त्री.] एक छोटी चिड़िया।
गौशाला
(सं.) [सं-पु.] गायों को रखने का स्थान; गोशाला।
गौहर
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. मोती; रत्न 2. बुद्धिमत्ता 3. किसी वस्तु की प्रकृति।
ग्यारस
[सं-स्त्री.] चंद्रमास के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि; एकादशी।
ग्यारह
[वि.] संख्या '11' का सूचक।
ग्रंथ
(सं.) [सं-पु.] 1. पुस्तक; किताब 2. अनुष्टुप छंद में रचा गया श्लोक 3. कोई प्रसिद्ध रचना, जैसे- महाभारत, बाइबिल, कुरान आदि।
ग्रंथकार
(सं.) [सं-पु.] ग्रंथ रचने वाला या लिखने वाला।
ग्रंथन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु को गाँठ देकर बाँधना; गठियाना 2. गूँथना 3. ग्रंथ या पुस्तक की रचना करना।
ग्रंथसाहब
(सं.+अ.) [सं-पु.] सिक्खों का धर्म-ग्रंथ जिसमें नानक, कबीर आदि गुरुओं की वाणियाँ संगृहीत हैं।
ग्रंथालय
(सं.) [सं-पु.] 1. वह भवन या घर जिसमें अध्ययन और संदर्भ के लिए पुस्तकें रखी गई हों 2. उक्त प्रकार का भवन जहाँ से सर्वसाधारण को पढ़ने के लिए पुस्तकें मिलती
हों; पुस्तकालय; ग्रंथागार; पुस्तकागार; (लाइब्रेरी)।
ग्रंथावली
(सं.) [सं-स्त्री.] ग्रंथमाला; ग्रंथसंग्रह; ग्रंथसमूह।
ग्रंथावलोकन
(सं.) [सं-पु.] किताब, पुस्तक आदि का अध्ययन।
ग्रंथि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गाँठ के आकार की कोई कड़ी गोलाकार रचना 2. गुठली 3. शरीर का वह विशेष अंग जो शारीरिक क्रियाओं को जारी रखने के लिए आवश्यक रासायनिक यौगिकों
का निर्माण करके उसे शरीर के सभी अंगों में भेजता है 4. अंगों का जोड़।
ग्रंथित
(सं.) [वि.] 1. (वस्तु) जिसमें गाँठ लगाई गई हो 2. गाँठ लगाकर बाँधा हुआ 3. गूँथा हुआ।
ग्रंथिबंधन
(सं.) [सं-पु.] 1. वर-वधू के कपड़ों के छोर में गाँठ लगाकर बाँधने की रस्म; गठबंधन 2. गाँठ बाँधकर या ऐसी ही और किसी क्रिया से दो या अधिक चीज़ें एक साथ करना या
लगाना।
ग्रंथिमूल
(सं.) [सं-पु.] ऐसी वनस्पतियाँ जो गाठों के रूप में उत्पन्न होती हैं; कंद, जैसे- गाजर, मूली, शलजम, लहसुन आदि।
ग्रंथिसंधि
[सं-स्त्री.] ग्रंथ का कोई विभाग, जैसे- अध्याय, सर्ग, परिच्छेद, अंक, पर्व आदि।
ग्रंथी
(सं.) [सं-पु.] 1. ग्रंथ का पाठ करने वाला व्यक्ति 2. ग्रंथकर्ता। [वि.] 1. विद्वान 2. जिसने बहुत से ग्रंथ पढ़े हों 3. जिसके पास बहुत से ग्रंथ हों।
ग्रसन
(सं.) [सं-पु.] 1. निगलना; भक्षण करना; खाना 2. ग्रसने या पकड़ने की क्रिया या भाव; पकड़ 3. ग्रहण 4. बहुत ही बुरे तरीके से अपने चंगुल में फँसाना।
ग्रसना
(सं.) [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु या व्यक्ति को इस तरह पकड़ना कि वह छूटकर भाग न पाए 2. अपना काम निकालने के लिए किसी को बहुत तंग करना।
ग्रस्त
(सं.) [वि.] 1. पीड़ित; प्रभावित 2. ग्रहण लगा हुआ 3. खाया हुआ; निगला हुआ 4. पकड़ा या ग्रसा हुआ।
ग्रस्तास्त
(सं.) [सं-पु.] चंद्रमा या सूर्य का ग्रहण लगे रहने की दशा में ही अस्त हो जाना।
ग्रस्तोदय
(सं.) चंद्रमा या सूर्य का ग्रहण लगे हुए ही उदय होना।
ग्रह
(सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विशाल आकाशीय पिंड, जैसे- पृथ्वी, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, वरूण, हर्षल एवं यम (आजकल कुछ
वैज्ञानिक यम को पूर्ण ग्रह नहीं मानते) 2. भारतीय ज्योतिष के अनुसार नौ ग्रह हैं- सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु। वैज्ञानिक
दृष्टि से सूर्य तारा है जो अपनी धुरी पर ही घूमता है जबकि अन्य ग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं तथा चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है जो पृथ्वी के चारों
ओर चक्कर लगाता है। राहु और केतु काल्पनिक हैं।
ग्रहण
(सं.) [सं-पु.] 1. कोई चीज़ लेने या पकड़ने की क्रिया या भाव 2. किसी चीज़ की स्वीकृति 3. कोई बात ठीक समझकर मान लेना 4. सूर्य या चंद्रमा पर क्रमशः चंद्रमा या
पृथ्वी की छाया पड़ने की वह स्थिति जिसमें कुछ बिंब या पूरा बिंब अँधेरे में पड़ जाता है 5. लांछन; आरोप।
ग्रहणांत
(सं.) [सं-पु.] अध्ययन की समाप्ति।
ग्रहणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अतिसार; संग्रहणी 2. पक्वाशय और आमाशय के बीच की एक नाड़ी जो अग्नि या पित्त का मुख्य आधार मानी गई है।
ग्रहदशा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (ज्योतिष) ग्रहों की विशेष स्थिति 2. गोचर में ग्रहों की स्थिति 3. दुर्भाग्य; अभाग्य 4. ग्रहों की स्थिति के अनुसार किसी मनुष्य की अच्छी
और बुरी अवस्था 5. उक्त का व्यक्ति, विश्व आदि पर होने वाला प्रभाव।
ग्रहनायक
(सं.) [सं-पु.] सूर्य।
ग्रहराज
(सं.) [सं-पु.] सूर्य।
ग्रहवेध
(सं.) [सं-पु.] शास्त्रीय विधि से देखकर ग्रहों की स्थिति आदि का ठीक-ठीक पता लगाना।
ग्रहिल
(सं.) [वि.] 1. जिसे किसी ने ग्रस्त किया हो 2. किसी विषय का अनुरागी या रसिक 3. हठी; दुराग्रही 4. (काल्पनिक) जो किसी ग्रह या भूत-प्रेत की बाधा से पीड़ित हो;
भूताविष्ट।
ग्रहीता
(सं.) [सं-पु.] 1. कर्ज़ लेने वाला 2. ग्रहण करने वाला 3. ग्राहक।
ग्रांडील
(इं.) [वि.] 1. बहुत लंबे-चौड़े डील-डौलवाला 2. ऊँचे कद का 3. मोटे-ताज़े शरीरवाला।
ग्राउंड
(इं.) [सं-पु.] 1. धरातल; थल; मैदान 2. खेल का मैदान; क्रीड़ा स्थल 3. भूमि; धरती; ज़मीन 4. खेत; क्षेत्र 5. आधार; पृष्ठभूमि 6. भूतल; भूखंड।
ग्राफ़
(इं.) [सं-पु.] 1. चार्ट; बिंदुरेख 2. किसी बात, घटना या व्यवसाय के उतार-चढ़ाव के संबंध में कोई आँकड़ा।
ग्राम
(सं.) [सं-पु.] 1. गाँव; बस्ती 2. मनुष्यों का समूह या उनके रहने का स्थान 3. ढेर; राशि; समूह 4. स्वर-सप्तक।
ग्रामणी
(सं.) [सं-पु.] 1. गाँव का मुखिया या मालिक 2. लोगों का नेता या प्रधान व्यक्ति 3. विष्णु 4. यक्ष 3. नाई; हज्जाम।
ग्रामदेवता
(सं.) [सं-पु.] (लोकमान्यता) गाँव का वह देवता जिसे गाँव के सभी सदस्य अपना रक्षक मानते हैं और पूजा करते हैं।
ग्राम-नगरीकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. गाँवों और नगरों के परस्पर संपर्क से नगरों के निकट के गाँवों का रहन-सहन प्रभावित होना 2. गाँवों में नगरों की संस्कृति का मिश्रण होना;
ग्राम संक्रमण।
ग्राम-भित्तिक
(सं.) [वि.] गाँव से जुडा हुआ; जिसमें गाँव की संस्कृति हो; ग्रामीण चेतना से पुष्ट।
ग्राम-वधू
(सं.) [सं-स्त्री.] गाँव की स्त्री या बहू।
ग्रामवासी
(सं.) [सं-पु.] गाँव में रहने वाला; देहाती।
ग्राम समुदाय
(सं.) [सं-पु.] 1. ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों का वह समुदाय जिनके व्यवहारों में बहुत कुछ समानता होती है 2. गाँव के लोगों का समूह।
ग्राम-सुधार
(सं.) [सं-पु.] 1. गाँव के विकास तथा पिछड़ेपन को दूर करने के लिए चलाया गया अभियान 2. गाँव की हालत या अवस्था सुधारने का काम; (रूरल अपलिफ़्ट)।
ग्रामसेवक
(सं.) [सं-पु.] 1. एक सरकारी पद 2. ग्राम जीवन में सुधार का कार्य करने वाला एक सरकारी कर्मचारी 3. गाँव में रहने वाले लोगों की सेवा करने वाला व्यक्ति।
ग्रामिक
(सं.) [वि.] ग्रामीण; देहाती; गाँव का या गाँव से संबंधित।
ग्रामीण
(सं.) [वि.] गाँव में रहने वाला; ग्रामवासी; गाँव से संबंधित। [सं-पु.] किसान; खेतिहर।
ग्रामीण समाजशास्त्र
(सं.) [सं-पु.] 1 समाजशास्त्र की एक शाखा 2. ग्रामीण समाज की घटनाओं, प्रक्रियाओं तथा संबंधों का वैज्ञानिक सिद्धातों के आधार पर अध्ययन और विश्लेषण करने वाली
समाजशास्त्र की एक शाखा।
ग्रामोफ़ोन
(इं.) [सं-पु.] 1. वह यंत्र जिसमें ध्वनि रिकार्ड की जा सकती है और ज़रूरत पड़ने पर पुनः सुना भी जा सकता है 2. वह यंत्र, जो एक सुई के दोलनों से ध्वनि पैदा
करता है, सुई एक घूमते हुए रिकार्ड में बने घुमावदार खाँचों के संपर्क में होती है।
ग्राम्य
(सं.) [वि.] 1. गाँव-देहात से संबंध रखने वाला; गाँव का; ग्रामीण 2. ठेठ; प्रकृत 3. गाँव में मिलने वाला 4. ग्रामीणों की प्रकृति, रीति-रिवाज और रहन-सहन से
संबंधित 5. ग्रामवासियों के स्वभाव तथा व्यवहार से समानता रखने वाला।
ग्राव
(सं.) [सं-पु.] 1. पत्थर 2. पहाड़ 3. बादल 4. ओला। [वि.] कड़ा; कठोर; सख़्त।
ग्रास
(सं.) [सं-पु.] 1. आहार; निवाला; कौर 2. ग्रसने अर्थात दाँतों से कसकर पकड़ने या दबाने की क्रिया या भाव 3. (अंधविश्वास) चंद्रमा या सूर्य को लगने वाले ग्रहण की
स्थिति जो उसके ग्रस्त अंश के विचार से कही जाती है 4. अस्पष्ट उच्चारण 5. ग्रहण।
ग्रासक
(सं.) [वि.] 1. बुरी तरह से पकड़ने वाला 2. भक्षक 3. दबाने वाला।
ग्रासरूट लेवल
(इं.) [सं-पु.] 1. ज़मीनी स्तर पर 2. मूल स्तर पर 3. किसी कार्य का आरंभिक रूप।
ग्राह
(सं.) [सं-पु.] 1. ग्रहण करने, पकड़ने या लेने की क्रिया या भाव 2. चंद्रमा आदि को लगने वाला ग्रहण 3. मगर; घड़ियाल 4. रोग 5. निश्चय 6. समझ; बोध 7. कैदी।
ग्राहक
(सं.) [सं-पु.] 1. ख़रीदने वाला; ख़रीददार; सौदा लेने वाला 2. कद्र करने वाला; गुणग्राही 3. चाहने वाला; आदरपूर्वक कुछ ग्रहण करने का इच्छुक 4. ग्रहण करने वाला
व्यक्ति।
ग्राहकी
[सं-स्त्री.] ग्राहकों द्वारा की गई ख़रीद।
ग्राही
(सं.) [वि.] 1. ग्रहण या स्वीकार करने वाला 2. आदरपूर्वक मानने या लेने वाला 3. मल रोकने वाला; कब्ज़ करने वाला (खाद्य पदार्थ या औषधि)।
ग्राह्य
(सं.) [वि.] 1. मान्य योग्य; समझने लायक; लेने या पकड़ने योग्य 2. ग्रहण करने योग्य 3. जो देखा सुना और पहचाना जा सकता हो।
ग्रीक
(इं.) [वि.] ग्रीस; यूनान देश का; यूनानी। [सं-पु.] यूनान देश का निवासी। [सं-स्त्री.] यूनान देश की प्राचीन भाषा।
ग्रीज
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का चिकना पदार्थ जिसका उपयोग मशीन के कलपुर्जों की सुरक्षा के लिए किया जाता है 2. चिकनी वस्तु।
ग्रीटिंग
(इं.) [सं-पु.] 1. शुभकामना; बधाई 2. कुशल मंगल की कामना 3. अभिवादन; नमस्कार; प्रणाम 4. अभिनंदन।
ग्रीन
(इं.) [सं-पु.] 1. हरा रंग 2. हरा होना 3. हरे रंग का (वस्त्र)।
ग्रीवा
(सं.) [सं-स्त्री.] सिर व धड़ को जोड़ने वाला शरीर का भाग; गला; गरदन; गरदन।
ग्रीष्म
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गरमी का महीना 2. छह ऋतुओं में से एक ऋतु जिसमें गरमी पड़ती है 3. ताप; गरमी; उष्णता; निदाघ। [वि.] गरम; तप्त; उष्ण।
ग्रीष्मावकाश
(सं.) [सं-पु.] गरम प्रदेशों में तेज़ गरमी के कारण होने वाला अवकाश; गरमी की छुट्टियाँ (शिक्षण संस्थानों, न्यायालयों आदि में); (समर वेकेशन)।
ग्रीस
(इं.) [सं-पु.] यूनान देश का निवासी। [सं-स्त्री.] यूनान देश की प्राचीन भाषा।
ग्रुप
(इं.) [सं-पु.] समूह; झुंड।
ग्रे
(इं.) [सं-पु.] 1. भूरा रंग 2. भूरा कपड़ा। [वि.] 1. सलेटी 2. दुखी 3. धुँधला 4. नीरस; अवसादित; निराशामय।
ग्रेट
(इं.) [वि.] 1. महान; बड़ा 2. सर्वोत्कृष्ट; सर्वोच्च 3. असाधारण; विख्यात 4. बहुत बढ़िया 5. उत्साही 6. शानदार; भव्य; विस्तृत 7. उपयुक्त; महत्वपूर्ण 8. गंभीर
9. संतोषजनक 10. प्रमुख; प्रधान।
ग्रेड
(इं.) [सं-पु.] श्रेणी; दर्जा; पदक्रम; वर्ग; कोटि; समूह; गुट।
ग्रेन
(इं.) [सं-पु.] एक प्रकार का तौल जिसका मान आधी रत्ती होता है।
ग्रेनाइट
(इं.) [सं-पु.] एक प्रकार का बहुत कठोर पत्थर; आग्नेय पत्थर।
ग्रैंड
(इं.) [सं-पु.] 1. एक हजार पौंड 2. एक हज़ार। [वि.] 1. सबसे अच्छा; सर्वश्रेष्ठ 2. महान; वैभवशाली; सर्वोच्च; विशाल; वृहत; बड़ा 3. प्रतापी; भव्य 4. भारी 5.
अभिमानी।
ग्रैजुएट
(इं.) [सं-पु.] 1. स्नातक; (बैचलर) 2. विद्यास्नातक 3. जिसने स्नातक उपाधि-परीक्षा उत्तीर्ण की हो।
ग्लान
(सं.) [वि.] 1. जो किसी रोग से पीड़ित हो; रोगी; बीमार 2. शिथिल; धीमा; मंद; थका हुआ 3. कमज़ोर; जिसमें बल या शक्ति न हो; जो दृढ़ न हो।
ग्लानि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पश्चाताप; अपनी हीन दशा अथवा किसी बात पर होने वाला खेद; संताप; मानसिक खेद 2. मानसिक या शारीरिक शिथिलता 3. किसी गलती पर मन में होने
वाला खेद या दुख 4. अनुत्साह 5. (काव्यशास्त्र) रस सिद्धांत में वर्णित एक संचारी भाव।
ग्लास
(इं.) [सं-पु.] 1. शीशा; काँच 2. दूध, चाय या पानी आदि पीने का काँच का पात्र 3. आईना 4. काँच का सामान 5. चश्मा; दूरबीन; (लेंस) 6. क्षारीय लवणों तथा खनिज
पदार्थों को पिघलाकर बनाया गया अतिशीतित पारदर्शी द्रव।
ग्लिसरीन
(इं.) [पु.] एक रासायनिक यौगिक जो औषधियों तथा सौंदर्य प्रसाधनों आदि के निर्माण में प्रयोग किया जाता है; (ग्लिसरोल)।
ग्लूकोज़
(इं.) [सं-पु.] 1. अंगूर की शर्करा; (डेक्सट्रोज़; डी-ग्लूकोज़) 2. शक्कर का विशेष रूप 2. कार्बोहाइड्रेट विघटन से शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करने वाला पदार्थ
4. पौधों में पाया जाने वाला साधारण मोनोसैकेराइड।
ग्लेशियर
(इं.) [सं-पु.] हिमनदी; हिमनद; हिमानी; बर्फ की नदी।
ग्लैमर
(इं.) [सं-पु.] 1. लुभानेवाला व्यक्तित्व; मोहकता 2. सिनेमा जगत में किसी कलाकार की प्रतिष्ठा; वैभव 3. सौंदर्य; आकर्षण 5. चमक-दमक 6. तड़क-भड़क 7. लावण्य।
ग्लैमरस
(इं.) [वि.] 1. सुंदर; मोहक 2. आकर्षक 3. जिसमें ग्लैमर हो।
ग्लोब
(इं.) [सं-पु.] 1. पृथ्वी; धरा; धरती 2. गोला; गोल चीज़ 3. बंडल 4. विश्व; संसार 5. वह गोलाकार वस्तु या मॉडल जिसपर संपूर्ण पृथ्वी ग्रह का नक्शा बना होता है।
ग्लोबल
(इं.) [वि.] 1. विश्वव्यापी; वैश्विक 2. भूमंडलीय 3. सार्वभौमिक 3. विश्वस्तर पर होने वाला।
ग्वार
(सं.) [सं-स्त्री.] एक ऐसा पौधा जिसकी फलियों की सब्ज़ी बनाई जाती है।
ग्वारपाठा
[सं-पु.] घीक्वार; घृतकुमारी; (एलोवेरा)।
ग्वाल
(सं.) [सं-पु.] 1. गायों को पालने और उनका व्यवसाय करने वाला व्यक्ति 2. अहीर।
ग्वाल-गीत
(सं.) [सं-पु.] ऐसे गीत जो चरवाहों द्वारा गाए जाते हैं।
ग्वाला
(सं.) [सं-पु.] 1. गाय चराने वाली या दूध-दही बेचने वाली एक जाति; अहीर; ग्वाल 2. मुलायम लकड़ी वाला एक वृक्ष जिसपर चित्र आदि की खुदाई की जाती है।
ग्वालिन
[सं-स्त्री.] 1. अहीरिन; ग्वाल जाति की स्त्री; दोग्धा 2. बरसाती कीड़ा; गिंजाई 3. एक तरकारी (ग्वार नामक पौधा)।